आनंद पर मैं कुलदीप ठाकुर एक बार पुनः उपस्थित हूं...आनंद का एक और अंक लेकर...
सर्वप्रथम आप सब को भारत के 67वें गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं...
लोकतंत्र हैं आ गया, अब छोड़ो निराशा के विचार को
बस अधिकार की बात ना सोचों, समझों कर्तव्य के भार को
भुला न पायेगा काल, प्रचंड एकता की आग को
शान से फैलाकर तिरंगा, बढ़ाएंगे देश की शान को
अब पेश है...मेरी पसंद के कुछ लिंक...
मेरी धरोहर में..yashoda दीदी...
मिले ग़म से अपने फ़ुर्सत तो सुनाऊं वो फ़साना....मुईन अहसन जज़्बी
कभी दर्द की तमन्ना कभी कोशिश-ए-मदावा,
कभी बिजलियों की ख़्वाहिश कभी फ़िक़्र-ए-आशियाना।
मेरे कहकहों के ज़द पर कभी गर्दिशें जहाँ की,
मेरे आँसूओं की रौ में कभी तल्ख़ी-ए-ज़माना।
कभी मैं हूँ तुझसे नाला कभी मुझसे तू परेशाँ,
मेरी रिफ़अतों ले लर्जा कभी मेहर -ओ-माह-ओ-अंजुम।
KAVITA RAWAT में..KAVITA RAWAT
हम भाँति-भाँति के पंछी हैं
कहीं पे रस्ते चंपा के हों कहीं गुलाबी गलियाँ हों
कोई पहेली कहीं नहीं है, सीधा साफ़ इशारा है
हम हम भाँति-भाँति के पंछी ………………………
मैं , लेखनी और ज़िन्दगी में...Madan Mohan Saxena
गणतन्त्र दिवस , देश और हम
सोसाइटी ऑफिस के लोग
देश भक्ति से युक्त गानो की सी डी और ऑडियो को खोजने में ब्यस्त हैं
कि पूरे दिन इन गानों के बजाना होगा
बच्चे लोग इस बात से खुश है कि
कल स्कूल में पढ़ाई नहीं होगी
ढेर सारा मजा और मिठाई अलग से मिलेगी
लेकिन भारत काका इस बात से खिन्न हैं
कि अपनी पूरी जिंदगी सेना में खपाने के बाद भी
सरकार उनकी सुध लेने को तैयार नहीं है (एक रैंक एक पेंशन)
श्रद्धा सुमन में... अनिता।
कौसल्या का श्रीराम की वनयात्रा के लिए मंगलकामनापूर्वक स्वस्तिवाचन करना
सदा सुखी रह जिस धर्म का, नियमपूर्वक पालन करते
रघुकुल सिंह धर्म वही अब, रक्षा करे सभी ओर से
जिनको तुम करते प्रणाम, देव स्थानों व मन्दिर में
संग महर्षियों, देव सभी, वन में रक्षक बनें तुम्हारे
सद्गुणों से तुम प्रकाशित, दिए मुनि ने जो भी अस्त्र
रक्षा करें सभी ओर से, सदा तुम्हारी प्रियवर पुत्र !
शुश्रूषा पिता की की है, सेवा भी माताओं की
सत्य पालन से रहो सुरक्षित, बने रहो चिरंजीवी
समिधा, कुशा, पवित्री, वेदी, मन्दिर, पर्वत, वृक्ष सभी
पक्षी, पोखर, सर्प और सिंह, रक्षक बनें तुम्हारे सब ही
साध्य, विश्वेदेव तथा, संग महर्षि मरुद्गण सारे
Akanksha में...Asha Saxena
हताशा
सभी जानते हैं
खाली हाथ जाना है
पर एक इंच जमीन के लिए
बरसों बरस न्याय के लिए
चप्पलें घिसते रहते
हाथ कुछ भी न आता
रह जाती केवल हताशा |
कुछ कहना है"में...रविकर
हम श्रधा से नमन करते हैं उन शहीदों का...
जिन्होंने अपना सर्वस्व इस मात्रभूमि के लिये अर्पण कर दिया...
धन्यवाद।
शुभ प्रभात.
जवाब देंहटाएंभारतीय गणतत्र दिवस की अशेष शुभ कामनाएँ
अच्छी प्रस्तुति
अच्छी रचनाएंँ
सादर
Wash...
जवाब देंहटाएंGood,Good and Good
Regards
गणतन्त्र दिवस की शुभकामनायें ! सुंदर सूत्र संकलन..आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर हलचल प्रस्तुति में मेरी पोस्ट शामिल करने हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंसभी को गणतन्त्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें !
सुन्दर हलचल ।
जवाब देंहटाएंगणतन्त्र दिवस की हार्दिक शुभकामना
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति
सभी को गणतन्त्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंहार्दिक शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति
आभार आपका-