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शुक्रवार, 26 नवंबर 2021

3224 ....ये रात हमें काटनी होगी

शुक्रवारीय अंक में
आप सभी का स्नेहिल अभिवादन।
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सर्दियों की गहराती साँझ 
हवाओं की छुअन में
घुली सप्तपर्णी की
मादक गंध...
शीत हवाओं संग
रात-रातभर झूमते हरसिंगार
भोर होते ही 
प्रवासी पक्षियों के 
गीत से मदमस्त
डालियों से लुढ़क पड़ते हैं
और दूब का प्रगाढ़ आलिंगन कर
धूप में मिठास घोल
दिन को भीनी खुशबू से भर जाते हैं।

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चलिए आज के रचनाओं के रचनाओं के संसार में

कहीं से छूट गए



जो अपने सच से भी नज़रें चुरा रहे अब तक,
किसी के झूठ में वो ज़िन्दगी से उलझे हैं.  
 
सुनो ये रात हमें दिन में काटनी होगी,
अँधेरे देर से उस रौशनी से उलझे हैं.
 
किसी से नज़रें मिली, झट से प्रेम, फिर शादी,
ज़ईफ़ लोग अभी कुण्डली से उलझे हैं.
 




एक राह से पहचान होती है 
कि फिर आ जाता है एक मोड़।  
और एक नयी अंजान डगर,  
आगे बढ़ने के लिए 
अंजानी मंज़िल की ओर। 
मन करता है मुड़कर देखना 





गोरे भागे पग शीश धरे,
मूंछ मरोड़े थे मड़ियार।
गाँव नगर में मेला सजता,
हर्ष मनाए सब नर नार।।

एक पराजय से धधके थे,
शत्रु बने ज्यूँ जलती ज्वाल।
बदला लेने की ठानी फिर,
सोच रहे थे दुर्जन चाल।।



पत्थर तब तक,पत्थर था,
प्रीत मिली तो बिखर गया।

संवेदन को जो पंख मिला,
भाव हृदय भर शिखर गया।

महलों में थी ताप-तपिश कटु,
तरु छांव मुसाफ़िर ठहर गया।




अचानक एंकर खबर पढ़ती है कि आतंकवादियों से लोहा लेते हुए मेजर शहीद.. ओह.. एक आह.. दूजी आह.. तीसरी आह पर वो बेहोश हो जाती है ।


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आज के लिए इतना ही
कल का विशेष अंक लेकर
 आ रही हैं प्रिय विभा दी।

10 टिप्‍पणियां:

  1. रात-रातभर झूमते हरसिंगार
    भोर होते ही
    प्रवासी पक्षियों का
    गीत से मदमस्त
    डालियों से लुढ़क पड़ते हैं
    और दूब का प्रगाढ़ आलिंगन कर
    धूप में मिठास घोल
    दिन को भीनी खुशबू से भर जाते हैं।
    शानदार अंक
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  2. सुंदर सरस भूमिका तथा विविधता से परपूर्ण शानदार अंक । प्रिय श्वेता जी आपके श्रमसाध्य कार्य को मेरा नमन । मेरी रचना को स्थान देने के लिए असंख्य आभार । सभी रचनाकारों को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं ।

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत बढ़िया प्रिय श्वेता। सर्द के गुलाबी मौसम के आगमन पर हृदय को भाती सुंदर रचना से सजी भूमिका के साथ सरस और मधुर प्रस्तुति। दिगम्बर जी की शानदार ग़ज़ल के साथ कुसुम बहन का वीर रसयुक्त ओज भरा काव्य चकित कर गया तो बेला के फूल मर्म को छू गए। सभी रचनाकारों को बधाई और नमन। हार्दिक स्नेह और शुभकामनाएं इस रोचक और पठनीय प्रस्तुति के लिए।🌷🌷❤️❤️

    जवाब देंहटाएं
  4. पर इतनी प्यारी प्रस्तुति पर पाठकों की प्रतिक्रिया न आना बहुत खेदजनक है। चर्चाकार का हौंसला बढ़ाने और मंच को नमन करने , प्रस्तुति में सम्मिलित रचनाकारों को तो जरुर उपस्थित रहना चाहिए। आखिर एक बडे़ पाठक वर्ग तक रचना पहुंचाने का श्रेय इन्हीं को जाता है।🙁

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. प्रिय रेणु बहन आपके स्नेह सिक्त शब्दों से मन का उल्लास द्विगुणित हुआ।
      सस्नेह आभार आपका।
      मैं ब्लाॅग पर आपके स्नेह स्पर्श की प्रतिक्षा मैं हूं।
      सस्नेह।

      हटाएं
  5. भीनी भीनी खुशबूदार पंक्तियां ---
    शीत हवाओं संग
    रात-रातभर झूमते हरसिंगार
    भोर होते ही
    प्रवासी पक्षियों के
    गीत से मदमस्त
    डालियों से लुढ़क पड़ते हैं
    और दूब का प्रगाढ़ आलिंगन कर
    धूप में मिठास घोल
    दिन को भीनी खुशबू से भर जाते हैं।
    👌👌👌👌👌👌👌🌷🌷

    जवाब देंहटाएं
  6. अप्रतिम श्वेता! आपकी भूमिका अपने आप में मुकम्मल एक रचना होती है, सुंदर शानदार पंक्तियां जैसे सुहाते जाड़े का मदहोश करता नशा।
    सभी लिंक्स पठनीय आकर्षक।
    सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
    मेरे आल्हा 'वीर छंद' आधारित रचना को पांच लिंको पर स्नेह देने के लिए हृदय से आभार।
    सस्नेह सादर।

    जवाब देंहटाएं
  7. पांच लिंकों में स्थान देने के लिए आपका बहुत बहुत आभार श्वेता जी।

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत सुंदर प्रस्तुति,एक से बढ़कर एक

    जवाब देंहटाएं

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