शीर्षक पंक्ति आदरणीया डॉ.जेन्नी शबनम जी की रचना से।
सादर अभिवादन।
गुरुवारीय प्रस्तुति लेकर हाज़िर हूँ।
आज कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी है। भारतीय कैलेंडर में सभी माह 30 दिन के होते हैं। माह का पहला पक्ष (15 दिन) पंद्रहवें दिन (अमावस) को समाप्त होता है और माह का अंतिम दिन पूर्णिमा(अगले 15 दिन का अंतिम दिन) अर्थात वर्ष में कुल 360 दिन। जबकि अंतरराष्ट्रीय कैलेंडर के अनुसार साल में ३६५ दिन और हरेक चौथे वर्ष 366 दिन (फरवरी 29 दिन) क्योंकि यह पृथ्वी द्वारा सूर्य का एक चक्कर पूर्ण करने में लिया गया समय (365 दिन, 5 घंटे,59 मिनट और 16 सेकंड ) है। 365 दिन के अलावा ये अतिरिक्त घंटे, मिनट और सेकंड चार साल में जुड़कर एक दिन (24 घंटे) पूरे हो जाते हैं।
5X4=20 घंटे
59X4= 236 मिनट (236 = 3.933 घंटे / 3 घंटे और 56 मिनट)
16X4=64 सेकंड (1 मिनट 4 सेकंड)
कुल घंटे = 20+3=(23)
मिनट=56+1=57
सेकंड = 4
अर्थात पृथ्वी को सूर्य का एक चक्कर पूर्ण करने में 365 दिन के अलावा प्रति वर्ष जो अतिरिक्त समय लगता है वह चार वर्ष में 23 घंटे,57 मिनट और 4 सेकंड हो जाता है। यहाँ 3 मिनट, 56 सेकंड का समय 24 घंटे पूरे होने में कम है। सुविधा के लिए इस अतिरिक्त समय को एक दिन मान लिया गया और लीप ईयर में फरवरी माह को 29 दिन का घोषित कर दिया गया।
इस हिसाब से भारतीय कैलेंडर में हरेक साल 5 दिन 5 घंटे, 59 मिनट और 16 सेकंड का अतिरिक्त समय जुड़कर छठवें साल एक अतिरिक्त माह में तब्दील हो जाता है। आपने बुज़ुर्गों के मुख से सुना होगा कि इस साल तो दो सावन हैं।
बहरहाल इस पेचीदा हिसाब-किताब से बाहर आते हैं और पढ़ते हैं आज की पाँच पसंदीदा रचनाएँ-
अपने और अपनों के लिए
अच्छी हूँ, तो हूँ।
मैं ख़ुशनसीब हूँ कि मेरे अपने हज़ारों हैं
उन्हीं के लिए शायद मैं इस जग में आई
बस उन्हीं के लिए मेरी यह सालगिरह है।
जाने कितने शब्द
स्मृतियों के घटनाओं
और पुराने जन्मों के
उपवन उगाना है तो
काटना होगा इस जंगल को
शून्य से ...
निर्वात में डूबी अभिव्यक्ति,
विराम चाहती है ।
विचार….,
मन आंगन के नीलगगन में,
खाली बादल से विचरते हैं ।
समता का ले भाव, जगत का दर्प मिटाता।।
पूरक बने समाज, मान के सब अधिकारी।
करके नित्य प्रयोग, अर्थ समझें आभारी।।
वक़्त
की
रहमत
से
वो
भर
भी
जाते
हैं।
शुक्र
अदा
करना
तो
बनता
है
इनका,
हम जंगल - नदियों से जितना पाते हैं।
*****
आज बस यहीं तक
फिर मिलेंगे अगले गुरुवार।
रवीन्द्र सिंह यादव
बेहतरीन अंक
जवाब देंहटाएंमैं अच्छी हूँ,तो हूँ।
आभार...
सादर
सुप्रभात🙏🙏🙏
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति
हर एक अंक सरहानीय है!
इतनी अच्छी प्रस्तुति के लिए आप का धन्यवाद🙏🙏🙏
बहुत सुंदर संकलन । बेहतरीन सूत्रों के मध्य मेरे सृजन को सम्मिलित करने के लिए हृदयतल से धन्यवाद 🙏
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सराहनीय अंक। बहुत बधाई आदरणीय रवीन्द्र सिंह जी ।
जवाब देंहटाएंपठनीय रचनाओं से सजा है आज का अंक, बहुत बहुत आभार !
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