आप सभी का
स्नेहिल अभिवादन
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आज विश्व गौरेय्या दिवस है और कल
21 मार्च को विश्व कविता दिवस,
प्रकृति से ही कवि और कविता का अस्तित्व है।
जब प्रकृति की चहचहाहट संवेदनाओं को स्पर्श करती है तो शब्द मन से फूटकर लेखनी के माध्यम से प्रवाहित होती है।
कवि और प्रकृति का आत्मिक संबंध है।
कविता की परिभाषा मुझे सटीक ज्ञात नहीं।
मेरे अनुसार कविता मन के गहन और रहस्यमयी भावोंं की
जादुई अभिव्यक्ति होती है जिसे पढकर पाठक
स्वयं को उन अनुभूतियों से जुड़ा हुआ पाता है।
कविताओं का विस्तृत संसार बंधनहीन है।
कुछ कविताएँ ऐसी होती हैं जिनके विशेष भाव या निहित संदेश
हमारे ज़हन मेंं अटके रह जाते हैं।
आज के अंक में ऐसी ही मेरी पढ़ी हुई कुछ कविताएँ हैं।
यूँ तो कविताओं की सूची लंबी है, एक ही अंक में
समेट पाना संभव नहीं, अपनी सारी पसंदीदा कविताएँ
अंंक में नहीं लगा पाई हूँ उम्मीद है किसी और प्रसंग में
उन सभी का ज़िक्र अवश्य कर पाऊँगी।
किंतु
आज के विशेषांक में अंकित सभी कविताएँ मेरे लिए
विशेष है।
कृपया क्रमानुसार नहीं सुविधानुसार समझें।
आइये पढ़ते हैं आज की रचनाएँ
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किसी गैर की धड़कन पर,
कैद कहीं इस दिल को कर दूँ
या अधिकार सँजो लूँ ? बोलो !!!
उसी दिन रख दिया था
तुम्हारी हथेली पर
जिस दिन
विरोधों के बावजूद
ओढ़ ली थी तुमने
उधारी में खरीदी
मेरे अस्तित्व की चुनरी
★
छू रूह से किया चन्दन तुमने ,
अंतस का धो सब ख़ार दिया -
किया निष्कलुष और पावन तुमने ;
निर्मलता के तुम मूर्त रूप -
कोई तुम सा कहाँ सरल साथी !!!
तड़प-ओ-ख़लिश का एक गाँव है,
याद रात है याद ही दिन है,
न फ़लक़-ज़मीं पर होता पाँव है,
हिय में हूक होती है पल-पल,
बस बेक़रारी में चश्म-ए-तर है।
★
युगल दृग की कोर पर।
इंद्रनील कान्ति शोभित
मन व्योम के छोर पर ।
पिघल-पिघल निलिमा से,
मंदाकिनी बहती रही ।
पलकों में सपने संजोए
आस मन पलती रही।
पावन बयार बन बही
उत्ताल लहर बन लहरायी,
चिर-काल तक चलती,
हवाओं में गूँजती,
प्रेमल साहित्यिक सदा थी वह।
★
भ्रमरों के
घेरे में धूप
गाँठ बँधी हल्दी से दिन,
खिड़की में
झाँकते पलाश
फूलों की देह चुभे पिन,
माँझी के
साथ खुली नाव
धाराएँ,मौसम प्रतिकूल ।
★
गुलामों को बांझ बनाने की तरह
बनाई जाती है बांझ बारहा
उनकी सोचों को, सपनों को,
चाहतों को, संवेदनाओं को,
शौकों को, उमंगों को ...
★★★★★★★
बढ़िया प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंसादर..
सराहनीय प्रस्तुतीकरण
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंअधरों के सम्पुट क्या खोलूं ,
जवाब देंहटाएंमूक कंठों से अब क्या बोलूं....!!!!!
बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंआज गौरेय्या दिवस है ये अच्छी बात है। लेकिन मुझे लगता है आज न्याय दिवस है।
जवाब देंहटाएंजिसने हमें न्याय के लिए लड़ना सिखाया है उसे आज न्याय मिल ही गया। पर फिर भी उसके आखिरी लफ्ज़ कौन भूल पाया है कि "मां मैं जीना चाहती हूं।" शहरे-हवस
खैर कल कविता दिवस है और अब कविता प्रकृति को छोड़ न्याय में बसेगी।
क्योंकि प्रकृति को हमने छोड़ा ही कहाँ है
क्योंकि चिड़िया की प्रकृति होती है चहकना लेकिन कुछ भेडियो ने इसे चीखना कर दिया है।
हमनें प्रकृति की प्रकृति को बदल दिया है.. और ये बदलाव कविता के लिए ज़हर है।
बहुत उम्दा रचनाएँ पढ़ने को मिली। आपकी पसंद आला दर्जे की है श्वेता जी। मेहनत किसी से छुपती नहीं।
आप पारखी नज़र वाली जौहरी हैं।
प्रीति जी की "उसने मुझे अच्छा कहा" बहुत ही कंटाप रचना है। जी मैं रचने जैसी रचना।
बाकी रचनाएँ भी अलग छाप की हैं। पढ़नी ही चाहिए।
रोहित जी प्रणाम।
हटाएंआज के साहित्यजगत में उत्पन्न आत्ममुग्धता के दौर में आपकी ऐसी सक्रियता और सराहना मनोबल में अतिशय वृद्धि कर गई।
अंक का सुंदर विस्तृत विश्लेषण किया है आपने।
एक सच्चा पाठक किसी भी रचना और रचनाकार को सौभाग्य से मिलते ह़ै।
आपने पूरे मनोयोग से सभी रचनाएँ पढ़ी और अपनी प्रतिक्रिया भी अंकित की यह सच में बेहद उत्साहवर्धक है सभी के लिए।
आपका बहुत-बहुत आभार।
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंप्रिय श्वेता, तुम्हारी पसंद के मायने हैं ब्लॉग जगत में। जिसे सब पढ़ते हैं वो किसी पढती है इस जिज्ञासा को थोड़ा
जवाब देंहटाएंसा शांत करता अंकअपने आप में खास है । अत्यंत सुंदर , सार्थक रचनाये ब्लॉग जगत के अनमोल मोती हैं ।, जिन्हे एक बार पढ़कर बार बार पढ़ने को मन करता है। इस अंक में मेरी रचना का शामिल होना मेरे लिए आह्लाद का विषय है। इसे साथ मेरे रचना का चौथी बार इस मंच पर मान बढ़ा है जिसके लिए गर्व की अनुभूति हो रही है। मेरी इस पुरानी रचना को, अपनी पसंद के
रूप में, एक बार फिर से स्नेही पाठकवृंद के समक्ष प्रस्तुत करने के लिए कोटि आभार🙏🙏 मेरे इस गीत को पाठकों ने खूब प्यार दिया है जिसे लिए उन्हे शुक्रिया और आभार। आज गोरैया दिवस है। हमारी दुनिया में पक्षियों का अस्तित्व बना रहे उसके लिए जरूरी है , हैं अपने आसपास दाने पानी की व्यवस्था जरूर रखें। कल कविता दिवस है ।लेखन की इस अद्भुत विधा को नमन। । जीवन में ढेरों काम करके भी गुमनाम रहे पर कविता ने ब्लॉग जगत से परिचय करवा एक पहचान दिलाई मा सरस्वती की इस अनुकम्पा के आगे नत हूँ । कविता दिवस पर सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनायें और बधाई। आज के सभी रचनाकारों को शुभकामनायें। तुम्हें पुनः आभार । इस प्रस्तुति के अगले भाग की प्रतीक्षा रहेगी । सस्नेह🙏🙏😊😊💐💐💐🌺🌹🌹
प्रिय श्वेता के बारे में आपने जो लिखा है ना कि "जिसे सब पढ़ते हैं वो किसी को पढती हैं" सच में ये बात आह्लादित कर जाती है रेणु बहन।
हटाएंअब देखिए ना, अपनी इस रचना को तो मैं भी भूल गई थी पर वे खोज लाई हैं। यही स्नेह मेरे लिए बहुत बड़ी बात है।
गोरैया दिवस पर बुलबुल सी चहकती हमारी प्रिय आँचल का मधुर सृजन उनके मधुर स्वर में बेजोड़ है। शाबास आँचल 👌👌👌💐💐🌹💐।
जवाब देंहटाएंvisit for Knowledgeable information
जवाब देंहटाएंमैं अपनी इस रचना को पाँच लिंकों में देखकर बहुत आह्लादित हूँ। प्रिय श्वेता, मैं आपके लिए क्या कहूँ ? इतनी प्रतिभाशाली हो कि प्रशंसा के लिए शब्दों का चयन ही कठिन हो जाता है। फिर भी, हृदयपूर्वक अत्यंत धन्यवाद। आज की सभी रचनाएँ बहुत सुंदर हैं। इनमें से आज जो जोगन गीत वो गाऊँ, राह तुम्हारी तकते तकते और आस मन पलती रही, ये आदरणीय विश्वमोहनजी, प्रिय रेणु और और प्रिय कुसुम जी की रचनाएँ मानसपटल पर पहले से ही अंकित हैं। इन्हें दुबारा पढ़ना अच्छा लगा। अन्य सभी रचनाएँ भी बहुत सुंदर हैं। मेरे ब्लॉग का तो नाम ही 'चिड़िया' है। मासूम चिड़ियों/गौरेयों में मुझे नन्हीं भोली बच्चियाँ ही नजर आती हैं। विश्व 'गौरेया दिवस' मनाए या ना मनाए, हम सब अपनी मासूम चिरैयों और बच्चियों को सुरक्षित रखने के लिए प्रतिबद्ध रहें।
जवाब देंहटाएं20 मार्च 2020 यह दिन स्त्री जाति के लिए सदैव स्मरणीय रहेगा। देश की एक बेटी को मरणोपरांत ही सही, न्याय तो मिला। जब जब इन दरिंदों की फाँसी टलती थी, मेरे तन बदन में आग सी लग जाती थी। मैं निर्भया के माता पिता के धैर्य की भी दाद देती हूँ, उन्होंने अथक प्रयत्न किया और आगे के लिए भी न्याय का मार्ग प्रशस्त किया।
प्रिय रेणु दी और प्रिय मीना दी आपके स्नेह के लिए क्या कहूँ,आपके ऐसे उत्साहवर्धक शब्दों ने मेरी लेखनी म़े ऊर्जा का स़ंचार किया है।
हटाएंआपका ऐसे स्नेह और साथ की सदैव अपेक्षा करती हूँ।
सादर आभार।
आपकी विश्लेषणात्मक प्रतिक्रिया बहुमूल्य है और आगे की यात्रा में प्रेरणा बनकर मार्गदर्शन करे़गे।
मीना बहन आपके स्नेह को मेरा नमन और शुभकामनायें।
हटाएं🙏🙏😊
कमाआल की भूमिका और सुंदर संयोजन
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बधाई
मुझे सम्मिलित करने का आभार
सादर