निवेदन।


फ़ॉलोअर

शुक्रवार, 8 जनवरी 2016

174...फौलादी सीने वाला हूँ, बहना ने बतलाया है।

सादर अभिवादन स्वीकारें
सभी को ज्ञात है
ब्लॉग लिखे जाते हैं
तात्कालिक घटना के आधार पर
मत- तोहमत यथायोग्य दी जाती है 
व लगाई भी जाती है
फिर..सब मिट जाता है जेहन से....
आतंक का निवारण है
जड़ से खत्म हो जाएगा
बस विभीषणों व जयचंदों को
तत्काल गोली मारनी होगी.??..अस्तु

चलिए अपना काम करते हैं..


पीठ कभी ना दिखलाऊंगा, माँ ने यही सिखाया है।
फौलादी सीने वाला हूँ, बहना ने बतलाया है।
देश हमारा धर्म है सुन्दर, इसको बारम्बार नमन।
मेरे लहू से सदा रहेगा, रौशन-हरियर मेरा चमन।
मेरी कीमत क्या जानोगे, हर पल मैं अनमोल रहा हूँ।
मैं भारत का इक फ़ौजी हूँ, आज हृदय को खोल रहा हूँ


कपड़े छोटे हो गये, दिखता नंगा गात।
बिन पतझड़ झड़ने लगे, नये पुराने पात।

बदल गया है आज तो, जीने का अन्दाज।
लोगों के आचरण से, शर्मिन्दा है लाज।।


लगने लगे हैं वो चेहरे कितने अजीब 
भूलूँ कैसे उन्हे जो थे दिल के करीब। 

फ़िसल गया पहलू से वो हसीं लम्हा 
जुड़ा था तार जिससे जो था नसीब।


मेरे घर में किताबों की गुंडागर्दी चलती है. 
इंसान को रहने की जगह मिले न मिले, 
किताबें अय्याशी में रहती हैं. 
आलम ये है कि सोचना पड़ रहा है कि 
किताबें खरीद तो लेंगे, रक्खेंगे कहाँ? 


मन का मंथन में...कुलदीप सिंह ठाकुर
मुझे याद है
जाते वक़्त उसने
कहा था मुझसे
...तुम जैसे हज़ार मिलेंगे...
मैं ये  सुनकर
चौंका पर मौन रहा
मुझे ठुकराकर
 ...फिर मुझ जैसे की ही  तलाश क्यों?...


और ये रही आज की प्रथम कड़ी
हाय मेरे वतन के लोगों ,ये तुमने क्या कर डाला है ,
कदम-कदम पर आज हर तरफ उनका बोलबाला है !

चालें उनकी समझ न आयी हमको भी और तुमको भी 
इसीलिए तो गले में उनके फूलों की हर दिन माला है ! 


इन पंक्तियों पर एक नज़र...
मजबूरियाँ ले जाती हैं बाज़ार में उसको,
इज़्ज़त गँवाने ख़ुद ही बेचारी नहीं जाती।

राहों मे लड़कियों को सदा घूरने वाली,
आदत हरामज़ादे तुम्हारी नहीं जाती।

आज्ञा दें यशोदा को









3 टिप्‍पणियां:

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

टिप्पणीकारों से निवेदन

1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।




Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...