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शुक्रवार, 29 जनवरी 2021

2023 ...विषैले सांप कुचले जायेंगे,ये मेरा वादा है

शुक्रवारीय अंक में
आप सभी का स्नेहिल अभिवादन
------
चश्मों से
परावर्तित होकर
बनने वाले परिदृश्य
अब समझ में नहीं आते 
तस्वीरें धुंधली हो चली है
निकट दृष्टि में आकृतियों की
भावों की वीभत्सता से
पलकें घबराहट से
स्वतः मूँद जाती हैं,
दूर दृष्टि में
विभिन्न रंग के
सारे चेहरे एक से... 

#श्वेता

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आइये आज की रचनाएँ पढ़ते हैं-

सोचों की रोशनदानविहीन वातानुकूलित कमरों में मानो ऐ साहिब!
अपनापन की गौरैयों का पहले जैसा रहा आवागमन भी अब कहाँ ?
रूहानियत बेपता, रुमानियत लापता, मिलते हैं अब मतलब से सब,
प्यार से सराबोर जीता था मुहल्ला कभी, वो जीवन भी अब कहाँ ?



सोन चिरैया सुख सपना
विकट विदाही विकलता
कली से कमलिनी का क्लेश
क्षण-क्षण क्षत हो छलकता


यूं ही नहीं आता वसंत
लड़नी होती है, लंबी लड़ाई
धूप को
कोहरे के साथ।

मेरी गलियों की मिट्टी से, तुम्हारी सांस रुकती है 
खिले हर फूल की खुशबू, तुम्हारे दिल में चुभती है 
मगर जो ठान बैठे हैं,वो भागीरथ इरादा है 
विषैले सांप कुचले जायेंगे,ये मेरा वादा है 



भाग्य में शून्य स्तूप आया,
बदल दे हाथ के लकीरों
को, ऐसा कोई
मेहरबाँ न
मिला,
ज़िन्दगी जीने के लिए, सभी
दौड़े जा रहे हैं बेतहाशा,
नए दिन के साथ
नए षड्यंत्र,
वही

लुहार


पास ही की सीट पर बैठे एक हेंडसम नौजवान ने हाथ का इशारा किया और लड़की को अपनी सीट दी,हल्की मुस्कान के साथ दोनों ने एक-दूसरे का स्वागत किया। लड़की अब सहज अवस्था में थी। सीट मिलते ही वह अपने आपको औरों की तुलना में बेहतर समझने लगी।
....
कल मिलिएगा विभा दीदी से

10 टिप्‍पणियां:

  1. वजनदार रचनाओं का संकलन
    साधुवाद
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  2. कहानी अच्छी लगी.
    बेहतरीन लिंक्स!

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत ही सुंदर सराहनीय संकलन।
    मुझे स्थान देने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया श्वेता दी।
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  4. आकर्षक एवं मनमोहक प्रस्तुति के लिए हार्दिक आभार एवंं शुभकामनाएँ ।

    जवाब देंहटाएं
  5. सुन्दर संकलन व प्रस्तुति, मुझे शामिल करने हेतु असंख्य आभार आदरणीया श्वेता जी - - नमन सह।

    जवाब देंहटाएं

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