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बुधवार, 15 अप्रैल 2020

1734..अरसे बाद मिली है फुरसत..



।। भोर वंदन ।।
कुछ हँसकर बोल दो
    कुछ मुस्कुरा कर टाल दो
परेशानियाँ तो बहुत हैं अभी
       कुछ वक्त पर डाल दो..
भारत में 21 दिन के लॉकडाउन के बाद लॉकडाउन 19 दिन और बढ़ाया गया। 
ये 40 दिन कोरोना के ख़िलाफ़ लड़ाई में निर्णयक होंगे..? 
चलिए.. अभी जो है उसी से निपटते है..घर में ही रहकर खुद और दुनिया जहां को 
संभालते हुए नजर डालें आज की लिंकों पर..✍

     🌸🌸🌸
  

आ० प्रसन्न वदन चतुर्वेदी..ग़ज़ल :

कितने झंझावात सहे हैं, हम ये दुःख भी सह लेंगे |
दर-दर भटका करते थे हम, अपने घर में रह लेंगे|

अरसे बाद मिली है फुरसतध, हर अपने से मिलने की,
कुछ सुन लेंगे उनकी हम कुछ अपने दिल की कह लेंगे..
🌸🌸🌸


तुम्हें सामने खड़ा करके बुलवाता हूँ कुछ प्रश्न तुमसे ... फिर देता हूँ जवाब खुद को, खुद के ही प्रश्नों का ... हालाँकि बेचैनी फिर भी बनी रहती है ... अजीब सी रेस्टलेसनेस ... आठों पहर ...   

पूछती हो तुम ... क्यों डूबे रहते हो यादों में ... ?
मैं ... क्या करूँ
समुन्दर का पानी जो कम है डूबने के लिए...

🌸🌸🌸


आदरणीय इसलिए लिख रही हूँ क्योंकि आपको गालियाँ देते हुए इतने पत्र आते होंगे कि आपने आगे का पत्र पढ़ना बंद ही कर दिया होगा। पर मेरे इस पत्र पर आपका ध्यान खींचना आवश्यक था, इसीलिए ऐसे प्रारम्भ

🌸🌸🌸


एक कोप कोरोना बनकर
खेल रहा है आँख मिचौली।
घूँघट बदली का है पतला
यही सूर्य से धरती बोली ..

🌸🌸🌸


आ० डॉ जफ़र जी के खूबसूरत शब्दों के साथ ...

तुम दूर हो या पास हो
मेरे दिल में एक ख़ुशनुमा एहसास हो...
सवाल हो ख़्याल हो,
मेरी खामोशी हो मेरा राज हो,
मैं तुम्हारा गीत हूँ तुम मेरी आवाज हो,
हर सुबह का रंग हो,
मेरी सब शाम की उमंग हो..
🌸🌸🌸
इस सप्ताह का विषय
यहाँ देखिए

🌸🌸🌸
।। इति शम ।।
धन्यवाद
पम्मी सिंह ‘तृप्ति’ पूजिता..✍



12 टिप्‍पणियां:


  1. आम चुनावों में 5-10 करोड़ रुपये यूँ ही खर्च कर देने वाले राजनेता और माननीयों की भी जिम्मेदारी बनती है कि वे मानवता का कुछ तो परिचय दें। यह विधायक और संसद निधि का क्या शोर मचा रखा है। अपने जेब से खाली हैं क्या वे ? लॉकडाउन में जनता उनकों परखना न भूले।
    सुंदर भूमिका एवं प्रस्तुति।

    जवाब देंहटाएं
  2. उम्दा लिंको से सजी शानदार प्रस्तुति...
    सभी रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएं।
    कुछ हँसकर बोल दो
    कुछ मुस्कुरा कर टाल दो
    परेशानियाँ तो बहुत हैं अभी
    कुछ वक्त पर डाल दो..
    वाह!!!

    जवाब देंहटाएं
  3. वेहतरीन प्रस्तुति
    आभार..
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  4. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  5. वाह
    सुंदर संकलन, मेरे शब्दों को भी स्थान देने के लिए धन्यवाद।

    एक कोप कोरोना बनकर
    खेल रहा है आँख मिचौली।
    घूँघट बदली का है पतला
    यही सूर्य से धरती बोली ..

    बेहतरीन

    जवाब देंहटाएं
  6. बेहतरीन लाजवाब लिंक्स ...
    भीनी सी इस हलचल में मेरी रचना शामिल कारने का बहुत आभार ...

    जवाब देंहटाएं
  7. आइए इस फुर्सत में सब मिल कर सर्वशक्तिमान से इस संकट से जल्द छुटकारा दिलाने की प्रार्थना करें !

    जवाब देंहटाएं
  8. बेहतरीन लिंक्स में मेरे ब्लॉग को स्थान देने के लिए आपका विशेष आभार..... उत्तम प्रस्तुतिकरण के लिए बधाई...

    जवाब देंहटाएं

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