कुछ ख्याल...मन पाए विश्राम जहाँ
उससे बढ़कर न कुछ था न होगा जमाने में
उसी को आने दो हर बात, हर तराने में
लाख पर्दों में छिपा हो हीरा चमक खो नहीं सकता
जो सब कुछ है, वह कुछ नहीं में न हो, हो नहीं सकता
सुनो ऋतुराज जब आए
रंग फागुन संग लाए।
मिटाने रात अब श्यामल
आशा दीप जगमगाए।
नए पल्लव नयी कलियाँ
डाल संग लहराएंगी।
खिले सरसों खिले टेसू....
इस शहर के शजर... रंग बिरंगी एकता
नए पौधे
दरख़्तों में
बदल
जाएँगे,
फिर आब-ओ -हवा ताज़ादम
होगी,
रास्ते फिर
एक-दूसरे से होकर
गुज़रेंगे,
यह सुनहरी
मट्टी
फिर
से नम होगी!
वास्तव मे माता ही है गाय...किसी के इतने पास न जा
उनके चेहरे पर हल्की-सी मुस्कान उभरी उन्होंने खिड़की वापस बंद की और मेरे कंधे पर हाथ रख वापस सीमेंट के चबूतरे पर आ बैठे और बोले "ये जो तुम गुड़ के झूँठे टुकड़े देख रहे हो ना बेटे मुझे इनसे स्वादिष्ट आज तक कुछ नहीं लगता। जब भी मुझे वक़्त मिलता हैं मैं अक्सर इसी जगह आकर अपनी आत्मा में इस गुड की मिठास घोलता हूँ।"
लाल,पीले,गुलाबी बेर देख के चच्चा की आँखों में जो चमक आई कि दुवार पर का थूक भूल गए। चच्चा खाके देखो, खाने के लिए पियारी ज़ोर देने लगी। खट्ठे-मीठे बेर देख के किसका हाथ रुकता है। इकट्ठा भीड़ भी एक- एक बेर उठाने लगी और चच्चा तो जैसे टूट ही पड़े।
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आज बस यहीं तक
फिर मिलेंगे अगले गुरूवार।
रवीन्द्र सिंह यादव
बढ़िया अंक..
जवाब देंहटाएंआभार..
सादर..
उम्दा लिंक्स चयन
जवाब देंहटाएंसाधुवाद
बहुत सुन्दर।
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति अनुज रविन्द्र जी ।
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति....
जवाब देंहटाएंवाकई दिल को आनंदित करने वाली रचनाओं के लिंक्स से सजा अंक, बहुत बहुत आभार मन पाए विश्राम जहाँ को स्थान देने हेतु !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति, मेरी रचना को मंच पर स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय।
जवाब देंहटाएंGreat Sir, Very Nice Article Visit Godd Morning Status in Hindi
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