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बुधवार, 13 जनवरी 2021

2007...हुआ अनोखा एहसास...

 ।। उषा स्वस्ति ।।
"है वहाँ कोई चल रहा है
कभी आगे कभी पीछे
कभी मेरे बराबर पर।
सुबह की फूटी किरन
बस पास मेरे
है उजाला औ' क्षणिक
उल्लास मेरे ..."
-दूधनाथ सिंह

जीवन की गहन प्रत्याशा को इंगित करती पंक्तियों संग  नज़र डालें लिंको पर..✍️
🔅🔅



ज़रा सोचें की रूठी सर्द रातों को कौन मनाए ?
निर्मोही पलों को हथेलियों पर कौन खिलाए ?
लहू ही है जो रोज़ धाराओं के होंठ चूमता है
लहू तारीख़ की दीवारों को उलांघ आता है

🔅🔅


मुकम्मल हुई ना अधूरी कहानी 
नहीं जिंदगी में रही रात रानी 

मुझे तोड़ देने की कोशिश में प्यारे 
कहीं टूट जाये ना तेरी जवानी ...
🔅🔅

आ०आशा लता सक्सेना जी...
हुआ अनोखा एहसास मुझे

  यह कैसे हुआ क्या हुआ
मैं जानती कैसे
     अब मुझे विचार करना होगा ।

🔅🔅




दम घुटने के बाद की बची सांसें 
खर्च तो करनी ही होती हैं 
एक उम्र उन्हें खींचती रहती है 
जीने के लिए..
🔅🔅
Dr (Miss) Sharad Singh

नवगीत
डॉ सुश्री शरद सिंह..चौराहे का ज्योतिषी
     बांचे सब का भाग
जुड़ी अदालत,
सुखिया की
पेशी का है दिन
मुंशी अभी पुकारेगा
होंठों रुपया गिन..
🔅🔅
।।इति शम।।
धन्यवाद
पम्मी सिंह 'तृप्ति'..✍️

8 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर भूमिका एवं.पठनीय सूत्रों से सजी बहुत सुंदर प्रस्तुति पम्मी दी।
    सादर।

    जवाब देंहटाएं
  2. अच्छी और स्तरीय रचनाएँ
    आभार..
    सादर...

    जवाब देंहटाएं
  3. सराहनीय प्रस्तुतीकरण
    लोहड़ी की शुभकामनाओं के संग बधाई

    जवाब देंहटाएं
  4. पम्मी सिंह 'तृप्ति' जी,
    यह मेरे लिए हर्ष का विषय है कि आपने मेरे नवगीत को "पांच लिंकों का आनन्द" में शामिल किया है। विद्वत ब्लॉगर्स तक मेरे नवगीत का पहुंचना मेरे लिए प्रसन्नतादायक है।
    हार्दिक आभार एवं धन्यवाद 🌹🙏🌹
    - डॉ शरद सिंह

    जवाब देंहटाएं
  5. पठनीय लिंक्स उपलब्ध कराने के लिए आभार।

    आपको एवं सभी ब्लॉगर साथियों को लोहड़ी की हार्दिक शुभकामनाएं 🌹🙏🌹

    जवाब देंहटाएं
  6. खूबसूरत प्रस्तुति आदरणीया ।
    रचना को स्थान देने के लिए हार्दिक आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत सुंदर संकलन मेरी रचना को स्थान देने पर तहेदिल से शुक्रिया ।

    जवाब देंहटाएं

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