शुक्रवारीय अंक मेंं
आप सभी का
स्नेहिल अभिवादन
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संकट के इस दौर में भी
धर्म शब्द का जोर से उच्चारण
सांप्रदायिकता का तमगा
पहना जाता है।
जाने कौन सा चश्मा
पहनते है लोग ज़माने के
मतभेद से उत्पन्न व्यवहार
मनभेद जाता है।
आजकल
बेचैन हृदय बार-बार
बस एक ही सवाल
दोहराता है
क्या सचमुच एकदिन
मर जायेगी इंसानियत?
क्या मानवता स्व के रुप में
अपनी जाति,अपने धर्म
अपने समाज के लोगों
की पहचान बनकर
इतरायेगी?
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आइये आज की रचनाएँ पढ़ते हैं-
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हमने जिनकी ख़ातिर जग से बैर लिया...
रिश्तों में भी वो अनजाने देखे हैं...!
रुक जाते हैं आते आते लब तक जो...
दिल में ऐसे दफ़्न तराने देखे हैं...!
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बला आयी है तो जाना भी होगा
अभी चाहे हमें जितना नचा ले
अभी हरगिज न सौंपेंगे सफीना
समंदर शोर कितना भी मचा ले
मुसीबत की उमर लम्बी न होगी
अगर ये पैर घर में ही नजमा ले
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हरित चुनरिया धूसर है अब ,
कंक्रीटों के वन भारी ।
जंगल मरघट से दावानल,
विपदा आएगी भारी ।
प्रसू अम्बिका माँ को अपनी ,
अपने हाथों चूट रहे ।।
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झाड़ू के समय तो हम लोगों की यही कोशिश होती है कि उस समय रूम
में कोई न हो. वरना झाड़ू पूरी होने से पहले ही, "हेहे जरा पंखा चालू कर जाना. बहुत गर्मी है." सुनते ही ऐसी आग लगती है कि "हाँ, जी पंखा काहे ए.सी. में बैठो! हम तो कैलाश पर्वत पर पसरे जलेबियाँ उड़ा रहे हैं न!"
उस पर हर घर में ऐसा एक सदस्य भी जरुर ही होता है जो आपके
कमरे से एन बाहर निकलने के समय ही टोककर कहे, "वो उधर,
थोड़ा कचरा रह गया है."
आय-हाय! इन्हें दो-दो मीटर तक फैलाया अपना सामान तो आज तक न दिखा पर सुई की नोक सा कचरा फट से दिख गया!
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और चलते-चलते
बेहद प्रेरक और सार्थक संदेश
★★★★★
आज का यह अंक आपको कैसा लगा?
आपकी प्रतिक्रियाओं की प्रतीक्षा रहती है।
हमक़दम का विषय
कल का अंक
पढ़ना न भूलें
कल आ रही हैं विभा दी
अपनी विशेष प्रस्तुति के साथ।
उम्दा लिंक्स चयन
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति आदरणीया ! खूबसूरत लिंक्स ।
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को स्थान देने के लिए हार्दिक आभार ।
श्वेता जी ! सुप्रभातम् आपको और आभार आपका इस प्रयास "पर्ची" को अपने मंच पर साझा करने के लिए ... साथ ही आपका और यशोदा जी का अतिरिक्त आभार इस Google Drive Film को Youtube Channel में परिवर्तित करने का प्रयास कर योगदान देने के लिए ...
जवाब देंहटाएंपुनः पाँच लिंकों का आनंद का मन से आभार ...
बढिया चयन
जवाब देंहटाएंबधाई भाई सुबोध जी को
प्यारी व शिक्षाप्रद फिल्म के लिए
ये हमारे चैनल का छठा वीडियो है
आभार भाई सुबोध जी को
सादर...
वाह!!बेहतरीन प्रस्तुति श्वेता !
जवाब देंहटाएंलाजवाब
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति श्वेता जी ,सभी लिंक्स शानदार ,सादर नमन आपको
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंक्स
जवाब देंहटाएंसुंदर।
जवाब देंहटाएंबहुत शानदार भूमिका के साथ शानदार लिंक चयन
जवाब देंहटाएंसभी प्रस्तुतियां आकर्षक।
सभी रचनाकारों को बधाई।
मेरी रचना को शामिल करने केलिए हृदय तल से आभार।