पांच लिंको का आनंद पर आपका स्वागत है।
पहली बार पांच लिंको का आनंद पर आपका दोस्त विरम सिंह सुरावा ।
किसी कवि की कविता जो मन मे जोश भर देती है।
मेने पढी सोचा आपको भो सुना दूँ.....
☆ जीवन मे कुछ करना है तो , मन को मारे मत बैठो ।
आगे आगे बढना है तो , हिम्मत हारे मत बैठो ।।
चलने वाला मंजिल पाता , बैठा पीछे रहता है।
ठहरा पानी सड़ने लगता ,बहता निर्मल होता है ।
चलो कदम से कदम मिला कर , दूर किनारे मत बैठो ।।
और अब प्रस्तुत है पहली बार मेरे पंसद की लिंक ...
यथार्थ पर ..........विक्रम प्रताप सिंह
जो झूठ की चादर आदमी ने दिल में चढ़ाई नहीं होती ।।
आसमान में परिन्दों की भी लड़ाई नहीं होती।।
सभी सदैव ऋणी रहेंगे। उनके जैसे ओजस्वी वाणी, दृढ़ता, स्पष्टवादिता
और चमत्कारी व्यक्तित्व वाले लोकप्रिय नेता की आज सर्वथा कमी
महसूस होती है। स्वतंत्रता प्राप्ति हेतु उनका भारतवासियों का उद्बोधन
भला कौन भुला सकता है-“ अब आपका जीवन और आपकी सम्पत्ति
आपकी नहीं है, वह भारत की है। मुझे पूर्ण विश्वास है कि यदि आप इस
सरल सत्य को समझते हैं कि हमें किसी भी उपाय से स्वतंत्रता प्राप्त
करनी है और अब हम एक ऐसे स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में हैं जो युद्ध की
स्थिति में है तब आप सहज ही समझ जायेंगे कि कुछ भी आपका नहीं है।
कविता मंच पर .....विवेक रतन सिंह
रोड़ा उसकी तरक्की के रास्ते को रोक सकता है.
ऐसा ही कुछ कर दिखाया है बाबा भीमराव आंबेडकर यूनिवर्सिटी
(बीबीएयू), लखनऊ की छात्र रत्ना रावत ने. एमसीए स्टूडेंट रत्ना रावत
के पिता बीबीएयू में ही चपरासी हैं और अब रत्ना ने एमसीए में टॉप कर
अपने पिता का सिर गर्व से उंचाकर दिया है.
रत्ना के पिता बृज मोहन बीबीएयू में ही
चपरासी के पद पर कार्यरत हैं
अब दीजिए आज्ञा
धन्यवाद
वाह..
जवाब देंहटाएंबेहतरीन
काफी मशक्कत की है आपने
इस प्रस्तुति मे..
सादर
Wow....
जवाब देंहटाएंYou are not new
Regards
पहली प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंअजेक्षा से अधिक अच्छी...
आभार आप का...
मेरी रचना को जगह देने के लिये आभार।
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को जगह देने के लिये आभार।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया हलचल प्रस्तुति में मेरी ब्लॉग पोस्ट शामिल करने हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंपहली प्रस्तुति...बेहतरीन
जवाब देंहटाएंह्रदय से आभार सभी का
जवाब देंहटाएंSundar prsatuti
जवाब देंहटाएं