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रविवार, 20 मई 2018

1038...कम्प्यूटर में वायरस

सादर अभिवादन...
आज हम हैं....आपकी अदालत में
ये नामालूम है कि क्या हुआ
कर्नाटक की संसद में..
कौन गुणा और कौन भागा


चलिए ले चलते हैं आज की पढ़-सुनी की ओर... 

तुम जीवित हो माने कैसे?...श्वेता सिन्हा

चित्र-मनस्वी प्रांजल
सोच नहीं बदलता ज़माना 
कभी नारी के परिप्रेक्ष्य में
बदलते युग के गान में दबी
सिसकियों को पहचाने कैसे?

बैठे हो कान में उंगलियाँ डाले
नहीं सुनते हो चीखों को?
नहीं झकझोरती है संवेदनाएँ?
मृत नहीं तुम जीवित हो माने कैसे?



पास की छोटी मछली भली होती है....कविता रावत

भालू को मारने से पहले उसके खाल की कीमत नहीं लगानी चाहिए
मछली पकड़ने से पहले ही उसके तलने की बात नहीं करनी चाहिए

हाथ आई चिड़िया आसमान उड़ते गिद्द से कहीं अच्छी होती है
दूर की बड़ी मछली से पास की छोटी मछली भली होती है



अफ़वाह.....राकेश श्रीवास्तव

कानों सुनी बातों का असर,
डाले ये, समझने पर असर
जगाता है झूठा अहंकार,
सजाता है नफ़रत का शहर.

आसां नहीं है सत्य का डगर, 
तय करता है ये लम्बा सफ़र,
टूटती है उम्मीदें कितनी,
शैतान इससे है बे-असर.

जीवन सरिता बहती जाती.....अनीता

सुख-दुःख मनहर तटों के मध्य
जीवन सरिता बहती जाती,
नित्य नवीन रूप धरकर फिर
माया के नित खेल रचाती !

कम्प्यूटर में वायरस (रहस्य कथा).....पुष्पेन्द्र द्विवेदी

लोनावला का एक सूनसान बंगला जिसमे शायद ही कोई रहता हो,
अरसे गुज़र गए इस बंगले के इर्द गिर्द कोई परिंदा भी भटका हो , 
वैसे ये बंगला एक बहुत बड़े फिल्म प्रोड्यूसर मिस्टर केशवदास मूलचंदानी का है , जो की ९० के दशक के मशहूर प्रोड्यूसर 
हुआ करते थे , अब वो इस दुनिया में नहीं रहे ,




हाथ पकडती है और कहती है.....रोहिताश घोड़ेला

ये सज़ा जो तूने पाई है, खैरात में बाँट
तेजाब से जले चहरे पर नकाब ना रख 

होगी किसी मजबूरी के तहत बेवाफईयाँ 
तू उसे सोचते वक्त नियत खराब ना रख 


खामोशी....पंकज प्रियम

दिल मे क्या गुजरी है ,कोई बताएगा क्या
जो गुजरा है लम्हा,लौट के आएगा क्या।

छोड़कर गए वो तन्हा हमें करके रूसवा
दिल में जो जख़्म बना,भर पाएगा क्या।


एक तस्वीर...पल्लवी गोयल

गुलाबी से इस शहर में 
गुलाबी सा नशा है उनका भी 
रात बीतती है इंतजार में उनके
और दिन ख्वाब  में उनके ही 
बंद आंखों में नशा-ए-इज़हार है  

इज़ाज़त दें दिग्विजय को
आदेश हुआ तो फिर मिलेंगे
सादर











11 टिप्‍पणियां:

  1. वाह...
    बेहतरीन.....
    आभार
    सादर....
    शुभ प्रभात

    जवाब देंहटाएं
  2. लाजवाब लिंक्स का समायोजन है आज के आनंद में.

    "ख़ामोशी" एक बेहतरीन गजल है..
    श्वेता जी की लेखनी का कोई सानी नही..
    पल्लवी जी :एक नई लेखिका की लेखनी भी मिली वो भी कमाल थी.

    लघु कथा पढकर बहुत मजा आया.


    मेरी गजल जो इस हलचल में शामिल है;कैसी है आप तय करें.

    आभार.

    जवाब देंहटाएं
  3. सुप्रभात, पठनीय रचनाओं से सुशोभित है आज की हलचल !शामिल करने के लिये आभार !

    जवाब देंहटाएं
  4. दिग्विजय जी, आभार, सुन्दर प्रस्तुति, इस चर्चा में सम्मलित सभी रचनाकारों को बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  5. सुंदर रचनाओं के संकलन में मेरी रचना को भी स्थान.देने के लिए हृदयतल से अति आभारी हूँ आपकी आदरणीय सर।

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत शानदार प्रस्तुति । सभी रचनाऐं बहुत सुंदर, चयनित रचनाकारों को बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  7. सुंदर लिंको का समायोजन..
    सभी चयनित रचनाकारों को बधाई
    धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  8. बेहतरिन प्रस्तुतिकरण उम्दा लिंक संकलन....

    जवाब देंहटाएं
  9. कल नेट से दूर रहने का खेद है, मेरी पोस्ट शामिल करने हेतु आभार!

    जवाब देंहटाएं

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