निवेदन।


फ़ॉलोअर

सोमवार, 12 मई 2025

4486...जब युद्धभूमि में जाना हो प्रभु परशुराम को याद करो...

शीर्षक पंक्ति : आदरणीय जयकृष्ण राय तुषार जी की रचना से।

सादर अभिवादन।

आइए पढ़ते हैं BLOGGER.COM पर प्रकाशित रचनाएँ-

दोहे "मातृ-दिवस" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

जिनके सिर पर है नहीं, माँ का प्यारा हाथ।

उन लोगों से पूछिए, कहते किसे अनाथ।।

--

लालन-पालन में दिया, ममता और दुलार।

बोली-भाषा को सिखा, करती माँ उपकार।।

*****

युद्ध के बाद की कुछ कवितायें

युद्ध के बाद शायद फिर बैठ सकूं
उस टेरेस पर जहाँ बैठती थी तुम्हारे साथ
और जी सकूं गुजरती हुई दोपहर को
देखते हुए आसमान के बदलते हुए रंग
मन के किसी उदास कोने में याद है तुम्हारी
और उन खोए हुए सुख के दिनों की जो हमने साथ जिए

*****

1460-पिता को एक शब्दांजलि

रहे ओढ़कर सदा कठोरता,

प्रेम हृदय का देख ना पाए।

सारे सुख लिख दिए भाग्य में

बिना बड़प्पन बिना जताए।।

*****

महिला दिवस

नारी के लिए हर दिन नया है सब कुछ अलग है

नारी हर पल को जीती है हर पल को संजोती है

कभी माँ तो कभी पत्नी तो कभी गुरु का फ़र्ज़ निभाती है।

*****

एक युद्धगान-अब धर्मयुद्ध छोड़ो अर्जुन

जब युद्धभूमि में

जाना हो

प्रभु परशुराम को याद करो,

जिसकी कुदृष्टि

हो भारत पर

उसको समूल बर्बाद करो

सपना अखण्ड

भारत माँ का

अब तो वीरों साकार करो.

 *****

फिर मिलेंगे।

रवीन्द्र सिंह यादव


3 टिप्‍पणियां:

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

टिप्पणीकारों से निवेदन

1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।




Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...