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रविवार, 17 जनवरी 2016

184...सच से भागते हम


जय मां हाटेशवरी...
कभी कभी इतनी अधिक हलचल हो जाती है...
हलचल ही नहीं लगाई जाती है...
कहते हैं न होनी को कोई नहीं टाल सकता...
आज मैं हलचल नहीं लगा सका....
ये होनी तो है न...
सब कुछ तैयार था...
बस हलचल मात्र प्रकाशित करनी ही थी कि...
नैट रुक गया...
होनी हो कर ही रही...
पर दीदी जी का आभार...
हलचल की नियमितता को ढैने न दिया...
अब बिना रुके आज की ब्लौग हलचल...

सह अस्तित्व.... विद्या गुप्ता
s1600/%25E0%25A4%2585%25E0%25A4%25B0%25E0%25A5%258D%25E0%25A4%25A7%25E0%25A5%258D%25E0%25A4%25AF%2B%25E0%25A4%2595%25E0%25A4%25BE%2B%25E0%25A4%259C%25E0%25A4%25B2
माँ जैसा गुनगुनापन जो ,
अंकुरों में भरता
दानों में झरता हैं दूध सा
अतल में है कहीं तल
छोर में अछोर
विज्ञान के कटघरे में
बे -दिल है चाँद ,मगर
अभी भी धडकता है अबोध
बाल मन का मामा बनकर .

नया साल
बीत तो तुम रहे हो मेरे बच्चे
मैं तो वहीं का वहीं हूँ
अनंत काल से
आगे भी वहीं रहूँगा
तुम्हारे पुनः पुनः पुनरागमन के दौरान
तुम्हारे निर्वाण तक
जब हमारा और तुम्हारा
डाइमैन्शन एक हो जाएगा

गुरु गोविंद सिंह जी [ second to non
पीर भीखम शाह [दरवेश]-
पटना [bihar ] की तरफ रुख करके  अपनी नमाज    
   पढते रहे ,यह घोषित कर के की मेरा साईं पटना में अवतरित हो गया है  ...

स्वामी विवेकानंद
        हमारी नस्ल का महान गौरवशाली नायक ......

लार्ड कनिंघन [इंगलैंड]-
....The  lowest  of the  lowly became equal  to  the  highest  of  the  higher  caste .

स्वामी महेश्वरा नन्द -
     गुरु गोबिंद सिंह जी ने ,एक सिख में ब्राम्हण क्षत्रिय  वैश्य ,शुद्र की सभी शक्तियों[ गुणों ] को समाहित कर दिया ......

सच से भागते हम
हमने अच्छाई के प्रतिमान गढ़ रखे हैं। मनुष्य के आदर्श को स्वयं में तलाशते हैं। आदर्श का प्रकटीकरण अपने परिवार में मानते हैं। अपने समाज को भी श्रेष्ठ मानते
हैं। स्वयं के अवगुण कभी दृष्टिगत नहीं होते।

दर्द के बदले दर्द
मुझे मेरे दर्द की दवा मिल गई थी।उनके पास अभी भी भारी मात्रा में दर्द मौजूद था।जिस दिन उन्हें उपयुक्त समय और जगह मिल जायेगी,उनके दर्द का भी स्थाई इलाज हो
जायेगा।दर्द को तभी तक आराम है,जब तक वो व्यक्तिगत नहीं हो जाते।खबर लिखे जाने तक दर्द को हिरासत में लिया जा चुका था।उम्मीद है कि दर्द को जल्द ही जमानत की
दवा मिल जाएगी।


धन्यवाद।


 







6 टिप्‍पणियां:

  1. वाह भाई कुलदीप जी
    आज दो प्रस्तुति आनी थी
    सो आई..
    नियति का लिखा
    कोई नहीं मिटा सकता
    कुल मिलाकर ये अच्छा ही हुआ
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत बढ़िया हलचल प्रस्तुति हेतु आभार!

    जवाब देंहटाएं
  3. आभार मेरी रचना को यहाँ शामिल करने के लिए .... सुंदर लिंक्स

    जवाब देंहटाएं
  4. आभार मेरी रचना को यहाँ शामिल करने के लिए .... सुंदर लिंक्स

    जवाब देंहटाएं

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