।। उषा स्वस्ति ।।"है वहाँ कोई चल रहा हैकभी आगे कभी पीछेकभी मेरे बराबर पर।सुबह की फूटी किरनबस पास मेरेहै उजाला औ' क्षणिकउल्लास मेरे ..."-दूधनाथ सिंह
जीवन की गहन प्रत्याशा को इंगित करती पंक्तियों संग नज़र डालें लिंको पर..✍️🔅🔅
विश्व हिंदी दिवस पर पढ़िए हिंदी की
कुछ बेहतरीन रचनाएं
ज़रा सोचें की रूठी सर्द रातों को कौन मनाए ?निर्मोही पलों को हथेलियों पर कौन खिलाए ?लहू ही है जो रोज़ धाराओं के होंठ चूमता हैलहू तारीख़ की दीवारों को उलांघ आता है
🔅🔅
मुकम्मल हुई ना अधूरी कहानी नहीं जिंदगी में रही रात रानी
मुझे तोड़ देने की कोशिश में प्यारे कहीं टूट जाये ना तेरी जवानी ...🔅🔅
आ०आशा लता सक्सेना जी...
हुआ अनोखा एहसास मुझे
यह कैसे हुआ क्या हुआमैं जानती कैसे अब मुझे विचार करना होगा ।
🔅🔅
दम घुटने के बाद की बची सांसें खर्च तो करनी ही होती हैं एक उम्र उन्हें खींचती रहती है जीने के लिए..🔅🔅
कुछ बेहतरीन रचनाएं
हुआ अनोखा एहसास मुझे
Dr (Miss) Sharad Singh |
सुंदर भूमिका एवं.पठनीय सूत्रों से सजी बहुत सुंदर प्रस्तुति पम्मी दी।
जवाब देंहटाएंसादर।
अच्छी और स्तरीय रचनाएँ
जवाब देंहटाएंआभार..
सादर...
सराहनीय प्रस्तुतीकरण
जवाब देंहटाएंलोहड़ी की शुभकामनाओं के संग बधाई
बहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंपम्मी सिंह 'तृप्ति' जी,
जवाब देंहटाएंयह मेरे लिए हर्ष का विषय है कि आपने मेरे नवगीत को "पांच लिंकों का आनन्द" में शामिल किया है। विद्वत ब्लॉगर्स तक मेरे नवगीत का पहुंचना मेरे लिए प्रसन्नतादायक है।
हार्दिक आभार एवं धन्यवाद 🌹🙏🌹
- डॉ शरद सिंह
पठनीय लिंक्स उपलब्ध कराने के लिए आभार।
जवाब देंहटाएंआपको एवं सभी ब्लॉगर साथियों को लोहड़ी की हार्दिक शुभकामनाएं 🌹🙏🌹
खूबसूरत प्रस्तुति आदरणीया ।
जवाब देंहटाएंरचना को स्थान देने के लिए हार्दिक आभार ।
बहुत सुंदर संकलन मेरी रचना को स्थान देने पर तहेदिल से शुक्रिया ।
जवाब देंहटाएं