जय मां हाटेशवरी...
घुट-घुट कर लाख वर्ष जीने की अपेक्षा...
उस एक दिन का जीना अधिक श्रेयस्कर है...
जिसमें शान्ति है, तृप्ति है...
हमे भी आनंद मिलता है...
केवल पांच रचनाओं को लिंक करके...
न प्रतिसपर्धा है किसी से...
जो रचनाएं मन को भा जाती है...
उसे ही जोड़कर...
पांच के आंकड़े तक पहुंच जाते हैं...
आनंद के लिये अधिकता अच्छी भी नहीं है...
न आप के पास अधिक समय है...
थोड़ा समय का अभाव हमारे पास भी रहता है...
बिना रुके पेश है आज के पांच लिंक...
शक्ति और शिक्षा पर विवेकानन्द का चिंतन
Kavita Rawat
यह सत्य है कि इस एैहिक जगत में अथवा आध्यात्मिक जगत में भय ही पतन तथा पाप का कारण है। भय से ही दुःख होता है, यही मृत्यु का कारण है तथा इसी के कारण सारी
बुराई होती है और भय होता क्यों है?- आत्मस्वरूप के अज्ञान के कारण।
बलिष्ठ एवम् निर्भीक बनो!
बलिष्ठ बनो! बहादुर बनो! शक्ति एक महत्वपूर्ण विधा है, शक्ति जीवन है। निर्बलता मृत्यु है। खड़े हो जाओ। निर्भीक बनो। शक्तिशाली बनो। भारत वीरों का आह्वान
कर रहा है। नायक बनो। चट्टान की भाँति अटल खड़े हो जाओ। भारत माता अनन्त ऊर्जा, अनन्त उत्साह और अनन्त साहस का आह्वान कर रही है।
कलम का पतन
Akhilesh
जहाँ व्यंग बाणों की ज़रूरत,
वहाँ जय गान सुनाई दे रहे,
दर्द जन-जन का देख भी,
बरबस ख़ामोशी का आलम है,
शर्मशार लेखकों का कुनबा हुआ,
हताहत आज कलम है,
देख कलम योद्धा का यह पतन,
वसुधा भी आत्मरक्षा के चिंतन में है|
जैसे हिलती सी परछाई
राजीव कुमार झा
कितने युग बीते,सपने टूटे
हुए तिरोहित स्वप्न सुहाने
किसी परी सा रूप तुम्हारा
भूला वाणी,स्वर पहचाने
पलक आत्मा ने फिर खोली
फिर तुम मेरे सम्मुख आई
निश्चल,निर्मल रूप छटा सी
जैसे हिलती सी परछाई
पुतला
Harsh Wardhan Jog
यह किस्सा खलील जिब्रान की एक कहानी Scarecrow पर आधारित है जो उनके कहानी संग्रह The Madman में प्रकाशित हुआ है. जिब्रान का अरबी नाम जिब्रान खलील जिब्रान
था और उनका जन्म लेबनान में 1883 हुआ. 12 वर्ष की आयु में माता पिता के साथ न्यू यॉर्क चले गए थे और वहीं बस गए थे. उनकी मृत्यु न्यू यॉर्क में 1931 में हुई
और उनकी इच्छानुसार उन्हें लेबनान में 1932 दफनाया गया. वो एक कलाकार, चित्रकार, मूर्तिकार, कवि, दार्शनिक और लेखक थे. उनकी बहुत सी रचनाओं में से विशेष हैं
: The Prophet और Broken Wings.
जाने दो
anjana dayal
क्यों दिल के चक्कर में पड़ते हो?
हाँ, यादों की धूल आज भी सड़कों पे पड़ी होगी,
हर मोड़ पे माज़ी की कोई तस्वीर जड़ी होगी,
जाने दो,
क्यों दिल के चक्कर में पड़ते हो?
धन्यवाद...
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंभाई कुलदीप जी
पसंद आया आपका
अग्रलेख....सहमत हूँ
मैं पूर्णतः आपसे...
कम खाना
सेहत बनाना
की तर्ज पर
है ये आनन्द
पाँच लिंकों का
यदा-कदा
हो जाया करते हैंं
लिंक एकाध जियादा
तो पच जाता है
सादर
बहुत सुंदर प्रस्तुति.मुझे भी शामिल करने के लिए आभार.
जवाब देंहटाएंबढ़िया हलचल प्रस्तुति में मेरी ब्लॉग पोस्ट शामिल करने हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर व सार्थक रचना प्रस्तुतिकरण के लिए आभार!
जवाब देंहटाएंनववर्ष की बधाई!
मेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका स्वागत है...
सम्मिलित करने के लिए धन्यवाद। बहुत अछि प्रस्तुति
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