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बुधवार, 1 अप्रैल 2020

1719..आओ खुशियों की मूँह दिखाई करते हैं..

।।प्रातः वंदन।।
शहरों की खामोशियाँ बता रहा है
कुदरत का अब हिसाब हो रहा है..
अप्रैल माह की ओर कदम पर.. 
अनिश्चितता भी बढ़ी है पर 
 चौखट के अंदर रह हमसभी बाहरी दुनिया को संभाल रहे है..
और जो ऐसी मुश्किल घड़ी में भी लोगों की सेवा कर रहे हैं उन्हें सलाम करते हुए बढ़तें हैं 
आज के लिंकों की ओर..✍
❄️❄️

मुहं दिखाई करते हैं



आओ खुशियों कि मुहं दिखाई करते हैं
गमों कि घर से बिदाई करते हैं

छुप छुप के इससे उससे क्या करना
आओ ना खुल के बेवफाई करते हैं

ये जुवानी जंग का क्या मतलब...

❄️❄️




सुख की आशा में घर छोड़ा 
मन में सपने, ले आशाएँ, 
आश्रय नहीं मिला संकट में 
जिन शहरों में बसने आये !..


❄️❄️

जीवन चलने के नाम ------- mangopeople
" क्या हैं 🤔"
" पति अपने मरने के बाद भी बीवी के हर बर्थडे के लिए फूलों का गुलदस्ता बुक कर गया हैं 
और बीवी के हर बर्थडे पर वो बुके दे जातें हैं 😊 "
" हम्म बढ़िया हैं , प्यार करने वाला पति 🥰 "
" बकवास हैं 😏| काहे का प्यार करने वाला पति..

❄️❄️


जंगल के अंदर उस खुले स्थान पर जानवरों की भारी भीड़ जमा थी। जंगल के राजा शेर ने 
कई वर्षों बाद आज फिर खरगोश और कछुए की दौड़ का आयोजन किया था।

❄️❄️



ग़ज़ल यात्रा की पेशकश के साथ आज की प्रस्तुति यहीं तक पढ़तें रहे, बढ़तें रहे, घर में टिके रहे..
 ग़ज़ल कोरोना संकट पर

-डॉ. वर्षा सिंह

दे सकता है हमें सुरक्षा, दरवाज़े का इक ताला।
घर पर रहने पर टूटेगी, कोरोना की ये माला।

चाइनीज़ हो या हो स्पेनिश, फ़र्क भला क्या पड़ता है,
कोरोना घातक है, समझो! ये छोड़ो किसने पाला..
❄️❄️
हँसते रहें ..आज 1अप्रैल है..🙂🙂 


-*-*-*-*-
हम-क़दम का नया विषय
यहाँ देखिए
-*-*-*-*-
 ।। इति शम ।।
धन्यवाद
पम्मी सिंह तृप्ति’..✍

8 टिप्‍पणियां:

  1. पहली अप्रैल को हमारे मजाकिया व्यवहार हमें समाज में फैलाये रखता था
    आज हम घरों में दुबके पड़े हैं
    कल फिर फैलेंगे इस उम्मीद में

    सराहनीय प्रस्तुतीकरण

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुंदर और सामयिक संकलन उत्कृष्ट भूमिका के साथ।

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुंदर संयोजन है links का, हास्य भी और गाम्भीर्य भी

    मेरी पोस्ट को शामिल करने हेतु हार्दिक आभार 🙏

    जवाब देंहटाएं
  4. सराहनीय प्रस्तुती
    सभी लोग सुरक्षित और स्वस्थ रहें

    जवाब देंहटाएं

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