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गुरुवार, 21 जनवरी 2016

188 ...... फिर तुम्हारा साथ मिले न मिले :)

आप सभी को संजय भास्कर का नमस्कार
 पाँच लिंकों का आनन्द ब्लॉग में आप सभी का हार्दिक स्वागत है !!

एक ख़वाब देखा था मैंने......!!!
कुछ दर्द ख़ास रहने दो
इक तड़प साथ रहने दो 
बुझ न सके जो वो प्यास 
अमिट रहने दे.
एक ख़वाब देखा था मैंने 
संग तेरे मुस्कुराने का 

फिर तुम्हारा साथ मिले न मिले
सालों पहले मुझे हो गई थी तुमसे मोहब्बत
जिसे अपने दिल में छुपाकर
काटा मैंने हर एक दिन
मेरे पास भले ही नहीं थे तुम
लेकिन तुमसे दूर नहीं थी मैं
आज जब मिले हो तुम मुझे

माँ तेरे लिए वो ख़ुशी कहाँ से लाऊँ 
माँ तेरे लिए वो ख़ुशी
कहाँ से लाऊँ
कहाँ से वो तेरा
सुकून लाऊँ
हाँ मैंने वादा किया था
बाबा से..
कि  तुझे हर ख़ुशी दूँगी

तुम कहते हो 
"तुम्हें प्यार करता हूं..
बेवजह,
प्यार करने के लिए 
क्या वजह होना ज़रूरी है?''
पर जानते हो...
एक भी वजह
जो तुम मुझे बताओगे
मैं सच कहती हूं..

गर्माहट लफ्जों की
उन लम्हों को कैसे भूल जाए 
जब एक एक फंदा 
सलाई पर बुनती थी 
तुम्हारा नाम लेकर 
ऊनी दुशाले 
और तुम उसे लपेटे रहते थे 
अपने चारो तरफ
दिसम्बर की धूप / कोहरे में भी

इसके साथ ही मुझे इजाजत दीजिए अलविदा शुभकामनाएं फिर मिलेंगे अगले गुरुवार

-- संजय भास्कर


8 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात बाई संजय जी
    बेचैन रहती हूँ
    पर बुधवार को
    संजय भैय्या की प्रस्तुति देखूँगी
    उत्कृष्ठ रचनाओं की कड़ियां
    लाते हैं वे
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. प्यार करने के लिए
    क्या वजह होना ज़रूरी है?''
    सुन्दर लिंको का आनंद भाई संजय जी

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह...
    आनन्द आया
    साधुवाद
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
    आभार!

    जवाब देंहटाएं

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