सादर अभिवादन
नई रचनाए कोई नहीं
बस आज इतना ही
कुछ सोच .....
होते हैं रचनाओं से रूबरू
लोकतंत्र का रूप घिनौना,
क्या सुन्दर हो जाएगा?
राम-राज का सपना क्या,
भारत में सच हो जाएगा?
यह सब अगर नहीं हो पाया,
जीत-हार बेमानी है.
राजा सुखी, प्रजा पिसती है,
हरदम यही कहानी है.
वहशत, नफ़रत, खूंरेज़ी की
हर इक सोच, मिटानी है.
नहीं चाहिए जंग हमें अब,
शांति-ध्वजा फहरानी है.
जो कभी प्रेम की संवाहक थीं,
लौटती डाक में आकर
प्रेम की मज़ार बन गईं।
कभी कभी उन्हें पढ़ कर ही
चमकती आंखों का दीया दिखाता हूँ
चिट्ठियां लिखी जानी चाहिए।
पत्नी मूड अगर हो बिगड़ा
नहीं चाहते घर में झगड़ा
पुरुषत्व पर तुम मत ऐंठो
बेहतर है चुप होकर बैठो
कुछ ही देर में देखोगे तुम
बदल जाएगा घर का मौसम
चार मिनट चुप्पी तुम्हारी
करती दूर मुसीबत सारी
भले तुम्हारी बात सही हो
पत्नी जी ही गलत रही हो
लेकिन उस क्षण में विवाद के
रहो सदा तुम मौन साध के
यदि कुछ बोला तो भुगतोगे
*****
आज बस
सादर वंदन
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