सादर अभिवादन
कुछ सोच .....
कुछ सोच कर ही मिलाया होगा
ऊपरवाले ने , आज तक मेरे
इतने करीब कोई नहीं आया.....
देखें कुछ रचनाएं
मैं से मोक्ष...बुद्ध
मैं
नित्य सुनती हूँ
कराह
वृद्धों और रोगियों की,
निरंतर
देखती हूँ
अनगिनत जलती चिताएँ
परंतु
नहीं होता
मेरा हृदयपरिवर्तन।
महिलाओं में ही नहीं,
मैं पुरुषों में भी खोजता हूं मां,
इंसानों में ही नहीं,
जानवरों में, परिंदों में,
पेड़ पौधों में,
फूल पत्तियों में,
यहां तक कि निर्जीव चीज़ों में भी
मैं खोजता हूं मां।
बांहें पसार भारत ने किया सत्कार,
यहाँ जो भी मित्र भाव से आया !
पर डर कर कभी न सिर झुकाया !
कायरों ने पीठ पीछे किया घात,
मारा निहत्थों को, उजाङा सुहाग !
भारत न भूलेगा ये अक्षम्य अपराध !
युद्ध के बाद की कुछ कवितायें
युद्ध के बाद शायद फिर बैठ सकूं
उस टेरेस पर जहाँ बैठती थी तुम्हारे साथ
और जी सकूं गुजरती हुई दोपहर को
देखते हुए आसमान के बदलते हुए रंग
मन के किसी उदास कोने में याद है तुम्हारी
और उन खोए हुए सुख के दिनों की जो हमने साथ जिए
कामना है इतनी सी कि काश कोई होता
जो पुकारता मेरा नाम
ठीक वैसे ही जैसा पुकारते थे तुम.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में कुछ तो खास है कि वे अपने विरोधियों के निशाने पर ही रहते हैं। इसका खास कारण है कि वे अपनी विचारधारा को लेकर स्पष्ट हैं और लीपापोती, समझौते की राजनीति उन्हें नहीं आती। राष्ट्रहित में वे किसी के साथ भी चल सकते हैं, समन्वय बना सकते हैं, किंतु विचारधारा से समझौता उन्हें स्वीकार नहीं है। उनकी वैचारिकी भारतबोध, हिंदुत्व के समावेशी विचारों और भारत को सबसे शक्तिशाली राष्ट्र बनाने की अवधारणा से प्रेरित है। यह गजब है कि पार्टी के भीतर अपने आलोचकों पर भी उन्होंने कभी अनुशासन की गाज नहीं गिरने दी,यह अलग बात है कि उनके आलोचक राजनेता ऊबकर पार्टी छोड़ चले जाएं। उन्हें विरोधियों को नजरंदाज करने और आलोचनाओं पर ध्यान न देने में महारत हासिल है। इसके उलट पार्टी से नाराज होकर गए अनेक लोगों को दल में वापस लाकर उन्हें सम्मान देने के अनेक उदाहरणों से मोदी चकित भी करते हैं।
विकास - राष्ट्रवाद की राष्ट्र में
बातें जब कभी होतीं !
सूख रह पेड़ों की टहनियां -पत्ते
वे भी हिलते !
*
पूर्वांचल में विकास आया
कछुओं ने गुनगुनाया
सभाओं से फरमाया करते
अपना बंटाधार सुनाया ?
*
हो रहे हिन्दुओं पर आक्रमण
घूम रहे फिरकापरस्त
हिन्दुओं - छिना आत्म रक्षात्मक
सत्तर साल का इतिहास
*****
आज बस
सादर वंदन
सुंदर संकलन. आभार
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