आज की विशेष रचना
प्रथम रचना ब्लॉग चिड़िया से
डाल से, टूटकर गिरता हुआ
फूल कातर हो उठा।
क्यूँ भला, साथ इतना ही मिला ?
कह रहा बगिया को अपनी अलविदा,
पूछता है शाख से वह अनमना -
"क्या कभी हम फिर मिलेंगे ?"
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दूसरी रचना ब्लॉग' मन के पाखी 'से।
इन दिनों सोचने लगी हूँ
एक दिन मेरे कर्मों का हिसाब करती
प्रकृति ने पूछा कि-महामारी के भयावह समय में
तुम्हें बचाये रखा मैंने
तुमने हृदयविदारक, करूण पुकारों,साँसों के लिए
तड़प-तड़पकर मरते
बेबसों जरूरतमंदों की क्या सहायता की?
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तीसरी रचना ब्लॉग' 'पुरवाई' से
कभी कोई सुखती, सुबकती नदी के मन को भी तो पढ़े।
आखिर वो कौन है जो उसके भीतर उतरकर
उसे पढ़ पाता है सिवाय एक कवि के
नदी
अंदर से जानी नहीं गई
केवल
सतही तौर पर देखी गई।
उसकी भीतरी हलचल
का कोई साझीदार नहीं है
प्रेम के पर्याय हैं श्री कृष्ण ।
श्री कृष्ण के प्रेम की भव्यता को दर्शाता
सखी कामिनी का एक भावपूर्ण लेख उनके
ब्लॉग "मेरी नज़र से' से
प्रेम और करुणा के पर्याय है " कृष्णा "
जिन्होंने बताया "जिसके हृदय में प्रेम के साथ करुणा का भी वास है
सही अर्थ में वही सच्चा धर्माचार्य है,
वही सच्चा भक्त है, वही सच्चा प्रेमी है।
अंत में प्रेम की सर्वोच्चता को इंगित करती एक हृदयस्पर्शी रचना
'अमृता तन्मय' जी के ब्लॉग से
सुंदर चयन
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
भाई साहब हार्दिक आभार और प्रणाम
हटाएंवाह! अत्यंत मनोरम संकलन। हार्दिक बधाई और आभार इस शानदार प्रस्तुति की🙏
जवाब देंहटाएंआदरणीय विश्व मोहन जी सादर आभार आपका🙏
हटाएंबहुत सुंदर सार्थक रचनाओं को समेटे एक सारगर्भित अंक के लिए धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंसप्रेम आभार और अभिनंदन प्रिय प्रिया जी🙏
हटाएंक्या बात है सखी, आज कई महीनों बाद तुम्हारे भेजे हुए लिंक को देखकर जैसे मैं नींद से जागी हूं और याद आया कि मेरी एक ये दुनिया भी थी, बहुत बहुत धन्यवाद सखी,आज तो नहीं कल सारे ब्लाग पर जाकर रचनाओं का आनंद भी उठाऊंगी और प्रतिक्रिया भी दुंगी। सभी संगी साथियों को मेरा सादर अभिवादन 🙏
जवाब देंहटाएंसखी तुमने आकर मनोबल को बढ़ाया, मुझे अच्छा लगा। हार्दिक स्नेह और अभिनंदन सखी 💕❤
जवाब देंहटाएंप्रिय रेणु,
जवाब देंहटाएंमैं तो भूल ही गई थी कि मेरे ब्लॉग पर यह रचना है.
आपने इस लिंक को ना भेजा होता तो पता भी नहीं चलता. जीवन के उतार चढ़ाव में हमसे सबसे पहले हमारे शौक ही छीने जाते हैं.
आपने बहुत अच्छी रचनाएँ चुनी हैं . बहुत सुंदर अंक बना है.
बहुत सारा स्नेह और आभार प्रिय बहन.
प्रिय मीना, यहाँ आकर प्रोत्साहित करने के लिए हार्दिक आभार। सच है ब्लॉग की तरफ मोड़ने के लिए भाई दिग्विजय जी ने अतुल्य प्रयास किया। ब्लॉग के शुरुआत के दिन कितने सुहाने थे। सच है जीवन की परेशानियों में हम सबसे पहले अपने शौक की बलि दे देते हैं। पर हमें एक बार फिर से अपने सृजन के संसार में लौटना होगा। आप भी अपने कर्तव्य का निर्वहन कर जरूर ब्लॉग की तरफ आओ। और इस प्रस्तुति को आकर्षक और मोहक हमारी रूप में सजाने और संवारने का श्रेय प्रिय श्वेता को जाता है। सब कुछ व्यवस्थित करने के लिए उसके लिए मेरा स्नेहाशीष बस। आभार तो बहुत छोटा शब्द है। और पांच लिंक मंच को स्नेह वंदन।
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