।।प्रातःवंदन।।
"है बहुत अंधियार अब #सूरज निकलना चाहिए,
जिस तरह से भी हो ये मौसम बदलना चाहिए।
छीनता हो जब तुम्हारा हक़ कोई उस वक़्त तो
आँख से आँसू नहीं शोला निकलना चाहिए !"
गोपालदास 'नीरज'
बहुत कुछ कहकर,थोड़ा संभलकर लिजिए बुधवारिय प्रस्तुतिकरण..
बहुत कुछ छूट गया
बहुत कुछ छोड़ दिया
ज़िन्दगी न ठहरी, न थमी
चलती रही, फिरती रही
न कोई राह दिखाने वाला
न कोई साथ निभाने वाला
✨️
कुछ फायकू
✨️
अलसाई सहर पैबंद सरीखी सी कायनात बीच l
कयामत खलल ख्वाबों ख्यालों अफ़सानों बीच ll
धूप अरदास धूनी कौतूहल सी लागत दर्पण नीर l
पुकार हृदय मांझी नृत्य साधना यौवन सागर क्षीर ll
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मुझे भी तुमसे कुछ ऐसा सुनना है
जैसे मार्केज़ ने कहा था मर्सिडीज़ से
और मैं ख़ुद को उसके बाद
झोंकना चाहूँगी
इंतज़ार की भट्टी में
वह इंतज़ार
जो क़िस्मत से पूरा हो
वह इंतज़ार..
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।।इति शम।।
धन्यवाद
पम्मी सिंह 'तृप्ति'..✍️
सुंदर अंक
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