निवेदन।


फ़ॉलोअर

शनिवार, 16 जनवरी 2021

2010... तट

 हाजिर हूँ/उपस्थिति स्वीकार करें...

जब बहुत सी परेशानियों से होकर जीतना, वह इतिहास रचना कहलाता है

भूत के अनुभव से भविष्य की सावधानी में वर्त्तमान सुखद बनाया जा सकता है

जिनका तदवीर पर वश होता तक़दीर कभी उनका साथ नहीं छोड़ती

जिस तट पर

जब आंधी‚ नाव डुबो देने की

अपनी ज़िद पर अड़ जाए‚

हर एक लहर जब नागिन बनकर

डसने को फन फैलाए‚

ऐसे में भीख किनारों की मांगना धार से ठीक नहीं‚

पागल तूफानों को बढ़कर आवाज लगाना बेहतर है।

किनारा

बढ़ते बढ़ते

रुक जाओगे तब तुम

झिझकोगे

निहारोगे मेरी ओर

पर नहीं पकड़ पाओगे

शब्दों का छोर

किनारा

धूप में जगमगाती हैं चीजें

धूप में सबसे कम दिखती है

चिराग की लौ

कभी-कभी डर जाता हूँ

अपनी ही आग से

जैसे डर बाहर नहीं

अपने ही अन्दर हो

तट

मेरी माँ बहुत कम खाती है

बहुत कम बोलती है

कम देखती है

कम ही सुनती है

हरदम जाने क्या क्या मन ही मन गुनती है

मेरी माँ घर में

सबसे कम जगह घेरती है।

तट

शरीर को अपने होने पर

कोई संदेह नहीं हैं ,

संदेह से भरी आत्मा ही

अनुमोदन चाहती है

और तरह -तरह के

प्रश्न करती है !

><><><><><

पुनः भेंट होगी...

><><><><><

5 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ संध्या दीदी
    बेहतरीन प्रस्तुति..
    सादर नमन...

    जवाब देंहटाएं
  2. सदा ही की तरह अनोखी
    सादर नमन।...

    जवाब देंहटाएं
  3. सकारात्मकता से भरपूर बहुत सुंदर अंक दी।
    सभी रचनाएँ बहुत अच्छी लगी हमेशा की तरह।

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत ही शानदार श्रम साध्य अंक आदरणीय दीदी! तट जीवन में सीमाओं और मर्यादाओं के परिचायक होते हैं। इंसान हो या कोई जलधारा अथवा समंदर, तट सबको थामे रखते हैं। जो इनकी मर्यादा भंग करता है उसका अहित तय है। आज की सभी रचनाएँ बहुत ज्यादा प्रभावी हैं।
    समुद्र तट पर आत्मा
    एक किताब पढ़ती है दर्शनशास्त्र की.
    शरीर से पूछती है आत्मा:
    वह क्या है जो जोड़ता है हमें?
    ये रचना मन को स्पर्श कर गई।
    बहुत बहुत शुभकामनाएं और बधाई इस सुंदर प्रस्तुति के लिए 🙏🙏❤🙏🙏

    जवाब देंहटाएं
  5. आदरणीय दीदी,
    अप्रतिम संकलन। रचनाओं ने तट पर बैठाकर नदियों में गोता लगवा दिया।
    सादर।

    जवाब देंहटाएं

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

टिप्पणीकारों से निवेदन

1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।




Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...