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गुरुवार, 29 मई 2025

4503...कलुषित भावनाएं औंधे दिए-सी ढांक देती है मन के हर कोने को...

शीर्षक पंक्ति: आदरणीया डॉ. (सुश्री) शरद सिंह जी की रचना से।

सादर अभिवादन।

गुरुवारीय अंक में आज पढ़िए पाँच पसंदीदा रचनाएँ-

कविता | प्रेम | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

वहीं

कलुषित भावनाएं

औंधे दिए-सी

ढांक देती है

मन के हर कोने को

अंधेरों से

बस, परखना

कलुष और पवित्रता को

छल को, छद्म को, कपट को

*****

सौभाग्यवती भव!

सिंदूर मेट कर छल-कपट कर

छद्म की ढाल के पीछे छुप कर ..

तुमने जो किया पीठ पर वार!

थपथपाओ न अपनी पीठ अरे ढीठ!

उजङे सुहाग पर अक्षय है सौभाग्य!

*****

चुनाव हमारा है

लोग हमें भूल जायेंगे

इस तरह

जैसे कि कभी था ही नहीं

अस्तित्त्व हमारा

इस दुनिया में

हमारे हाथ में है आज

*****

वक्त

होते हैं कुछ लोग

व्यस्त बहुत

या करते हैं दिखावा

व्यस्तता का।

*****

बांग्लादेश में अराजकता और संशयों की लहरें

पार्टी के उद्घाटन समारोह में नाहिद इस्लाम ने कहा था, बांग्लादेश का फिर कभी विभाजन नहीं होगा और देश में भारत या पाकिस्तान समर्थक राजनीति के लिए कोई जगह नहीं होगी. पार्टी का प्राथमिक लक्ष्य बांग्लादेश में 'दूसरे गणराज्यकी स्थापना के लिए एक नया संविधान तैयार करना है, जिसके लिए संविधान सभा का गठन किया जाएगा.

*****

फिर मिलेंगे। 

रवीन्द्र सिंह यादव 

 


5 टिप्‍पणियां:

  1. इस दुनिया में हमारे हाथ में है ‘आज’
    सुंदर अंक
    आभार
    वंदन

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुन्दर रचनाएं। सभी चयनित रचनाकारों को बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  3. सुप्रभात, बरसात से गीली इस भोर में सभी रचनाकारों व पाठकों को शुभकामनाएँ, सुंदर अंक, आभार!

    जवाब देंहटाएं
  4. धन्यवाद, रवीन्द्र जी । भावनाओं और तथ्यों का प्रभावशाली मिश्रण । सभी को बधाई!

    जवाब देंहटाएं

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