नया विषय देना
इस कोरोना के युग में
लोग बाहर नहीं जाते तो
रचनाकारों को दिखता ही नहीं
चलिए चलें रचनाओं की ओर...
तेरी खुशबू उगी है ....प्रतिभा कटियार
देखो, खुशबू उगी है...तुम बो गये थे इंतजार के जो बीज वो खिल रहे हैं. महक रहे हैं. ये खुशबू मुझसे हर वक़्त बात करती है. हर वक्त मैं इस खुशबू को ओढ़े फिरती हूँ. बौराई सी रहती हूँ. कल एक चिड़िया खिड़की पर आई देर तक मुझे देखती रही. मैंने उससे पूछा, 'क्या देख रही हो?' वो हंस के उड़ गयी...
रस्में आदाब की ...मुदिता गर्ग
औकात की अना जैसे भटकन सराब की
हस्ती है बस हमारी ज्यूँ इक हुबाब की.....
दुनिया में बज़ाहिर करता है ख़ुद से दूर
पहलू में तारीकी पे है इनायत चराग की
सरूर तेरे इश्क़ का , काफ़ी है हमनफ़स
क्यूँ खोलें हम तू ही बता बोतल शराब की...
नीलकंठ बन रोज हलाहल हम भी पीते हैं
जयकृष्ण राय तुषार
नीलकंठ
बन रोज हलाहल
हम भी पीते हैं ,
पत्नी ,बच्चे
उत्सव ,मेला
छोड़ के जीते हैं ,
राजा जैसा
कहता वैसा
गीत सुनाते हैं |
....
सुनाते हैं
आज का विषय क्रमाक 116
फिल्मी ग़ज़ल
नमूना ग़ज़ल
चौदहवीं का चाँद या आफ़ताब हो
ख़ुदा की कसम लाज़वाब हो
आपको सिर्फ अपनी पसंदीदा ग़ज़ल के बोल और
फिल्म का नाम लिखना है
अंतिम तिथिः 18 अप्रैल 2020
प्रकाशन तिथिः 20 अप्रैल 2020
प्रेषण माध्यम ब्लॉग संपर्क फार्म
...
अब अंतिम दो रचनाएँ बंद ब्लॉग से..
ब्लॉग दिल की कलम से...2013 से बंद है
दिलीप साहब
लख़नऊ ब्लॉगर्स असोसिएशन के सदस्य हैं
और लखनऊ में ही निवास करते हैे
....
तो इश्क़ हो जाता.... दिलीप
उसने ता-उम्र तकल्लुफ का जो नक़ाब रखा...
वो जो उठता कभी ऊपर, तो इश्क़ हो जाता....
उसकी आदत है वो पीछे नहीं देखा करती...
ज़रा सा मुड़ के देखती, तो इश्क़ हो जाता...
उसको जलते हुए तारे, चमकता चाँद दिखा...
रात की तीरगी दिखती, तो इश्क़ हो जाता...
मेरी आँखों में रहता है... दिलीप
मेरी आँखों में रहता है, मगर गिरता नहीं...
अजब बादल बरसता है, मगर घिरता नहीं...
मेरे टूटे हुए घर में, बड़ी हलचल सी है...
कोई इक दौर रहता है, कभी फिरता नहीं...
बड़ी अंजान नज़रों से मुझे बस घूरता है...
मेरा ही अक्स मुझसे आजकल मिलता नहीं..
....
आज बस
फिर मिलते हैं
सादर
बहुत अच्छे लिंक्स साथ में मेरी पोस्ट को शामिल करने हेतु आपका हृदय से आभार |
जवाब देंहटाएंखूबसूरत लिंक्स के साथ प्रस्तुति ! बहुत सुंदर ।
जवाब देंहटाएंवाह!खूबसूरत प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंबढ़िया लिंक्स
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे लिंक्स। आदरणीया यशोदा दी कृपया विषय को स्पष्ट करें। गजल के बोल/फिल्म का नाम ही रचना का विषय है क्या?और क्या रचना ग़ज़ल विधा में ही होनी चाहिए? सादर।
जवाब देंहटाएंआदरेषु..
हटाएंग़ज़ल के बोल और फिल्म का नाम लिखे तो वही ग़ज़ल लगेगी..और ग़र आपने अपनी मौलिक ग़ज़ल लिखी तो ब्लाग का लिंक लगाएँगे
सादर..।
शुक्रिया दी
हटाएंसादर आभार आदरनीय दीदी , मुझे भी बात समझ में नहीं आई थी | अब जाकर समझी | दो गजलों के मुखड़े भेज रही हूँ | आभार
हटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति एवं सुंदर विषय चयन।
जवाब देंहटाएंआदरणीय दीदी , बहुत प्यारा अंक | प्रतिभा जी लाजवाब रचना ने निशब्द कर दिया | और बंद ब्लॉग की रचनाएँ पढ़कर बहुत अच्छा लगा | जब बंद है तो फ़ॉलो करने का मन नहीं किया | ब्लॉगर्स असोसिएशन के सदस्य का ब्लॉग बंद हो जाना बहुत हैरानी की बात है | सभी रचनाकारों को बहुत बहुत शुभकामनाएं और आपको बधाई | हमकदम के नये प्रयोग के लिए रोमांचित हूँ | आशा है सभी सहयोगियों की पसंद की गजलें सुनने को मिलेगी सभी से आग्रह है अपनी पसंद जरुर भेजें | सादर |
जवाब देंहटाएंशानदार प्रस्तुतीकरण उम्दा लिंक संकलन...।
जवाब देंहटाएंअनूठे लिंकों के संकलन के साथ-साथ आज का आपका दो नया प्रयोग - एक पुराने बन्द पड़े ब्लॉग का साझा करना और दूसरा गज़ल के लिए सब को उकसाना .. क़ाबिल - ए - तारीफ़ ...
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति
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