आज हर तरफ करोना का कहर है......
सब अपने-अपने घरों में बंद है......
देश-वासियों के मन में सकरातमकता जगाने.....
उन के अंदर भय उतपन न हो......
इसी लिये दूरदरशन पर रामायण का पुनः-प्रसारण किया गया था.....
सोचा था.....रावण वध तक......
करोना रूपी आज के रावण को भी हम मार देंगे......
पर ये रावण तो उस रावण से भी अधिक शक्तिशाली है......
ऐसा लगता है......
ये रावण मानव की तपस्या......
या मानव द्वारा ही निरमित है......
प्रकृति ऐसा तांडव नहीं मचाती..........
कोरोना महामारी नहीं,प्रकृति का एक संदेश लेकर आया है।
जिसने प्रकृति के दुश्मनों को आज चेताया है।।
जो लोग दूर जाकर प्रवासी हो गए थे।
उनको आज फिर से अपनों से मिलवाया है।।
बागों से पेड़ों का कटान हमेशा से होता रहा।
कटान को रुकवा कर आज, बागों में कोयल को कूकाया है।।
वन्य जीवो की भूमी, जो इंसानों ने कब्जा ली थी।
आज कोरोना ने उनकी, भूमि को वापस लौट आया है।।
जिन रंगों को हम अपने स्वार्थ के लिए भूल चुके थे।
आज वह रंग उड़ते पक्षियों,तितलियों और खिलते फूलों में दिखाया है।।
जो लोग जिंदगी की दौड़ में बेवजह भागे जा रहे थे।
कोरोना ने आज उन्हें, रुक कर आगे बढ़ना सिखाया है।।
जो लोग बेवजह अन्न की बर्बादी किए जा रहे थे।
कोरोना ने आज उन्हें, अन्न का सम्मान करना सिखाया है।।
प्रकृति के दुश्मनों सुधर सकते हो,तो अभी भी सुधर जाओ।
वरना कोरोना ने तो बस अभी सपना सा दिखाया है।।
अमर-उजाला काव्य से साभार।
चौपाई, कोरोना
डॉक्टर ,नर्स और सिपाही
मानवता की बने गवाही
उनका कर्जा आज चुकाओ
धन्यवाद कह फर्ज निभाओ।
कोरोना के विरुद्ध लड़ाई में “सबका सबके प्रति विश्वास” — सच्चिदानंद जोशी
हमारे पास सिवाय आंकड़ो के और जांच आयोगों की रिपोर्ट के कुछ नही है। न हमने इनसे कोई सबक लिया न कोई स्थायी समाधान निकाला।
भारत की कोरोना के विरुद्ध लड़ाई जारी है। भारत अपने सीमित संसाधनों से पूरे जीवट के साथ इससे लोहा ले रहा है। सब कुछ ठीक हो जाता और उम्मीद भी थी कि पहले लॉक डाउन के समाप्त होते होते सारी बाते काबू में भी आ जाती, लेकिन तभी तब्लीगी जमात का सारा प्रकरण सामने आ गया और भारत फिर से इस महामारी से जूझने की गंभीर चुनौती का सामना करता नजर आ रहा है।
दुख की बात ये है कि अब हम कोरोना के विरुद्ध लड़ने की बजाय आपस मे लड़ने में जुट गए है और लड़ाई के अपने प्रिय विषय हिन्दू मुसलमान पर आकर टिक गए है। ऐसा अक्सर होता है हमारे देश के साथ कि बात कही की भी हो, मुद्दा किसी से भी जुड़ा हो यदि उसे असफल करना है, या पटरी से उतारना है तो उसमें ये दृष्टिकोण डाल दो मामला अपने आप दूसरी दिशा पकड़ लेगा और मूल बात या मूल उद्देश्य कही दूर छूट जाएगा।
इक राह नई चुननी है
धीरज की बाँह पकड़कर
सहना है हर अनुशासन ,
मन ना कोई विचलित हो
शुभ संदेश सुनाना है !
थोड़े में गुजारा हो
मिल बांट के हम खाएँ,
कोई भी अकेला हो
उसे ढूंढ के लाना है !
कोरोना आपदा से रोज़गार को खतरा
यदि विशेषज्ञों की माने तो देश में 13.6 करोड़ लोग कोरोना की मार से बेरोजगार हो जायेंगे और अर्थव्यवस्था की विकास दर घटकर 1-2% तक हो जायेगी . देश के वित्त मंत्री और भारतीय रिजर्व बैंक के अधिकारियों के चेहरे पर चिंता की लकीरों का गहराना वाजिब ही है .
गौर करने वाली बात होगी कि भारत कोरोना और उससे उपजी आर्थिक मंदी से कैसे निपटता है ?
अंतरशक्ति जगायेगा जो
आज नहीं कल इसका वैक्सीन बन ही जायेगा. इस भरोसे को बनाये रखने के लिए सकारात्मक सोच जरूरी है, जो आती है शक्ति की साधना से. हर दिन कुछ न कुछ नया रचना या करना है, चाहे छोटे से छोटा कृत्य ही क्यों न हो. उदारता से भी शक्ति बढ़ती है और मन की गहराई में प्रेम और करुणा की जो भावना सुप्त है उसे जगाने से भी. कृतज्ञतापूर्वक अपने जीवन में मिले साधनों में से कुछ को औरों के लिए त्यागने से भी. विश्व, देश और समाज में आज जो स्थिति है उसको स्वीकार करके ही उसके पार जाने का मार्ग मिल सकता है.
वो सुबह
दिन रात के इस बंद-बंद में
हो गया हो जैसे जीवन ही बंद
अब सोते-जागते हरदिन
इस आस में खोए रहते हैं
खुली-खुली सरहदों वाली
वो सुबह फिर कब आयेगी?
मेरा मैं
वह दिन मेरे जीवन का
सर्वाधिक दुखद और कदाचित
अंतिम दिन होगा क्योंकि
मुझे नहीं लगता उसके बाद
मेरे जीवन में ऐसा कुछ
अनमोल शेष रह जायेगा
जिस पर मैं अभिमान कर सकूँ !
धन्यवाद।
गज बाजि खच्चर निकर पदचर रथ बरूथिन्ह को गनै।।बहुरूप निसिचर जूथ अतिबल सेन बरनत नहिं बनै।।बन बाग उपबन बाटिका सर कूप बापीं सोहहीं।नर नाग सुर गंधर्ब कन्या रूप मुनि मन मोहहीं।।
जवाब देंहटाएंऐसा था रावण का राज्य, हरकोई टनाटन और कहाँ ये कोरोना ? जरा विचार करें।
विचारोत्तेजक भूमिका के लिए आपको नमन
सुन्दर लिंक्स
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआभार आपका
आज हिमांचल में बर्फ पड़ने की खबर है
सावधान सदा सुरक्षित
सादर
बहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंवाह! सुंदर।
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत।
जवाब देंहटाएं'वो सुबह' लगाने के लिए शुक्रिया।
सम सामयिक सूत्रों से सुसज्जित आज की हलचल ! मेरी रचना को आज के संकलन में शामिल करने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार कुलदीप जी ! सादर वन्दे !
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत सुंदर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बधाई।