शीर्षक पंक्ति :डॉ. सुशील कुमार जोशी जी की रचना से।
सादर अभिवादन।
दीवाली महापर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ।
यह पर्व है उजास का
उमंग और हुलास का,
जलाऊँगा मैं भी दीया
ख़ुशियों संग विश्वास का।
-रवीन्द्र सिंह यादव
गुरुवारीय अंक में पढ़िए कुछ चुनिंदा रचनाएँ-
दिया एक जलाता है दीपावली भी मनाता है रोशनी की बात सबसे ज्यादा किया करता है रोशनी खुद की बनाने में मरा आदमीदिया एक जलाता है दीपावली भी मनाता है
रोशनी की बात सबसे ज्यादा किया करता है
रोशनी खुद की बनाने में मरा आदमी
दीपक ज्योति~
तम दूर भगाए
राग द्वेष का ।
अंधकार को हम अब दूर भगाएं।
घर- घर में बस प्रकाश फैलाएं।
नव उजास को भरकर जीवन में-
सबके मन का तम को हर जाएं।
अरे, तू तो मेरा भी उस्ताद है !
एक न एक दिन तू भी मेरी ही तरह चमचागिरी की सीढ़ी पर चढ़ कर हाकिमे-वक़्त बनेगा !’
कुछ रिश्ते बेशर्त होते हैं
बिना किसी अपेक्षा के जीते हैं
जी चाहता है अपने जीवन की सारी शर्तें
उन पर निछावर कर दूँ
जब तक जिऊँ बेशर्त रिश्ते निभाऊँ।
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महापर्व की शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंइसके मरने को उसने देखा उसके मरने को इस ने देखा
बस खुद अपने मरने पर पर्दा करा करता है आदमी
दिया एक जलाता है दीपावली भी मनाता है
रोशनी की बात सबसे ज्यादा किया करता है
रोशनी खुद की बनाने में मरा आदमी
सादर..
सुन्दर सूत्रों से सजा अंक, मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार और अभिनंदन ।सभी को दीवाली की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई 💐🙏💐
जवाब देंहटाएंमनमोहक और सराहनीय सूत्रों से सजा अंक ।
जवाब देंहटाएंआपके श्रम साध्य कार्य को मेरा सादर नमन ।
दीपाली के दीप से जगमग पूरा देश ।
तिमिर भगाने का सदा देते ये संदेश ।।
दुर्गम पथ सब सुगम हो , मानुष हो खुशहाल ।
प्रेम और सद्भाव से बीते दिन औ साल ।।
दीवाली की हार्दिक शुभकामनाएं💐🪔🎆🎇
सभी के लिए दीप पर्व मंगलमय हो| आभार रवींद्र जी |
जवाब देंहटाएंसुन्दर अंक
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