शुक्रवारीय अंक में
आपसभी का स्नेहिल
अभिनंदन
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एक दिन महिला दिवस मनाने का कोई औचित्य मेरी समझ में नहीं आता है। स्त्रियों की दशा और भावनाओं को समझने और महसूस करने की जरूरत है। सृष्टि में स्त्री-पुरुष दोनों एक दूसरे के पूरक है इस बात को स्वीकरना आवश्यक न कि सम्मान देने का आडंबर करने की।
स्त्री-पुरुष के पारस्परिक सामंजस्य से ही बेहतर समाज का निर्माण होगा।
"स्त्रियों को मंच से नहीं मन से सम्मान चाहिए।"
कोरोना के बढ़ते घातक प्रकोप से विश्वभर में भय का माहौल पैदा हो गया है। हमारे देश म़े इस बीमारी की दस्तक अनिष्ट के संकेत से सभी भयभीत हैंं। कोरोना के गगनभेदी गड़गड़ाहट से महिला दिवस और फागुन के उत्सव के मधुर स्वर मद्धिम पड़ गये हैं। जिस तरह हम बदलते मौसम की आहट के अनुरूप अपनी दिनचर्या परिवर्तित करते हैं वैसे ही अगर इस विश्वव्यापी बीमारी के प्रति सतर्क रहेंगे और बचाव के सारे उपाय करेंगे तो आने वाले समय का प्रत्येक दिन स्वस्थ रहकर उल्लासपूर्वक जी सकेंगे। यह हम सभी नागरिकों की नैतिक जिम्मेदारी है कि हमारे आस-पास के जिन लोगों को इस बीमारी के बारे में जानकारी नहीं है उन्हें सही तथ्यों से परिचित करवाये और जागरूक करें।
बीमारी सबंधित भ्रामक अफवाहों पर आँख मूँद कर भरोसा न करें, डरें या घबरायें नहीं कृपया धैर्य और विवेक से परिस्थितियों का सामना करें।
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आइये अब आज की रचनाओं का आनंद लीजिए-
आज के सम्मानीय रचनाकार क्रमशः
रेणु जी
ज्योति खरे सर
अनीता सैनी जी
सुधा देवरानी जी
कामिनी जी
★★★★★
तुम्हें बदलते देख रही हूँ
मेरी पहुँच से दूर हो फिर भी,.
अनजानी -सी ये जिद कैसी ?
चाँद खिलौने पर देखो -
मनशिशु मचलते देख रही हूँ !!
★★★☆★★★
यार फागुन
शहर की
संकरी गलियों में भी
झांक लिया करो
मासूम गरीबों के सपने
रंगहीन पानी की तरह
बहता मिलेंगे
झोपड़ पट्टी में
कुछ दिन गुजारो
भूखे बच्चों के शरीर में
कपड़ों के नाम पर
चिथड़ा ही मिलेंगे
★★★★★★
फुँफकारते साँप,
डंक मारते बिच्छू,
बदचलनी की,
वही ज़हरीली हवा,
पल-पल पड़ते,
कुलटा,बाज़ारु नाम के,
तुम्हें मिट्टी-सी,
★★★☆★★★
हाथ पर यों हाथ धरकर,
सब कुछ मिले आराम से ।
हुक्म पर दुनिया चले,
लेना क्या किसी काम से।
नकली डिग्री उच्च पद पर,
बस हरी झण्डी चाहिए ।
आज जीने के लिए ,
इक शिखण्डी चाहिए।
★★★☆★★★
और चलते-चलते
कोरोना वायरस की होम्योपैथी दवा
मैं खुद एक होमियोपैथिक प्रैक्टिसनर हूँ इसलिए आज मैं आप सब से एक जरुरी जानकारी साझा करना चाहती हूँ। उस पर यकीन कर आप कितना अमल करेंगे वो तो मैं नहीं जानती मगर एक डॉक्टर होने के नाते मैं ये अपना फर्ज समझ रही हूँ कि आप सभी से ये बहुमूल्य जानकारी साझा करूँ। अगर इस पर विश्वास करके आप इसका प्रयोग करेंगे तो यकीन मानिए कोरोना वायरस ही नहीं ,किसी भी तरह के वायरस से आप खुद को और परिवार को सुरक्षित रख पाएंगे।
★★★★★★★
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आपकी प्रतिक्रियाएँ
मनोबल बढ़ाती है।
हमक़दम का विषय
यहाँ देखिये
कल का विशेष अंक पढ़ना न भूलें
विभा दी आ रही है
अपनी अनूठी प्रस्तुति के साथ।
#श्वेता सिन्हा
Wow...
जवाब देंहटाएंWonderful..
Regards..
🤔🤐
हटाएंआदरणीय दीदी
हटाएंसादर नमन
क्या कहना चाह रही थी आप
कुछ सेकेण्ड को लिए हमारे
मोबाईल का की बोर्ड हैंग हो गया था
पुराना हो हया है न
सादर
बेबाक उम्दा भूमिका
जवाब देंहटाएंसाधुवाद छूटकी
बहुत अच्छी भूमिका दी, कम शब्दों में ही आपने स्त्रियों की दशा और दिशा के बारे में बेहतरीन विचार प्रस्तुत किए हैं स्त्रियों को मंच से नहीं मन से सम्मान दीजिए ये पंक्तियां वाकई में बहुत ही उम्दा और विचारणीय लगी...।
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह सभी रचनाएं एक से बढ़कर एक है
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति :)
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुंदर हलचल।
जवाब देंहटाएं"स्त्रियों को मंच से नहीं मन से सम्मान चाहिए।"इस एक पंक्ति से आपने बहुत कुछ कह दिया श्वेता जी
जवाब देंहटाएंबेहतरीन भूमिका के साथ चुनिंदा रचनाएँ भी लाज़बाब ,सभी रचनाकारों ढेरों शुभकामनाएं
मेरी रचना को स्थान देने के लिए हृदयतल से आभार ,आपने ये बात भी बिलकुल सही कहा हैं कि -
" बीमारी सबंधित भ्रामक अफवाहों पर आँख मूँद कर भरोसा न करें, डरें या घबरायें नहीं कृपया धैर्य और विवेक से परिस्थितियों का सामना करें।"
सतर्कता जरुरी हैं ,डरना या घबराना नहीं ,सादर नमन सभी को
महिला दिवस पर बहुत ही सुन्दर रचनाओं का उद्धरण देते हुए महिलाओं के अन्दर छुपी प्रतिभा का बेहतरीन संयोजन किया गया है। मंच से जुड़े सभी सहयोगियों को असीम शुभकामनाएँ ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति श्वेता दीदी. महिला दिवस और कोरोना वायरस पर विचारणीय भूमिका. बेहतरीन समसामयिक रचनाओं का चयन किया है आपने आज की प्रस्तुति में. सभी को बधाई.
जवाब देंहटाएंमेरी रचना शामिल करने के लिये आपका बहुत-बहुत आभार.
सृष्टि में स्त्री-पुरुष दोनों एक दूसरे के पूरक है इस बात को स्वीकरना आवश्यक न कि सम्मान देने का आडंबर करने की।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सार्थक सारगर्भित एवं विचारणीय पंक्तियों के साथ लाजवाब प्रस्तुतीकरण एवं उम्दा लिंक संकलन...
मेरी रचना को यहाँ स्थान देने हेतु तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार।
प्रिय श्वेता , सुंदर भावपूर्ण अंक वो भी सार्थक भूमिका के साथ | सचमुच नारी मंच से नहीं मन से सम्मान की हकदार है | यही होना चाहिए | एक मानवी के रूप में उसके सभी अधिकार पुरुषों के ही सामान है |और कोरोना वायरस के बारे में सही है -सर्वप्रथम अफवाहों से दूर जाया जाए | फिर इलाज से बेहतर परहेज को अपनाया जाए | और भगवान् ना करे किसी में संक्रमण के लक्षण नज़र आयें, तो धैर्य से चिकित्सीय सलाह तो है ही |और ये इंडिया है मेरी जान -- कोई भी बीमारी आये उससे पहले घरेलू नुस्खे बड़ी तादाद में बताये और समझाए जाने लगे जाते हैं | अब तो सोशल मीडिया उपलब्ध है , इन सबके लिए | आज ही मैं व्हाट्स अप्प पर देख रही थी| किसी ने पंजाब से मैसेज भेजा था , कि मरीज में कोरोना या किसी भी वायरस के लक्षण को दिखते ही मरीज को कच्चे प्याज में नमक लगाकर मरीज को खिलाएं और ताज़ा पानी पिलायें , और उसके आधा घंटा बाद तक कुछ ना खाएं | पता नहीं ये सही है या नहीं पर इतना सा उपाय करने में कुछ भी हानि भी नहीं | आज के संकलन में सखी कामिनी का लेख कोरोना से डरने वालों से बहुत कुछ कहता है | उसे जरुर पढ़ना चाहिए और शेयर भी करना चाहिए , आखिर ये एक अनुभवी काबिल डॉक्टर की सलाह है | आज के सभी रचनकारों को नमन और तुम्हें बधाई इस बेहतरीन अंक के लिए | सस्नेह --
जवाब देंहटाएंकई महीनों के बाद आज पांच लिंकों में अपनी रचना देखकर अच्छा लग रहा है | आभार -
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