नव प्रवाह / धनक का धमक / जीत का ज्वल
हिय हर्षित / नीति रीति उज्ज्वल / जीव विह्वल
छटा कोहरा / जगी दबी उम्मीदें / आस निहारे
स्वप्न धवल / ख्यालों-मुंडेरों सजे / वर्ष नवल
देखो पुराने ये कैलेण्डर
है वक्त की कोई शरारत या गई फ़िर उम्र ढ़ल
आते नहीं पहले सरीखे अब मजे त्यौहार के
गिरमिटिये बनकर तब गये थे सात सागर पार हम
पर हैं बने हम बंधुआ अब अपनी ही सरकार के
गया और नया साल
आये नींद सुनकर गीत,
किसी बेदर्दी की प्रीत,
या कि चुटकी का संगीत,
वर्तमान सा अतीत।
शायद ऐसा ही था वो गया साल।।
स्वागत है नव वर्ष तुम्हारा
नवल वर्ष की स्वर्ण रश्मियों
से हो धरा गगन आल्हादित
विश्व समूचा दिग दिगंत तक
हो हर्षित , प्रमुदित , उत्साहित
'चलो नये साल में प्रवेश करें'
हमें हर वक्त कुछ नया चाहिये
तो नया साल क्या बुरा है
हम सभी नये साल की ओर लपकेगें
निचोड़ लेंगे उसका नयापन भी
भर देंगे उसमें वो ही उदासी, पीड़ा और वो
तमाम खामियाँ जो हमनें बीते बरस कमाई थी
नयी दिशा,नयी उड़ान
पिछला जो अच्छा है ,उसको साथ लेकर चलना
पिछला जो बुरा था, उसको नये साल में भूलना
नये सपनों के साथ हो तेरी नयी उमंगे
जीवन डोर वही पुरानी पर उड़ाओ नयी पतंगे
मोबाइल भूकम्प
सांस भी ना लूँ भाई..
तब समझ आया
नया दिन है
नया साल है
मगर नया कुछ् नहीं
वही बुरा हाल हैं
नया वक़्त!
नया जीवन
नयी परिस्थितियां
नयी रौशनी
नया वक़्त
नया साल नहीं
नयी सोच ला सकती है
नया नजरिया ला सकता है
फिर मिलेंगे ........ तब तक के लिए
आखरी सलाम
विभा रानी श्रीवास्तव
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंनया जीवन
नयी परिस्थितियां
नयी रौशनी
नया वक़्त
नया साल नहीं
नयी सोच ला सकती है
नया नजरिया ला सकता है
शुभप्रभात...
जवाब देंहटाएंसुंदर लिंक संयोजन...
आभार आंटी आप का....
बहुत सुन्दर हलचल प्रस्तुति हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति ।
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