ताला बंदी मे समय काटना भी ज़रूरी है
ग़जल,अरबी भाषा के इस शब्द का अर्थ है
औरतों से या औरतों के बारे में बातें करना।
ग़ज़ल एक ही बहर और वज़न के अनुसार लिखे गए शेरों का समूह है। इसके पहले शेर को मतला कहते हैं। ग़ज़ल के अंतिम शेर को मक़्ता कहते हैं। मक़्ते में सामान्यतः शायर अपना नाम रखता है।
ये तो हुई ग़ज़ल की बात...पर इससे अलहदा हम
फिल्मी और गैर फिल्मी ग़ज़लों पर आते हैे
80 के दशक तक फिल्मों में ग़ज़लें
बाकायदा पेश की गई...
आज की फिल्मों में ग़ज़लों नामों-निशां नहीं है
महज़ ख़ाना-पूर्ति है
आज की शुरुआत में पेशे-ख़िदमत है
बेहतरीन भजन नुमा ग़ज़ल
उदाहरण में एक ग़ज़ल पेश किया गया था
फिल्म चौदहवीं को चाँद से था
..
चौदहवीं का चांद हो या आफताब हो
ख़ुदा की कसम लाज़वाब हो
हमारी टीम ने भी गज़लें भेजी है
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भाई श्री कुलदीप जी की पसंद
सखी पम्मी सिंह की पसंदीदा ग़ज़ल
तेरा हिज्र मेरा नसीब है
तेरा हिज्र मेरा नसीब है
तेरा गम
तेरा ग़म ही मेरी हयात है
मुझे तेरी दूरी का गम हो क्यों
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विभा दीदी को नमन
उनकी पसंदीदा ग़ज़ल
ये जो ज़िन्दगी की किताब है
ये किताब भी क्या किताब है|
कहीं इक हसीन सा ख़्वाब है
कहीं जान-लेवा अज़ाब है|
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भाई रवीन्द्र जी की पसंद
फिल्म बागी से
हमारे बाद अब महफ़िल में अफ़साने बयाँ होंगे।
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सुबोध भाई की पसंद
सामने है जो उसे लोग बुरा कहते हैं
जिसको देखा ही नहीं उसको ख़ुदा कहते हैं
ज़िन्दगी को भी सिला कहते हैं कहनेवाले
जीनेवाले तो गुनाहों की सज़ा कहते हैं
सखी रेणुबाला की पसंदीदा ग़ज़ल
वो चुप रहें तो मेरे दिल के दाग़ जलते हैं
वो चुप रहें तो मेरे दिल के दाग़ जलते हैं
जो बात करले, जो बात करले तो बुझते चिराग जलते हैं
वो चुप रहें तो मेरे दिल के दाग़ जलते हैं
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साधना दीदी की पसंदीदा ग़ज़ल
जाने वो कैसे लोग थे जिनके
प्यार को प्यार मिला
हमने तो जब कलियाँ माँगी
काँटों का हार मिला
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कामिनी सिन्हा जी का पसंदीदा ग़ज़ल
कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता
कहीं ज़मीं तो कहीं आसमाँ नहीं मिलता
बुझा सका है भला कौन वक़्त के शोले
ये ऐसी आग है जिसमें धुआँ नहीं मिलता
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आशा सक्सेना की पसंदीदा ग़ज़ल
यूँही कोई मिल गया था, यूँही कोई मिल गया था
सरे राह चलते चलते, सरे राह चलते चलते
वहीं थमके रह गई है, वहीं थमके रह गई है
मेरी रात ढलते ढलते, मेरी रात ढलते ढलते
मेरी पसंदीदा ग़ज़ल
रजिया सुल्तान से
ऐ दिल-ए-नादान
आरज़ू क्या है?
जुस्तजू क्या है?
ऐ दिल-ए-नादान
ऐ दिल-ए-नादान
आरज़ू क्या है?
जुस्तजू क्या है?
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सखी श्वेता की पसंद
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आज जाने की ज़िद न करो
और हमारे श्रीमान जी की फरमाईश़ पर
क्लासिक पिल्म गमन की एक ग़ज़ल
सूचना किस तरह दें समझ नही पाए हम
सो इसे ही सूचना जानें
नए विषय के लिए कल का अंक देखना न भूलें
और चलते-चलते एक मुज़रा सुने
सादर
वाह! वाह!! और सिर्फ़ वाह!!! अब थोड़ा हम भी गुनगुना ही लें : -
जवाब देंहटाएंमुझे फूँकने के पहले मेरा दिल निकाल लेना
किसी और की ये अमानत, कहीं साथ जल न जाए!.........!
स्वस्थ्य रहें दीर्घायु हों
हटाएं🙏🙏🙏
हटाएंसदा स्वस्थ्य रहें व दीर्धायु हों छोटी बहना
जवाब देंहटाएंसंग्रहनीय उम्दा संकलन
आज की नई प्रयोगात्मक पहल वाली प्रस्तुति के लिए आभार आपका यशोदा बहन .. आज का लॉकडाउन वाला सारा दिन आज की प्रस्तुति में एक निर्गुणमय गज़ल की शुरुआत के साथ-साथ सभी की पसंदीदा ग़ज़ल ग़ज़लमय कर जाने के लिए काफी है।
जवाब देंहटाएंएक और गज़ल जो 1982 की फ़िल्म "साथ-साथ" से है, अगर उसको ना शामिल किया या सुना जाए तो आज की महफ़िल/प्रस्तुति अधूरी रह जायेगी .. शायद ...
प्यार मुझसे जो किया तुमने तो क्या पाओगी
प्यार मुझसे जो किया तुमने तो क्या पाओगी
मेरे हालात कि आंधी में बिखर जाओगी
प्यार मुझसे जो किया तुमने तो क्या पाओगी
रंज और दर्द कि बस्ती का मैं बाशिंदा हूँ
यह तो बस मैं हूँ के इस हाल में भी जिंदा हूँ
ख्वाब क्यों देखूं वोह कल जिसपे मैं शर्मिंदा हूँ
मैं जो शर्मिंदा हुआ तुम भी तो शर्माओगी
प्यार मुझसे जो किया तुमने तो क्या पाओगी
क्यों मेरे साथ कोई और परेशां रहे
मेरी दुनिया है जो वीरान तो वीरान रहे
जिन्दगी का यह सफ़र तुम पे तो आसान रहे
हम सफ़र मुझको बनाओगी तो पछताओगी
प्यार मुझसे जो किया तुमने तो क्या पाओगी
एक मैं क्या अभी आएंगे दीवाने कितने
अभी गूंजेंगे मोहब्बत के तराने कितने
जिन्दगी तुमको सुनाएगी फ़साने कितने
क्यों समझती हो मुझे भूल नहीं पाओगी
प्यार मुझसे जो किया तुमने तो क्या पाओगी
मेरे हालात कि आंधी में बिखर जाओगी
प्यार मुझसे जो किया तुमने तो क्या पाओगी ...
वाह! सुबोध जी, खूब याद दिलाया आपने । कालजयी रचना और अमर गायक। कोटि आभार आपका🙏🙏
हटाएंएक से बढ़कर एक गजलों की बहार काबिले तारीफ है
जवाब देंहटाएंएक से बढ़ कर एक गजल है |मेरी पसंद की गजल को शामिल करने के लिए धन्यवाद जी |
जवाब देंहटाएंवाह!वाह!सखी यशोदा जी ,दिल खुश हो गया ...।इतनी खूबसूरत गज़लें एक साथ ....सभी ऊक से बढकर एक ।मेरी पसंद को शामिल करनें के लिए तहेदिल से शुक्रिया 🙏
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंसुप्रभात और प्रणाम🙏🙏
जवाब देंहटाएंवाह! वाह!! सिर्फ वाह आदरणीय दीदी। 👌👌👌👌 साहिर का शेर याद आया
महफ़िल में तेरी यूँ ही रहे जश्न-ए-चरागां,
आँखों में ही ये रात गुज़र जाए तो अच्छा
ये अलग बात है , कि महफ़िल सुबह सजतीहै। अपने प्रिय सहयोगियों की पसंद जानना और सुनना कितना आनंद दे रहा है कि उस शब्दों में व्यक्त नही कियाजा सकता। सखी शुभा जीकीपसंद की ग़ज़ल तो मेरी सबसे पसंदीदा ग़ज़लों में से एक है। यूँ भी जहाँआरा फिल्म की तमाम ग़ज़लोंके बिना मेरी पसंद पूरी नही होती।
फिर वही शाम वही गम वही तनहाई है
दिल को समझाने तेरी याद चली आई है---तो मेरी सबसे पसंदीदा में शुमारहै। सभी को बहुत बहुत बधाई इस महफिले ग़ज़ल का हिस्सा बन के लिए। और सूचना के बिना मंच का हिस्सा बनना बहुत सुखद है। आपकी याद आती रही तो मानों एके मुद्दत बाद सुन रही हूँ। सादर आभार दीदी इस जोरदार प्रस्तुति के लिए। आशा ये इस तरह के प्रयोग भविष्य में भर जारी रहेगे। सादर🙏🙏💐💐💐💐💐💐
आज तो संगीतमय वातावरण हो गया हैं ,एक से बढ़कर एक उन्दा गजल सुनने को मिली ,सराहनीय प्रयास दी ,मेरी पसंद की गजल साझा करने के लिए दिल से शुक्रिया दी ,सादर नमस्कार
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लगा यूँ पुरानी यादों को ताजा करना और उनमें डूबना !
जवाब देंहटाएंवाह बहुत ही बढ़िया प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआज तो दिन बन गया यशोदा जी ! सारी गज़लें एक से एक बढ़िया और सुरीली ! और भी जाने कितनी हैं जो सुनने की हसरत बाकी रह गयी ! सबकी पसंद शानदार और हर ग़ज़ल नायाब ! आज बहुत आनंद आया ! कई दिनों तक इन्हें बार बार सुनेंगे ! मेरी पसंद को आज के संकलन में शुमार किया आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार ! सप्रेम वन्दे सखी !
जवाब देंहटाएंवल्लाह करता बात है ,
जवाब देंहटाएंएक से एक शानदार उम्दा पंसद हर ग़ज़ल यूं लगे की मेरी पसंद है ।
लाजवाब/बेहतरीन प्रस्तुति।
जानदार बदलाव मन लुभा गया
संग्रह कर के रखने लायक़ अंक ।
सभी को बहुत बहुत बधाई।
शुभकामनाएं।
मेरी पसंद को शामिल करने केलिए हृदय तल से आभार।
बहुत ही उत्तम और शानदार प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंHelpfulGuruji