वैश्विक महामारी,मानो जीवन-मृत्यु के मध्य की
काली लकीर मिटाने, जिद पर उतर आयी है।
देख रहे हो न मानुष प्रकृति मरम्मती के लिए
काल पर सवार हो यम के रुप में घर आयी है,
माँ धरणी के कोख के मृत बीजों के शाप से
सृष्टि सामूहिक संहार का ये कैसा वर लायी है?
★
काजल पर आज की पंक्तियाँ
प्रिय कामिनी जी की रचना से
उद्धत है-
काजल " गोरी के आँखों को सजाये तो उसकी सुंदरता में चार चाँद लगा देता हैं.... नन्हे शिशु के नैनो में जब माँ काजल भर के उसकी बलाएँ लेती हैं तो ....वही काजल उस शिशु के लिए नजरबटु बन शिशु की हर बुरी नजरों से रक्षा करता हैं लेकिन ......वही काजल जब दामन पर लग जाएँ तो दाग बन जाता हैं।
हमारे भारतीय संस्कृति के श्रृंगार में काजल का एक खास स्थान हैं। यदि आँखें काजल बिना सुनी हो तो श्रृंगार अधूरा ही रहता हैं। काजल ने गोरी के आँखों में ही अपनी खास जगह नहीं बनाई बल्कि कवियों की कविताएं हो या गीतकारों के गीत या शायरों की शायरी काजल ने सबके दिलों और कलम पर भी अपना हक जमा रखा हैं
★★★
कालजयी रचनाएँ इस बार हम हमारे प्रिय ब्लॉगर
रचनाकारों के ब्लॉग से लेकर आये है।
आखिर इनकी रचनाएँ भी तो अनमोल
साहित्यिक धरोहर है।
★
आदरणीया प्रीति अज्ञात जी
इन दिनों
★
आदरणीय दिगंबर नासवा जी
सफ़र जो आसान नहीं
★
वक्ष में फोड़ा हुआ है
★★★★★
नियमित रचनाएँ
आदरणीय साधना वैद जी
काजल की कोठरी
भ्रष्टाचार का क्षेत्र और विस्तार इतना व्यापक और संक्रामक है कि कोई आश्चर्य नहीं होगा यदि ऐसे तथ्य सामने आयें कि भारत की आबादी का एक बहुत बड़ा प्रतिशत प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से भ्रष्टाचार में लिप्त है ! भारत के संविधान के अनुसार रिश्वत लेना और देना दोनों ही दंडनीय अपराध हैं ! इस तरह रिश्वत माँगने वाला भी अपराधी है और रिश्वत देने वाला भी अपराधी है !
आदरणीय आशा सक्सेना जी
कोठरी काजल की
दूरदर्शन पर भी बहस ऐसे दीखती है
मानो शेर अभी झपटेगा शिकार पर
दूसरा मैमने सा गिडगिडा रहा हो
बच्चे तक कहने लगते हैं
क्या इन में तमीज नहीं
इनकी मम्मीं ने क्या
कुछ नहीं सिखाया इनको
सियासत का गलियारा
काई से भरा हुआ है
जितना भी सम्हल कर चलो
पैर फिसल ही जाते हैं
गिरने पर सहारा दे कर
उठाने वाला कोई नहीं होता
सियासत है कोठारी काजल की
कोई न बचा इससे
जो भी भीतर गया
बच न पाया कालिख से
★★★★★★
आदरणीय आशा सक्सेना
जब भी कोरा कागज़ देखा ...
जब भी कोरा कागज़ देखा
पत्र तुम्हें लिखना चाहा
लिखने के लिए स्याही न चुनी
आँसुओं में घुले काजल को चुना
जब वे भी जान न डाल पाये
मुझे पसंद नहीं आये
अजीब सा जुनून चढ़ा
अपने खून से पत्र लिखा
★★★★★
आरणीय राधा तिवारी जी
कुण्डलिया " काजल "
काजल आँखों पर लगा, नैन रही मटकाय।
देख सजन को सामने, गोरी भी इठलाय।।
गोरी भी इठलाय, झुका वो नैना बोले।
मुस्काती वो आय, सजन सम्मुख वो डोले।
कह राधे गोपाल, सजन को देखे हरपल।
नैन रही मटकाय, लगाकर वो तो काजल।।
★★★★★
आदरणीय कामिनी सिन्हा जी
काजल से अथाह प्रेम
" काजल "
गोरी के आँखों को सजाये तो
उसकी सुंदरता में चार चाँद लगा देता हैं....
नन्हे शिशु के नैनो में
जब माँ काजल भर के
उसकी बलाएँ लेती हैं तो ....
वही काजल उस शिशु के लिए
नजरबटु बन शिशु की
हर बुरी नजरों से रक्षा करता हैं
लेकिन ......
वही काजल जब दामन पर लग जाएँ
तो दाग बन जाता हैं।
★★★★★
आदरणीय शुभा मेहता
काजल
सखी री.....
मेरा काजल बह-बह जाए
कब से बैठी आस लगाए
बैरी पिया ना आए ....
सखी री ......
ना चिठिया ना कोई संदेसा
इतना काहे... तरसाए ---
★★★★★★
आदरणीय पुरुषोत्तम कु. सिन्हा जी
नैन किनारे
बगैर आग, ये धुआँ कब उभरे!
चराग बिन, कब काजल ये सँवरे!
कोई आग, जली तो होगी!
हृदय ने ताप, सही तो होगी!
कारण है, कोई ना कोई!
क्यूँ बहते हैं जल-धार, नैन किनारे!
★★★★★★
आदरणीय अमित श्रीवास्तव जी
लॉक डाऊन
लॉक डाउन होंठों पे क्यों,
लबों पे हँसी आने दो,
लफ़्ज़ों को आपस मे,
घुल जाने दो।
लॉक डाउन निगाहों में क्यों,
नज़रों में शोखी आने दो,
नज़र से नज़र मिलाने दो,
काजल को बादल में घुल जाने दो।
★★★★★
आदरणीय उर्मिला सिंह
हम होंगे कामयाब एक दिन
देश गुलजार होगा,
हंसेगा नयन काजल,
बजेगी पांव की पायल.....
'माता की स्नेह वर्षा,
तन मन आल्हादित कर जाएगा !
हिम्मत देंगी हमें "माँ दुर्गा" ,
आस्था विश्वास राहें दिखाएंगी...
इस विषम घड़ी से भी हम ,
एक दिन निकल जाएंगे!!
आदरणीय सुजाता प्रिय
काजल
अखियों में काजल भर,
मुझको जादू न कर ,बृजबाला !
तेरा काजल है मतवाला।
काले-मेघों से काजल चुराकर।
तूने अखियों में रख ली बसाकर।
अब मुझे न चुरा,
मुझको दिल में बसा,सुरबाला!
मै हूँ मोहन बाँसुरीवाला।
आज का अंक कैसा लगा
आप ही बताएँगे
कल का अंक आ रहा है
नया विषय लेकर
-श्वेता
शुभ प्रभात..
जवाब देंहटाएंबेहतरीन अंक..
शुभकामनाएँ सभी को...
आभार सखी रेणु जी को
अप्रतिम विषय देने हेतु...
सादर..
हार्दिक आभार आदरणीय दीदी | बहुत कोशिश करके भी रचना अधूरी रही इसका खेद रहा | सादर
हटाएंवाह!! बेहतरीन अंक श्वेता! बहुत सुंदर विषय चयन ।सभी रचनाएँ सुंदर और सराहनीय।सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।मेरी रचना को साझा करने के लिए हार्दिक धन्यबाद।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर संकलन
जवाब देंहटाएंसाधुवाद
बहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुन्दर संकलन
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंवाह!!श्वेता ,सुंदर लिंक्स के साथ खूबसूरत गीतों से सजा यह अंक वाकई सहेजने जैसा है । मेरे काजल को शामिल करनें हेतु धन्यवाद
जवाब देंहटाएंप्रिय श्वेता जी! आपके द्वारा प्रेषित यह अंक बहुत खूबसूरत है सभी रचनायें अति उत्तम हैं! हमारी रचना को इस अंक में शामिल करने के लिए हार्दिक धन्य वाद!
जवाब देंहटाएंअनमोल रचनाओं का अनुपम संकलन श्वेता जी ! मेरे आलेख को आज के संकलन में सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार ! सभी रचनाकारों को अशेष शुभकामनाएं एवं बधाइयाँ ! सप्रेम वन्दे सखी !
जवाब देंहटाएंआज की इन अनमोल रचनाओं के मध्य मेरी रचना को भी स्थान देने हेतु आभारी हूँ आदरणीया।
जवाब देंहटाएंसमस्त रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएँ व बधाई ।
साहित्य की व रचनाओं की कोई भी विधा, जिसमें भाव सजग हो उठते हों और मन आत्ममुग्ध होता हो, हमारी हिन्दी को समृद्ध बनाते हुए सार्थकता प्रदान करती हैं ।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को पुनः हार्दिक शुभकामनाएँ जो इस पुनीत कार्य में अनवरत लगे हैं ।
उनके ब्लॉग पर अंकित कृतियाँ, उनके निजी बौद्धिक सम्पदा अवश्य हैं फिर भी ये हिन्दी व हिन्दी प्रेमियों के हितार्थ हमेशा उपलब्ध है।
मंच संयोजक मंडली भी बधाई के पात्र है कि वे ऐसे छुपे खजानों से अनमोल मोती ढूंढ लाते है।
यह अनवरत प्रयास सराहनीय है।
वाह !! एक से बढ़कर एक सृजन ,काजल ने अपना जादू बिखेर ही दिया ,फ़िल्मी गानों से सजाकर आपने इसे और रोचक बना दिया।
जवाब देंहटाएंअभी के गमगीन माहौल में आज की आपकी प्रस्तुति ने थोड़ा सुकून दे दिया
मेरी आलेख के एक अंश को भूमिका में देख आपार हर्ष हुआ ,दिल से शुक्रिया श्वेता जी ,सादर नमस्कार
बहुत शानदार प्रस्तुति सुंदर भूमिका ।
जवाब देंहटाएंशानदार लिंक, सभी रचनाएं आत्ममुग्ध करती सुंदर गहन ।
सभी रचनाकारों को बधाई।
प्रिय श्वेता शानदार अंक ! महामारी पर चिंता जताती सार्थक भूमिका | काजल पर सखी कामिनी की पंक्तियाँ काजल की परिभाषा को पूर्ण करती है | सच में बिन काजल हर नारी का श्रृंगार अधूरा है | नजर उतारने के लिए भी काजल का टीका लगाने का प्रचालन आम है पर भगवान् ना करे किसी को कलंक का टीका लगे | वो किसी जल से नहीं धुल पाता| आज की सभी रचनाएँ बहुत प्यारी हैं | मुझे ख़ुशी है कि भले रचनाएँ थोड़ी आई पर हर रचना अपने विषय पर खरी उतरती है |
जवाब देंहटाएंसाधना जी और सखी कामिनी के लेख बहुत बढ़िया हैं | सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं| | काजल पर गीत भी बहुत प्यारे हैं और मुझे भी बहुत पसंद हैं | आज के अंक में प्रतिनिधि रचनाओं के तौर पर दिगम्बर जी और ज्योति सर की रचनाओं का चयन अभिनव प्रयोग है | जरुर इस प्रयोग को स्थायी रूप से लागू करने मेंकोई बुराई नहीं हसी | भले एक रचना हो | आज की तीनों रचनाएँ बहुत संवेदनशील हैं | | तुम्हें बहुत बहुत शुभकामनाएं इस सुंदर लिंक संयोजन के लिए | हमकदम का ये सफर यूँ ही जारी रहे , इसी कामना के साथ | |
श्वेता जी आभार सहित धन्यवाद मेरी दोनों रचनाओं को शामिल किया |उम्दा रचनाएं |
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