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मंगलवार, 9 नवंबर 2021

3207 ..कभी-कभी शब्द ही नहीं मिलते क्षमा माँगने के लिए

सादर अभिवादन
नवम्बर मास  के त्योहारों का 
सिलसिला जारी है
बस 19 तारीख तक
फिर नवंबर की विदाई..

रचनाएँ..




कभी शब्द नहीं होते
क्षमा माँगने के लिए
इन प्रपंचों  से बचने के लिए  
जीवन सुखमय करने के लिए  |
यही समस्या है
आम आदमीं की
भूल करता नहीं हो जाती है |





चले रघुवीर तूणीर लिए, मन में सिय का बस़ ध्यान रहे।
अनेक विचार उठे मन में,हर आहट वे पहचान रहे।
प्रयास करें पर कौन सुने,वन निर्जन से सुनसान रहे।
दिखे सब सून प्रसून दुखी,मन पीर वियोग निशान रहे।





जब उजालों के तिलिस्म से डरने लगा तो
मुफलिसी में अंधेरों को सहारा कर लिया ।

जो दुश्मन थे मेरे मगर वसूलों के पाबंद रहे
उन्हें अपना अजीज़ अपना प्यारा कर लिया ।



पेंसिल के अंतिम सिरे तक
जो बच रहता है
पी जा चुकी
सिगरेट के टोटे सा
मृत्यु के जूते तले
कुचले जाने तक
मिट्टी मिश्रित ग्रेफाईट की
काली सींक की तरह
आशाओं की
नर्म लकड़ी में दबी
लिखने और टूटने के
संघर्ष में
हादसों से
छिलती रहती है ज़िंदगी।




कह भी पाता, तो क्या कह पाता!
ये सागर, कितना बह पाता!
लहर-लहर बन, खुद ही टकराता,
खुद को बिखराता,
अनकही सी, हर जज्बात रही,
दिल के मध्य, कहीं!
...
इति शुभम
कल मिलिए पम्मी सखी से
सादर

3 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात !
    वैविध्यपूर्ण रचनाओं से परिपूर्ण उत्कृष्ट अंक । बहुत बहुत शुभकामनाएं आदरणीय दीदी 💐💐

    जवाब देंहटाएं
  2. सभी विद्वजनों को प्रणाम

    बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति 👌 सभी रचनाएं उत्तम , रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं,मेरी रचना को स्थान देने के आपका आत्मीय आभार आदरणीया 🙏🙏

    जवाब देंहटाएं
  3. सुप्रभात
    उम्दा संकलन लिंक्स का |मेरी रचना को शानिल करने के लिए धन्यवाद यशोदा जी |

    जवाब देंहटाएं

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