शीर्षक पंक्ति: आदरणीया डॉ. (सुश्री) शरद सिंह जी की रचना से।
सादर अभिवादन।
गुरुवारीय अंक में आज पढ़िए पाँच पसंदीदा रचनाएँ-
कविता | प्रेम | डॉ (सुश्री) शरद सिंह
वहीं
कलुषित भावनाएं
औंधे दिए-सी
ढांक देती है
मन के हर कोने को
अंधेरों से
बस, परखना
कलुष और पवित्रता को
छल को, छद्म को, कपट को
*****
सिंदूर मेट
कर छल-कपट कर
छद्म की
ढाल के पीछे छुप कर ..
तुमने जो
किया पीठ पर वार!
थपथपाओ न
अपनी पीठ अरे ढीठ!
उजङे सुहाग
पर अक्षय है सौभाग्य!
*****
लोग हमें भूल जायेंगे
इस तरह
जैसे कि कभी था ही नहीं
अस्तित्त्व हमारा
इस दुनिया में
हमारे हाथ में है ‘आज’
*****
बांग्लादेश में अराजकता और संशयों की लहरें
इस दुनिया में हमारे हाथ में है ‘आज’
जवाब देंहटाएंसुंदर अंक
आभार
वंदन
बहुत सुन्दर रचनाएं। सभी चयनित रचनाकारों को बधाई।
जवाब देंहटाएंसुप्रभात, बरसात से गीली इस भोर में सभी रचनाकारों व पाठकों को शुभकामनाएँ, सुंदर अंक, आभार!
जवाब देंहटाएंसुंदर अंक
जवाब देंहटाएंधन्यवाद, रवीन्द्र जी । भावनाओं और तथ्यों का प्रभावशाली मिश्रण । सभी को बधाई!
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