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शुक्रवार, 12 नवंबर 2021

3210...ओजोन परत में हो चले छेदों पर आंसू बहाती हुई घबराई-सी

शीर्षक पंक्ति : आदरणीया डॉ.शरद  सिंह जी की रचना से। 

सादर अभिवादन। 

मेरी अनुपस्थिति में कल की ताबड़तोड़ प्रस्तुति लेकर आई थीं 

आदरणीया यशोदा बहन जी। आज शुक्रवारीय अंक लेकर मैं हाज़िर हूँ। 

लीजिए प्रस्तुत हैं कुछ चुनिंदा रचनाएँ-

झुकती पृथ्वी | कविता | डॉ शरद सिंह  

पृथ्वी
घूम रही है
झुकी-झुकी
अपनी धुरी पर
कटते जंगलों
सूखती नदियों
गिरते जलस्तरों
बढ़ते प्रदूषण
और
ओजोन परत में
हो चले छेदों पर
आंसू बहाती हुई
घबराई-सी।

हर कोई अपने जैसा है


 कारीगर, मज़दूर  होते  

महल-दुमहले कैसे बनते,   

अल्पज्ञ, अज्ञानी यदि हो 

गुरुजनों  को कौन पूछते


सोचते है ना ख्याल आये उसका ,

पर बेख्याली मे भी ख्याल आता है।

मैं खुद को लिखता हूँ रोज हर्फ़ - हर्फ़,

वो एक झटके मे मिटा जाता है।

पटाखे से जला हाथ


 एक दिन जब मैंने उसके दोस्तों को उसे कहते सुना कि "अरे विनीत ! तू बड़ा होकर विकलांग सर्टिफिकेट बना देना आजकल विकलांगों को नौकरी जल्दी मिल जाती है तो सुनकर मुझे कैसा लगा , कितना दुख हुआ ये बताने के लिए आज भी शब्द नहीं हैं मेरे पास।

मुझे आज भी हर दीपावली पर वह बच्चा याद आता है और साथ ही उसका आर्मी ज्वाइन करने का वह सपना  भी।

"दर्द का अहसास"--एक समीक्षा

गुलसितां  में ज़र्द  हर पत्ता हुआ।

जब ख़ुशी पर रंज का पहरा हुआ।

छाँव ...पुरुषोत्तम सिन्हा

काश ! कहीं, इक पीपल होता,
उन छांवों में सो लेता,
पांवों के  छालों को, राहत के पल देता,
इक छाँव, कहीं मिल जाए,
दो पल, रुक जाऊँ!


चलते-चलते उत्तर-पूर्वी भारत के विशिष्ट त्योहार 'छठ पर्व' की झलकी 


आज बस यहीं तक 
फिर मिलेंगे अगले गुरुवार 

रवीन्द्र सिंह यादव 

9 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर प्रस्तुति
    पुरुषोत्तम जी की रचना लगाए हैं
    आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. हमेशा की तरह बेहतरीन प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  3. सुन्दर प्रस्तुति,मेरी रचना को मंच पर स्थान देने के लिए हार्दिक आभार 🙏

    जवाब देंहटाएं
  4. मनोकामना पूर्ण हो,
    शुभकामनाओं के साथ
    सादर नमन दीदी
    सादर...

    जवाब देंहटाएं
  5. उत्कृष्ट लिंको से सजी लाजवाब हलचल प्रस्तुति
    मेरी रचना को स्थान देने हेतु तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार आपका।
    सभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं
  6. सुंदर रचनाओं के संकलन के साथ-साथ भगवान भास्कर को अर्ध्य अर्पित करती परवैतिन आदरणीय श्वेता जी की दिव्य एवं पवित्र अभिराम छवि से इस मंच को सुसज्जित करने के लिए अत्यंत आभार। रचनाकारों को बधाई और परवैतिन को सादर चरण-स्पर्श!

    जवाब देंहटाएं
  7. छठ पर्व के लिए हार्दिक शुभकामनायें, मनोहारी रचनाओं के सूत्र देता सुंदर अंक, आभार !

    जवाब देंहटाएं
  8. सुंदर, सार्थक तथा समसामयिक सूत्रों से सज्जित अंक । और उसपे छठ पूजती श्वेता जी, प्रकृति का आचमन करती मनोहारी भावभरी छवि । छठ पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई ।

    जवाब देंहटाएं
  9. छठव्रती प्रिय श्वेता की सुंदर नयनाभिराम , सरल, सौम्य छवि चित्र के साथ अत्यन्त पठनीय लिंको का सुंदर संकलन। आभार और अभिनंदन रविंद्र भाई। सभी रचनाकारों को बधाई।🙏🙏

    जवाब देंहटाएं

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