शीर्षक पंक्ति: आदरणीया विभा ठाकुर जी की रचना से।
सादर अभिवादन।
गुरुवारीय अंक में पढ़िए पाँच पसंदीदा रचनाएँ-
कविता | कुछ लोग | डॉ (सुश्री) शरद सिंह
कुछ लोग नहीं जानते
कि क्या खो रहे हैं वे!
*****
मैंने देखा
है
सत्य को न
केवल
पराजित होते
बल्कि
दम तोड़ते
हुए भी
*****
वक्त कम था अरमान बड़े थे
इच्छाएँ सस्ती थी, ज़रूरते महंगी
एक को चुना तो दूसरी हाथ से फिसल जाती
दूसरे को पकड़ना चाहा तो
पहली आँख से ओझल हो गयी
*****
उनके आकर्षण
से
शब्द बादल
बन बरसते हैं
मन की घाटी
से तब
शब्दों के
धार निकलते हैं
*****
फिर मिलेंगे।
रवीन्द्र सिंह यादव
सुंदर अंक
जवाब देंहटाएंवंदन
बहुत ही सुन्दर संग्रहणीय प्रस्तुति, मेरी प्रस्तुति को स्थान देने के लिए आभार 🙏🙏
जवाब देंहटाएंसुप्रभात !!सुंदर प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंसुंदर अंक
जवाब देंहटाएंसुंदर अंक
जवाब देंहटाएंव्वाहहह
जवाब देंहटाएंसादर