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मंगलवार, 24 मार्च 2020

1712 आज सखी रेणुबाला की पसंदीदा रचनाएँ

सभी पाठक वृन्द  को सादर सस्नेह अभिवादन| 
पांच लिंकों द्वारा दूसरी बार अतिथि रचनाकार बनाने के लिए 
मंच की तहेदिल से आभारी हूँ | 
पिछली बार बहुत सी रचनाएँ एक अंक में   
लेना संभव ना हो पाया  , 
सो इस अंक में  मेरी पसंद की कुछ रचनाएँ और
कृपया रचनाओं को क्रमानुसार कम या ज्यादा ना आंका जाए | 
सभी रचनाएँ सामान रूप से महत्वपूर्ण हैं | 

 खुद पर हँसने  की कला  व्यंग का सर्वोत्तम रूप है और आदरणीय  गोपेश जी  इस कला में बखूबी माहिर हैं. इसके साथ अपने आसपास के लोगों को  भी  बिना मान -हानि- किये-बहुत ही प्यारे  ढंग  से प्रस्तुत  करने का हुनर रखते हैं |उनके व्यंग लेखों पर समस्त ब्लॉग जगत मुस्कुराए बिना नहीं रह सकता | मेरी पसंद की उनकी ये रचना उदास व्यक्ति को भी मुस्कुराने पर मजबूर कर देगी | 


हमारे परदादा बोहरे जी के सर-परस्त थे.परदादा जी के कई मुलाज़िम भी बोहरे जी के उधारी के जाल में फंसे हुए थे.हमारे परदादा जी की हवेली पर जग-प्रसिद्द पेटू बोहरे जी को आए दिन दावत पर बुलाया जाता था. इसका कारण था कि हमारे परदादा को पेटूपने में बोहरे जी की रिकॉर्ड-तोड़ परफ़ॉरमेंस देखना बहुत अच्छा लगता था. यह बात और थी कि गोलमटोल बोहरे जी का अपनी हवेली में प्रवेश होते देख परदादी हर बार बड़बड़ाती थीं–
‘आय गयो कम्बखत, नासपीटो, मरभुक्खौ,भोजन-भट्ट !’

आदरणीय रंगराज अयेंगर जी से मेरा परिचय शब्दनगरी से है|
उनका विद्वतापूर्ण लेखन  अपनी अलग पहचान रखता है|
आँसू शीर्षक से उनकी ये रचना बहुत ही भावपूर्ण है |
जो मेरी स्मृतियों से ओझल नहीं होती |
किसी की साँसों में उलझी हैं तेरी साँसें क्यों ?
किसी की राह सदा तकती तेरी निगाहें क्यों ?
उखड़ेगी उसकी साँस तो क्या लौटेगी तेरी साँस,
न जाने लिए बैठी है क्या तू मन में आस.

आदरणीय रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' जी ब्लॉग जगत 
में अपने दोहों ,गीतों और कविताओं  के लिएजाने जाते हैं ,, 
पर उनका संस्मरण लेखन मुझे बहुत पसंद हैं |  
अतीत के गलियारों में झांकता उनका एक भावपूर्ण संस्मरण --
समय का फेर ...

सुबह होते ही सारे मेहमान 2-3 बैलगाड़ियों पर सवार होकर दो कोस दूर गंगाघाट पर लगे विशाल मेले में जाते थे। गाड़ी में ही खिचड़ी, घी, आम और आँवले का अचार, लकड़ी, खिचड़ी पकाने के लिए एक बड़ी देग और गंगाघाट पर खिचड़ी बनती थी। मेले में शाम तक सब लोग आनन्द मनाते मनोरंजन करते थे और फिर दादी के घर लौट आते थे। विदाई के समय नन्हीं दादी और तुंगल दादा सबको 
गर्म गुड़ भी भेंट में देते थे।


पेशे से पत्रकार  भाई शशि गुप्ता जी 
सभी विषयों पर लिखने में माहिर हैं | 
पर  उनका  प्रस्तुत लेख समस्त नारी जाति को  
एक नये चिंतन  के लिए प्रेरित करता है  
जिससे  वे अपने सम्मान को कायम रखने में 
और अधिक सक्षम हों | 
नारी-सम्मान पर डाका ?

रखो जिस्मों को ढक के एहतिआतन,
सड़क पर भूखे कुत्ते  घूमते हैं !
संभल के  घर से तुम बाहर  निकलना
यहाँ हर तरफ दरिन्दे घूमते  हैँ !


आदरणीय दिगम्बर  नासवा जी 
उन गिने चुने लोगों में से हैं, जिन्होंने हिंदी गज़ल को 
अपने हुनर से संवार कर मौलिक पहचान दी है | 
उनकी गज़लों का हर शेर एक कहानी कहता हुआ 
अपनी छाप  छोड़ जाता है | उनकी  रचनाओं में से    
एक बहुत प्यारी रचना-
सजाई महफिलें जो प्रेम की 
खामोश पायल ने
मधुर वंशी बजा दी नेह की 
फिर श्याम श्यामल ने

शिकायत क्या करूँ इस खेल में 
मैं भी तो शामिल हूँ
मेरी नींदों को छीना है 
किसी मासूम काजल ने


आदरणीय ज्योति खरे जी 
अपने बेबाक लेखन और मौलिक बिम्ब विधान 
के लिए ब्लॉग जगत में अपनी पहचान रखते हैं |  
उनका प्रेम निराला है और उतने ही कमाल के 
नूतन प्रतीक बिम्ब पर अम्मा  पर लिखी    
उनकी ये रचना माँ  के मानिनी रूप 
का अनूठा  काव्य चित्र है  
Image result for ज्योति खरे
गुस्सा हैं अम्मा
नहीं जलाया कंडे का अलाव
नहीं बनाया गक्कड़ भरता
नहीं बनाये मैथी के लड्डू
नहीं बनाई गुड़ की पट्टी
अम्मा ने इस बार--



आदरणीय सुबोध सिन्हा जी 
कहाँ किस विषय पर अपनी लेखनी चला दें  
और प्रेरक रचना लिख दें , कह नहीं सकते |  
समाज के लोगों को देखने का उनका नज़रिया 
एकदम अलग है, हमारे जीवन के परम सहयोगी 
धोबी को उनका  एक भावों से भरा उद्बोधन -- 

काश ! .. ऐसा कोई नाद होता
काश ! .. ऐसा कोई पाट होता
जहाँ मिट जाते सारे
मैल हमारे मन के
हमारे इस समाज से
किसी भी तरह के भेद-भाव के


सखी कामिनी सिन्हा जी ने  
अपने मौलिक लेखों के जरिये ब्लॉग जगत को  
नये चिंतन से रूबरू करवाया है | 
सामाजिक विषयों पर उनकी पकड  सधी हुई है |   
मेरी पसंद का  उनका लेख  ये  वृद्धाश्रम को लेकर  
नये दृष्टिकोण से अवगत करवाता है 
"वृद्धाआश्रम" बनाम "सेकेण्ड इनिंग होम"

"इंसान अपने दुखो का कारण स्वयं होता है "ये सत्य है ,हम क्यों अपने आप को दयनीय बनाते है ,सारी उम्र हम उनकी देखभाल करते आये  है वो हमारी क्या खाक करेंगे। हम ऐसी अवस्था ही क्यों आने दे कि हम उनकी रहमो कर्म पर रहे। मेरे नज़रिये से वानप्रस्थ की जो प्रथा थी बिलकुल सही थी। अगर बुजुर्ग अपनी जिम्मेदारिया पूरा कर ,बाल  - बच्चो का मोह  त्याग खुद के लिए ,खुद की मर्ज़ी से ज़ीने के लिए एक घर खुद तैयार कर ले तो वो कभी बच्चो पर बोझ नहीं बनेगे।

रचनाएँ मेरी पसंद की है तो
आगामी विषय भी मेरी ही पसंद का
होना चाहिए न...
तो लीजिए 113 वाँ विषय

"काजल"
भेजने की अंतिम तिथिः  28  मार्च 2020
प्रकाशन तिथिः 30 मार्च 2020

उदाहरण इसी अंक में है

सभी को सादर   
आभार और नमन 


49 टिप्‍पणियां:

  1. ब्लॉग जगत में अजातशत्रु के नाम से विख्यात रेणु दी ,
    सर्वप्रथम आपको मेरा सादर नमन।

    आप अपनी रचनाओं से कहीं अधिक अपनी टिप्पणियों के माध्यम से पथ प्रदर्शक की भूमिका में रहती हैं ।

    आपकी निष्पक्षता एवं आपके सरल स्वभाव की सराहना कोई अतिश्योक्ति भरी बात नहीं है।

    आज का संकलन अनुपम है और इतने वरिष्ठ रचनाकारों के मध्य एक मामूली पत्रकार के सृजन को स्थान देना यह आपका स्नेही है।

    मेरी रचना के साथ ही इस पटल पर आपने मेरे संदर्भ में टिप्पणी भी की है। यह मेरे लिए बहुत बड़ी बात है।

    आप इसी तरह प्रियदर्शी बनी रहे एवं वीणापाणि आपकी लेखनी पर कृपा बरसाती रहे ऐसी कामना करता हूँ।

    इन्हीं शब्दों के साथ सभी को प्रणाम, धन्यवाद जय हिंद।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. शशि भाई आपका स्नेह है बस | हार्दिक आभार आपकी स्नेहासिक्त प्रतिक्रिया के लिए |

      हटाएं
  2. बहुत ही सुंदर और उम्दा प्रस्तुति।सभी रचनाएँ एक-से बढ़कर एक।सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ।

    जवाब देंहटाएं
  3. 'सौ चोट सोनार के और एक चोट लोहार के' मतलब रेणुजी का चर्चाकार बनना। सराहना से परे संकलन। बधाई और आभार।

    जवाब देंहटाएं
  4. आभार रेणु जी. आपने यह रचना कहाँ से खोज लिया. दूद दूर तक कोई आशा भी नहीं थी की मेरी रचना इस स्थंभ.में दिख सकेगी. बल्कि आपका नाम देखते ही लगा था कि मीना शर्मा जी की कोई रचना पढ़ने को मिलेगी. यह एक सुखद आश्चर्य सा लगा.

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. 😄😄😄
      ये तो गलत इल्जाम है सरजी, रेणु बहन इतना भी ज्यादा प्यार नहीं करती हैं मुझसे !!!
      Note - ये हँसनेवाला इमोजी नकली है, 'आँसू' को पढ़कर मेरी आँखों में आँसू भर आए हैं।

      हटाएं
    2. आदरणीय अयंगर जी , रचना वही बढिया जिसे लिखने वाला भले भूल जाए पर पढने वाला याद रखे | कोटि आभार आपकी स्नेहिल उपस्थिति का |

      हटाएं
    3. प्रिय मीना , प्यार ही प्यार है पर हरियाणा वालों को जताना कहाँ आता है | स्नेह आभार आपके मधुर शब्दों का |

      हटाएं
  5. आपके चर्चा अन्दाज़ ने भी यह साबित कर दिया की आपके अंदर एक लेखक जो की अच्छा पाठक भी है वो अगर चाहे तो एक नया आकाश ढूँढ ही लेता है फ़ोर चाहे वो कुछ भी हो ...
    एक चर्चाकार की हैसियत से आपने बेहतरीन लिंकों का संयोजन किया है ... रोचक शैली में रचनाओं का परिचय करवाया है ... बहुत बहुत आभार आपका ... मुझे भी शामिल करने में लिए ...

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. दिगंबर जी , आपकी उपस्थिति और स्नेहिल प्रतिक्रिया का हार्दिक आभार |

      हटाएं
  6. वाह!!प्रिय सखी रेनू ,आपकी पसंद है तो लाजवाब ही होगी , जितना खूबसूरत आप लिखती है ,उतना ही खूबसूरत आपका विवेचन होता है सभी की रचनाओं पर ..। सभी रचनाएँ एक से बढकर एक ..।सभी चयनित रचनाकारों को हार्दिक बधाई ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. प्रिय शुभा जी , आपकी उत्साह से भरी वाह ने मेरी प्रस्तुति को सार्थक कर दिया | सस्नेह आभार आपका |

      हटाएं
  7. बेहतरीन प्रस्तुति, सभी चयनित रचनाकारों को हार्दिक बधाई 👌

    जवाब देंहटाएं
  8. अप्रतिम प्रस्तुति..
    दिल बाग-बाग हो गया..
    फिर से एक बार और..
    आपको आभार..
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपको प्रस्तुती पसंद आई , मन मुदित हुआ बड़े भैया | कोटि आभार आपका |

      हटाएं
  9. प्रिय रेणु दी,पहले आपको अतिथि रचनाकार की बधाई।
    हर पोस्ट पर आपकी जो सुरवाती टिप्पणी हैं वो बहुत ही लाजबाब हैं।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सस्नेह आभार है ज्योति जी | आपकी प्रतिक्रिया मन को उत्साह से भर देती है |

      हटाएं
  10. तुम्हे चर्चाकार के रूप में देखकर हार्दिक प्रसन्नता हुई ,तुमने तो इन गुणीजनों के बीच मुझे बिठाकर धन्य कर दिया ,मैं जानती हूँ मैं इस काबिल नहीं बस ये आप सभी का स्नेह हैं ,आज कुछ ऐसी रचनाएँ पढ़ने को मिली जिसे पढ़ने का सौभाग्य मुझे नहीं मिला था , दिल से शुक्रिया सखी और सभी रचनाकारों को सादर नमन

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. प्रिय कामिनी , सस्नेह आभार सखी | तुम्हारी प्रतिक्रिया से बहुत ख़ुशी हुई |

      हटाएं
  11. इस में साहित्य कला के हर रूप का "आनंद" है.
    इसमें तंज़ है, ग़ज़ल, लेख, कविता और संस्मरण भी है।
    इस सब को एक जगह लाना एक अच्छे पाठक की पहचान है। जो अच्छा पाठक है वही अच्छा लिख सकता है।
    आपकी पसंद लाजवाब है।
    ऐसे चर्चाकार बारम्बार इस मंच पर देखना चाहेंगे।
    आभार। 🙏

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. प्रिय रोहित हार्दिक आभार आपका |प्रस्तुति पर आकर आपने मान बढाया बहुत ख़ुशी हुई ||

      हटाएं
  12. प्रिय रेणु,
    बहुत ही उम्दा और विविधतापूर्ण प्रस्तुति बनाई है आपने।
    अधिकतर रचनाएँ पहले भी पढ़ चुकी हूँ, उनको पुनः पढ़ना बहुत अच्छा लगा।प्रत्येक रचना पर आपने भूमिका भी बहुत अच्छी लिखी है।
    विशेष बात यह कि आपके द्वारा चयनित सभी रचनाकार मेरे भी पसंदीदा हैं। बहुत सा प्यार और बधाई।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. प्रिय मीना , आपको रचनाएँ पसंद आई बहुत ख़ुशी हुई | स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए सस्नेह आभार |

      हटाएं
  13. रेणु जी आप लेखिका तो बहुत अच्छी हैं पर समीक्षक कमाल की हैं, आपके इस हुनर को साधुवाद
    आज के अंक में सम्मिलित सभी रचनाकारों को बधाई
    मुझे सम्मिलित करने का आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आदरणीय सर , आपकी उपस्थिति से बहुत ख़ुशी हुई | आपको प्रस्तुति पसंद आई मेरा प्रयास सफल मान रही हूँ | कोटि आभार |

      हटाएं
  14. प्रणाम दी,
    आपको चर्चाकार के रुप में देखना सदैव अच्छा लगता है।
    एक समर्पित पाठिका की पसंद की रचनाएँ निःसंदेह उत्तम तो होंगी।
    कुछ रचनाएँ तो पहले से पढ़ी हुई है..पर सारी रचनाएँ नहीं पढ़ पायीं हूँ दी। ख़ेद है कि प्रतिक्रिया भी नहीं दे पाई हूँ।
    आपके द्वारा दिया गया विषय भी बहुत अच्छा लगा। उम्मीद है खूब सारी रचनाएँ आयेंगी।
    प्रत्येक रचना के साथ लिखी गयी आपकी विशेष प्रतिक्रिया आकर्षित कर रही है।
    बहुत सुंदर और सुरुचिसम्पन्न प्रस्तुति।
    जी दी जब भी आप को समय हो मंच पर चर्चा कार के रुप में आप आमंत्रित है।
    बहुत-बहुत आभार दी मंच की शोभा में चार चाँद गढ़ने के लिए।
    सादर। सस्नेह।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. प्रिय श्वेता , इस स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए बहुत आभार | पांच लिंकों का ये प्रस्ताव मेरा सौभाग्य है | पर तुम काफी कुछ जानती भी हो , जीवन इन दिनों जानलेवा व्यस्ताओं से गुजर रहा है | निकट भविष्य में मुझे कभी भी समय होगा जरुर पञ्च लिंकों से जुड़ना चाहूंगी | पुनः आभार |

      हटाएं
  15. आदरणीय यशोदा दीदी , कोटि आभार प्रस्तुति का अवसर प्रदान करने के लिए | मेरे लिए अविस्मरनीय रहा | सादर

    जवाब देंहटाएं
  16. कल आने से चूक गई.. कहने को तो बहुत बहाने बना सकती हूँ लेकिन..
    बेजोड़ प्रस्तुतीकरण लगा
    संजो कर रखने लायक संकलन

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आदरणीय दीदी, आपकी उपस्थिति और मधुर प्रतिक्रिया से अपार संतोष हुआ । हार्दिक आभार और प्रणाम 🙏🙏

      हटाएं
  17. बहुत बहुत सुंदर प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  18. हार्दिक आभार भारती जी 🙏🙏

    जवाब देंहटाएं
  19. मैं भी कल से पढ़ रही हूँ आपकी पसंदीदा रचनायें आज अब सभी पर प्रतिक्रिया दे पायी हूँ सचमुच बहुत ही लाजवाब है आपकी पसंद ...आपके लेखन की तरह ही....और आपका चर्चाकार रूप भी सराहना से परे हैं सभी रचनाओं पर आपकी लिखी भूमिका रचना में चार चाँद लगा रही है...
    वाह!!!!सखी आप तो छा गयी हैं...बधाई एवं शुभकामनाएं आपको।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बहुत बहुत आभार प्रिय सुधा जी | आप उदारमन से जिस तरह उत्साहवर्धन करती हैं , वह अमूल्य है मेरे लिए | मेरी शुभकामनाएं और स्नेह आपके लिए |

      हटाएं
  20. रेणु जी नमन आपको और आभार आपका ... विलम्ब से प्रतिक्रिया के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ। दरअसल तकनीकी ज्ञान की कमी के कारण ब्लॉग पर आई प्रतिक्रियाओं की त्वरित जानकारी नहीं मिल पाती। जब ब्लॉग पर जाता हूँ , तभी देख पाता हूँ।
    मन में आए कई उथल-पथल को वेबपेज पर उड़ेल कर खुद को हल्का बेशक़ महसूस करता हूँ, पर एक बुराई भी है मुझ में कि मैं अन्य को पढ़ने में कुछ ज्यादा ही कृपण हूँ।
    मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और लगभग साल भर होने जा रहा है ब्लॉग की दुनिया में जिस से इतना तो समझ आने लगा है कि समाज की औपचारिकता के अनुसार हमे भी सभी के पोस्ट पर जाना चाहिए और कम-अधिक प्रतिक्रिया करनी चाहिए।
    पर क्या करूँ ... अपनी आदत कुछ बुरी है .. पर यकीन कीजिए , आदमी मन से बुरा नहीं हूँ। और ना ही आत्ममुग्ध हूँ। बस आदत है ऐसी। इसके लिए इस मंच के माध्यम से सभी से क्षमाप्रार्थी हूँ, स्थापित और श्रेष्ठ लोगों को छोड़कर ... बस यूँ ही ...
    पुनः आपका आभार .. मेरी एक पुरानी रचना/विचार पर नज़र देने के लिए ...

    जवाब देंहटाएं
  21. सुबोध जी , प्रस्तुती पर आपके आने से संतोष हुआ इसके लिए आभार और शुक्रिया | और अन्य ब्लॉग को पढने में कृपणता की बात नहीं ये सभी का अपना अपना समय प्रबंधन है | सभी लोग सभी रचनाओं को ना तो पढ़ सकते है और ना सभी के हर पोस्ट पर लिखना संभव हो पाता है | ये सबके साथ है | बस सौहार्द बना रहे आपको ब्लॉग लेखन के एक साल के लिए बहुत -बहुत बधाई | एक वर्ष में आपने बहुत उपलब्धियां हासिल की हैं | आज आप ब्लॉग जगत का एक जाना पहचाना नाम हैं | पुनः आभार |

    जवाब देंहटाएं
  22. सुन्दर प्रस्तुति।
    मेरे संस्मरण का लिंक देने के लिए आभार।
    धन्यवाद आदरणीय रेणु बाला जी।

    जवाब देंहटाएं
  23. चर्चाकार के रूप में देखकर हार्दिक प्रसन्नता हुई

    जवाब देंहटाएं
  24. हार्दिक आभार प्रिय संजय🙏🙏😊

    जवाब देंहटाएं
  25. अरे वाह!
    यह कैसा छूटा हमसे!
    आदरणीया दीदी जी सादर प्रणाम 🙏
    कितनी सुंदर प्रस्तुति दी आपने!!
    ... और सभी उम्दा रचनाओं का चयन किया आपने। रचनाओं पर आपकी सुंदर भूमिका ना केवल कलमकार की कलम से हमारा परिचय करवा रही अपितु यह भी बता रही कि आप जितनी उत्तम कलमकारा हैं उतनी ही उत्तम पाठिका भी। मेरी भी ढेरों बधाई और शुभकामनाएँ स्वीकार करिए। पुनः प्रणाम 🙏 शुभ रात्रि।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बहुत बहुत आभार प्रिय आँचल, विलंबित प्रतिक्रिया के लिए खेद है 🌹❤❤🌹

      हटाएं

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