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गुरुवार, 28 जनवरी 2016

195 तलाशते है फिर.....मेरे शब्द तुम्हे :)

आप सभी को संजय भास्कर का नमस्कार
 पाँच लिंकों का आनन्द ब्लॉग में आप सभी का हार्दिक स्वागत है !!
अब पेश है...मेरी पसंद के कुछ लिंक 

छोड़ आया हूँ कुछ नगमे
साहिलों पर तेरे नाम से
शाम छुपा कर रख दिया है
वही रेत की ढेर में
कुछ पत्थर उगा आया हूँ
वहाँ आस पास

सिमटी यादें
सपने हों गर आँखों में तो आंसू भी होते हैं
अपने ही हैं जो दिल में ज़ख्मों को बोते  हैं |

मन के आँगन में बच्चों  का बचपन हँसता है
सूने नयनों से लेकिन बस पानी रिसता  है |

तलाशते है फिर..मेरे शब्द तुम्हे...!!!
तलाशते है फिर..
मेरे शब्द तुम्हे...
तुम नही हो,तो
कुछ लिखते ही नही...
यूँ कि हर बार शब्द पिरोते थे,
सिर्फ तुम्हे....
कि तलाशते फिर..
मेरे शब्द तुम्हे....

भरी आँखें रुलायेंगी तेरी,  ताजिन्दगी मुझको ,
तुम्हारी याद के संग आयेगी शर्मिंदगी मुझको !

हमें अरसा हुआ दुनियां के मेलों में नहीं जाते
सहज रहने नहीं देगी, तेरी मौजूदगी मुझको !

माँ का तर्जुबा
रह-रहकर मेरी आँखों में झाँकता रहा,
मेरे चेहरे की उदासियों को पढ़ता
फिक्र की करवटें बदलता कभी,
फिर सवालों की बौछार भी करता
पर मेरी खामोशियों का वाईपर,
जाने कब उन्‍हें एक सिरे से
साफ कर देता

और अंत में मेरी एक प्रस्तुति मैं बस जीना चाहता हूँ :))
उड़ जाना चाहता हूँ मैं
खोल के बाहें अपनी
थामना चाहता हूँ मैं
सारे आसमान को,
मैं बस उड़ना चाहता हूँ


इसके साथ ही मुझे इजाजत दीजिए अलविदा शुभकामनाएं फिर मिलेंगे अगले गुरुवार

-- संजय भास्कर

10 टिप्‍पणियां:

  1. बेहतरीन प्रस्तुति
    ख्यातिनाम रचनाकारों का रचनाएँ
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. सुप्रभात
    बेहतरीन लिंको पर चर्चा

    जवाब देंहटाएं
  3. बेहतरीन । आभार मेरी पोस्ट शामिल करने के लिए ।

    जवाब देंहटाएं
  4. बेहतरीन । आभार मेरी पोस्ट शामिल करने के लिए ।

    जवाब देंहटाएं
  5. शोभ दोपहर...
    सुंदर लिंक चयन...
    भाई संजय जी।

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत बढ़िया हलचल प्रस्तुति
    आभार!

    जवाब देंहटाएं
  7. रचना को सम्मान देने के लिए शुक्रिया संजय ..... मंगलकामनाएं आपको !

    जवाब देंहटाएं

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