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सोमवार, 1 नवंबर 2021

3199.. और कुतुबमीनार हिल गया ..

 सादर अभिवादन..
1 नवम्बर के बाद का सबसे व्यस्त सप्ताह
हर किसी के लिए...हौसला बनाए रखिए..
स्व-सुरक्षा ही उत्तम चिकित्सा है
अपसे सेहत के लिए व्रती महिलाओं को सलाह
माता रानी को प्रणाम कर 
जल , शर्बत इत्यादि ग्रहण करें

छत्तीसगढ़ राज्य-स्थापना दिवस
सादर शुभकामनाएं


शाप
अभी जाड़े में
और गहराएगा
जब होते जाएंगे
दिन छोटे
और रातें लम्बी
मानो प्रकृति भी
देगी सज़ा
यक्षी-मन को
बंद कमरा



जलेगी मुहब्बत शमा की हमेशा
चेराग ए मुहब्बत यूँ जलते रहेंगे

रफ़ू कर ले तू भी ग़मो को यूं 'आकिब'
मुहब्बत से घर अपने पलते रहेंगे



फटे लिबास में तुम्हारी हंसी ....
काश मैं
इस बाज़ार से
कुछ
बचपन बचा पाता...।
काश
मुस्कान का भी
कोई
कारोबार खोज पाता।




जगमग शिखि समान तब कोई
सुहृद सहज आकर मिलता है

 पूर्ण हुआ वह राह दिखाता
नहीं अधूरापन टिकता है

अविरल बहे काव्य की धारा
उर मरुथल बन क्यों रहता है




"घोड़ा घास से यारी..,"

"अरे! उतना ही होता तो तुम पुस्तकों के कुतुबमीनार पर सिंहासन नहीं लगा पाती...,"

"सभी गर्दन ऊँचीकर बात करते..,"

"अंधे के हाथ बटेर लगा। काश! उनके बातों में सम्मान भी होता..,"

बात पूरी होने के पहले पुस्तकों का कुतुबमीनार हिल गया और
मैं धड़ाम से पुस्तकों के नीचे दब गयी। साँसों का साथ
छूटने के पहले मेरी आँखें खुल गयीं। कमरे के चौसीमा में
नजरें दौड़ाई तो जीवन रक्षक यंत्रो की भीड़ दिखी।
परिचारिका की बातों से लगा कि मुझे नयी जिन्दगी मिली है।
......
इति शुभम्



1 टिप्पणी:

  1. दिन छोटे
    और रातें लम्बी
    मानो प्रकृति भी
    देगी सज़ा
    यक्षी-मन को
    बंद कमरा

    सोशल मीडिया कमरे की तन्हाई को भीड़ में बदल दिया है.. फिर भी मन तन्हा है

    जलेगी मुहब्बत शमा की हमेशा
    चेराग ए मुहब्बत यूँ जलते रहेंगे

    –सारे शेर सुन्दर यह शेर अति सुन्दर

    –असीम शुभकामनाओं के संग हार्दिक आभार आपका
    –श्रमसाध्य प्रस्तुति हेतु साधुवाद

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