जिसका कोई जवाब नहीं…
तू गर मुझमें हो !
जिंदगी का कोई ख्वाब नहीं…..
चमड़ी खुरचने के बाद
बहती चिपचिपी नदी का
नस्लों के आधार पर
मनुष्य की परिभाषा
तय करते श्रेष्ठता के
अपनी आत्मा की प्रतिध्वनि
भ्रामक लगती होगी...।
वो चंद पंक्तियाँ नहीं, जीवन था सारा,
मूक मनोभावों की, बही थी धारा,
संकोची मन को, कहीं, मिला था किनारा!
यूँ, कहीं भँवर न उठते,
किताबों में रख देने से पहले,
वो खत तो पढ़ लेते!
काव्य कॉमिक्स और फ्रीलेंस टैलेंट्स कॉमिक्स ..मोहितपन
शार्ट कॉमिक्स बनाई। इनमें मैंने हुसैन ज़ामिन, तदम ग्यादू समेत बहुत से कलाकारों के साथ काम किया चाहे उन्होंने पेंसिल,
सामान्य थीम पर किसी कहानी वाली कॉमिक और काव्य कॉमिक (इनमें कविता की लाइन के अनुसार दृश्य लगाए जाते थे।
शुरू ही कहां हुआ ....नीलम गुप्ता
लोग कहतें हैं कि
वक्त नहीं कटता
हम कहते कि
वक्त ही नहीं मिलता
दुश्मनी की चाहत ...नितीश तिवारी
दुश्मनी की चाहत और दोस्ती से तुम परहेज़ रखते हो,
मेरे लिए काँटे और अपने लिए फूलों की सेज रखते हो,
तुम्हारी ख़्वाहिश कि मैं ख़ाक हो जाऊँ दर्द-ए-तन्हाई में,
शायद इसलिए तुम चराग़-ए-नफ़रत बड़ी तेज़ रखते हो।
वही तो गाता है .. सुमन
किसी के
सोए पड़े तारों को
झनझना कर जगाता है !
हृदय के तारों पर
गीत वही तो गाता है !
हिंदी ..आत्ममुग्धा
वाक्य विन्यास बड़ा शानदार है।
हम ट्युर पर तो नहीं गये
पर ये बिना थपथपाहट वाली शाबासी
मुझे हमेशा के लिये याद रह गयी।
.....
आज बस
कल मिलिएगा पम्मी बहन से
सादर
आज का अंक
जवाब देंहटाएंवाकई शानदार है
आभार..
सादर..
असीम शुभकामनाओं के संग साधुवाद
जवाब देंहटाएंकुछ लिंक्स तो बेजोड़ लगे रोचक
वाहः
बहुत सुंदर प्रस्तुति आदरणीय सर।
जवाब देंहटाएंसभी सूत्र बहुत अच्छे हैं।
मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत आभार।
सादर।
शुभ प्रभात,
जवाब देंहटाएंसभी सार्थक,सुंदर लिंक्स दिए है
जिसमें मेरी रचना को शामिल करने के लिए
दिल से आभार !
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभार पटल। आदरणीया श्वेता जी की रचना अत्यंत प्रभावशाली लगी। इस पटल के माध्यम से रोज ही कई शानदार रचनाओं से हमें रुबरु करवाने हेतु शुक्रिया श शुभकामनाएँ। ।।।
उत्तम!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
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