सादर अभिवादन..
कभी-कभी नहीं मिलते शब्द
लिखने के लिए
अब उसे भी
क्या समझना
जिसे एक बेवकूफ
तक समझता है
अब रचनाएँ....
मैं वो औरत हूँ
जिसने की है
एक मर्द से दोस्ती
जिसमें पाया है मैंने
अच्छा पक्का दोस्त
जिसे मैं अपने दिल की
हर बात साझा कर
सकती हूँ
तुमसे मिलते ही
मैंने पहला शब्द ब्रह्मांड बोला था
और तुमने असुर
तुम अविश्वास के अनुच्छेद में टहलते रहे
और मैं विश्वास की सूची में
तुमने पलाशों का झड़ना देखा
और मैंने गुलमोहर का खिलना
मैं जनता हूँ जो तुम्हारे दिल में,मेरी सांसो में हैं,
मुझे अब और दुनियादारी का सबक सिखाओ नही,
उसने बादलों की ओट में एक सूरज छुपा के रखा हैं,
इत्मीनान रखो इतनी जल्दी घबराओ नही,
दीवारों के आज अश्रु को
शुष्क धरा ने बहते देखा।
चीख दरारों से भी निकली।
पीर मौन की लांघे रेखा।।
चमगादड़ की तरह,
उलटा लटका हुआ है,
आज का इन्सान,
मात्र रोटी के टुकड़े के लिए,
दर-दर की ठोकरें झेलता है,
मात्र दो जून रोटी के लिए,
वही और वही
बस बताना और
समझाना होता है
“उलूक” दूर रखना
होता है तेरे जैसे
समझने समझाने
वालों को हमेशा
जब भी कोई
पंडाल कोई मजमा
तेरे अपने ही
घर पर लगता है
समझ में आ गया
...
विषय
क्रमांक 114
पलाश
उदाहरण
सुनो, तुम आज मेरा आंगन बन जाओ,
और मेरा सपना बनकर बिखर जाओ।
मैं...मैं मन के पलाश-सी खिल जाऊं,
अनुरक्त पंखुरी-सी झर-झर जाऊं।
सुनो, फिर एक सुरमई भीगी-भीगी शाम,
ओढ़कर चुनर चांदनी के नाम ।
मैं....तुम्हारी आंखों के दो मोती चुराऊं
और उसमें अपना चेहरा दर्ज कराऊं।
रचनाकार निशा माथुर
अंतिम तिथिः 04 अप्रैल 2020
प्रकाशन तिथिः 06 अप्रैल 2020
ब्लॉग संपर्क फार्म द्वारा
सादर
आभार यशोदा जी बकबक-ए-उलूक को जगह देने के लिये।
जवाब देंहटाएंबहुत ही अछि प्रस्तुति दी।
जवाब देंहटाएंतुमने पलाशों का झड़ना देखा
और मैंने गुलमोहर का खिलना
हर एक रचना अछि हैं।
मुझे भी स्थान देने के लिए आभार।
सस्नेहाशीष संग असीम शुभकामनाएं छोटी बहना
जवाब देंहटाएंसराहनीय प्रस्तुतीकरण
उत्तम रचनाओं के साथ भूख को स्थान देने के लिए आभार।
जवाब देंहटाएंवाह!सुंदर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंदीवारों के आज अश्रु को
शुष्क धरा ने बहते देखा।
चीख दरारों से भी निकली।
पीर मौन की लांघे रेखा।।
इन पंक्तियों ने मन मोह लिया। कवयित्री को बधाई 🙏
वाह!बहुत खूब!!! मन मोह लिया आज की प्रस्तुति ने।
जवाब देंहटाएंशानदार प्रस्तुतीकरण उम्दा लिंक संकलन।
जवाब देंहटाएंवाह! बेहद खूबसूरत प्रस्तुति दीदीजी। नमन
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अंक है आदरणीय दीदी | गीत , गजल , संवेदनशील कविताओं के साथ उलुक्वाणी लाजवाब है | सभी रचनाकारों को नमन | आपको बधाई और शुभकामनाएं सुंदर , सार्थक अंक के लिए | सादर --
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