तृष्णा का अर्थ प्यास, इच्छा या आकांक्षा से है। सांंसारिक बंधन के जन्म से मृत्यु तक के चक्र में मानव जीवन की कथा लिखी जाती है। मनुष्य को इस मायावी जग से बाँधे रखने के लिए काम,क्रोध,लोभ,मोह और अहंकार जैसे भाव होते है। मनुष्य मन में पनपे विचार,इच्छा के रुप में अंकुरित होते हैं और इस इच्छा की जड़े जब मजबूत होकर मन मस्तिष्क पर राज करने लगती है तो वह तृष्णा कहलाती है। जिस प्रकार हवन में डाली जाने वाली समिधा से अग्नि प्रचंड होती है वैसे ही तृष्णा की तृप्ति दुष्कर है। किसी को धन की तृष्णा, किसी को प्रेम की, किसी को जीवन की किसी को यश की,संपूर्ण जीवन मनुष्य अपनी तृष्णा को तृप्त करने के प्रयास में भटकता रहता है। छलना जग की माया में भ्रमित मृग-सा फिरता है आना-जाना खाली "कर" जाने भरता है किस घट को हरपल तृष्णा मेंं झुलसता है
-श्वेता हमक़दम के विषय "तृष्णा" पर रचनाकारों की विलक्षण लेखनी से पल्लवित अद्भुत पुष्पों की सुगंध आप भी महसूस कीजिए। चलिए आपके द्वारा सृजित रचनाओं के संसार में-
सुप्रभात। तृष्णा तो इतने प्रतिभाशाली रचनकारो ने कितने भिन्न भिन्न आयामो से बयान किया हैं।पड़कर बहुत आनंद आ गया।प्रतीक्षा थी इस अंक की पड़कर अच्छा लगा।सबकी बधाई। आभार स्वेता जी।
तृष्णा पर बहुत सुदंर, ज्ञानवर्धक और सार्थक परिभाषा , सभी रचनाएं एक से बढ़ कर एक है। फिर भी इस माया जगत के बंधन को कायम रखने के लिये इसकी उपयोगिता है, अन्यथा यह जीवन ठहर जाए...
सादर आभार मेरी रचनाओं को स्थान देने के लिए 🙏 बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति है सभी रचनाएं तृष्णा की असीमता को परिभाषित कर रही हैं वास्तव में यह तृष्णा ही है जो उलझाती भी है भटकाती भी है और सही राह मिल जाए तो परम सत्य का साक्षात्कार भी कराती है बधाई सभी रचनाकारों को और आपको भी श्वेता जी
सुंदर प्रस्तुति सभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई सुंदर रचनाएं पढ़ने को मिली आपका बहुत बहुत आभार श्वेता जी मेरी रचना को सुंदर प्रस्तुति का हिस्सा बनाने के लिए 🙏
प्रिय श्वेता -- आज फिर से हमकदम आयोजन के साथ परम प्रिय मंच पांच लिंकों की महफ़िल सजी है | विषय दुरूह था पर कलम के धनी रचनाकार भे कम प्रतिभा शाली नहीं हैं | उन्होंने बेजोड़ सृजन किया | संकलन का सबसे अहम हिस्सा -- तृष्णा पर आपकी लघुनिबंधात्मक विवेचना से सार्थक हो गया -- बहुत सही भूमिका लिखी है आपने , जो सराहनीय तो है ही चिन्तनपरक भे भी है | संसार अपनी - अपनी तृष्णा की धुरी पर ही गतिमान है | सब मोह अतंतः तृष्णा बन जीवन का चाहे - अनचाहे सम्बल बन जाते हैं और जीवन में रूचि को कायम रखते हैं | प्रिय इंदिरा जी ने बहुत ही सही लिखा है - तिस तिस तृष्णा ना मिटे ,तिल तिल अगन लगाये जिस दिन तृष्णा मिट गई ,वा दिन नमः शिवाय !!!!!!!! आज के लिंक सभी सहभागी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनायें | अभी नजर भर मारी है रचनाओं पर लेक्नी शीघ्र ही दुबारा भ्रमण होगा सभी लिंकों पर | मेरी रचना और पसंद के गीत को को स्थान मिला पञ्च लिंक मंच को कोटिश आभार और नमन | और आपके अत्यंत मेहनत से सजाये इस लंक के लिए आपको हार्दिक स्नेह के साथ बधाई |
अनुपम अद्भुत रचनाओं का बहुत ही सुन्दर सार्थक अनूठा संकलन ! सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई ! मेरी रचना सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार श्वेता जी ! अभिनन्दन !
व्याख्यात्मक विशिष्टता लिये सांगोपांग भुमिका, श्वेता आपकी लेखनी हर दिल अजीज और हर फन मौला है, बहुत शानदार प्रस्तुति है तुसीदास जी कि एक पंक्ति बार बार स्मरण होती है "ममता क्यों न गई मोरे मन से"। सभी रचनाऐं बहुत सुंदर है और तृष्णा का सही चित्र खिंचती है कल आपकी भी तृष्णा पर एक अप्रतिम मनभावन रचना पढी आप उसे भी देते तो अच्छा लगता। मेरी रचना को सामिल करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया, सभी रचनाकारों को बधाई।
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सुप्रभात।
जवाब देंहटाएंतृष्णा तो इतने प्रतिभाशाली रचनकारो ने कितने भिन्न भिन्न आयामो से बयान किया हैं।पड़कर बहुत आनंद आ गया।प्रतीक्षा थी इस अंक की पड़कर अच्छा लगा।सबकी बधाई।
आभार स्वेता जी।
जाने भरता है किस घट को
जवाब देंहटाएंहरपल तृष्णा मेंं झुलसता है
तृष्णा पर बहुत सुदंर, ज्ञानवर्धक और सार्थक परिभाषा , सभी रचनाएं एक से बढ़ कर एक है।
फिर भी इस माया जगत के बंधन को कायम रखने के लिये इसकी उपयोगिता है, अन्यथा यह जीवन ठहर जाए...
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंलिखने का तरीका सुधर रहा है
या ये कहिए मंजने लगी है कलम
अच्छी रचनाएँ
सादर
बहुत सुन्दर प्रस्तुति , सदैव की भांति बेहतरीन..., मेरी रचना को इस संकलन में शामिल कर मान देने के लिए हार्दिक आभार श्वेता जी ।
जवाब देंहटाएंजफ़र साब व रेनू जी की कविता शानदार हैं.
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों ने बठिया काम किया है.
बधाई.
हार्दिक आभार रोहित जी -- मंच पर आपके शब्दों ने मेरा मान बढ़ाया है |
हटाएंबहुत बहुत आभार रोहितास जी।अपने मेरी रचना को इस लायक समझा
हटाएंवाह बहुत सुन्दर अंक।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति,
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को इस अंक में स्थान देने के लिए,
हार्दिक आभार श्वेता जी ।
सादर
सादर आभार मेरी रचनाओं को स्थान देने के लिए 🙏 बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति है सभी रचनाएं तृष्णा
जवाब देंहटाएंकी असीमता को परिभाषित कर रही हैं वास्तव में
यह तृष्णा ही है जो उलझाती भी है भटकाती भी है
और सही राह मिल जाए तो परम सत्य का साक्षात्कार भी कराती है बधाई सभी रचनाकारों को और आपको भी श्वेता जी
सुंदर संकलन
जवाब देंहटाएंतृष्णा पर उम्दा रचनायें
बहुत उम्दा रचनाएं
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुतिकरण
सुंदर प्रस्तुति सभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई सुंदर रचनाएं पढ़ने को मिली आपका बहुत बहुत आभार श्वेता जी
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को सुंदर प्रस्तुति का हिस्सा बनाने के लिए 🙏
प्रिय श्वेता -- आज फिर से हमकदम आयोजन के साथ परम प्रिय मंच पांच लिंकों की महफ़िल सजी है | विषय दुरूह था पर कलम के धनी रचनाकार भे कम प्रतिभा शाली नहीं हैं | उन्होंने बेजोड़ सृजन किया | संकलन का सबसे अहम हिस्सा -- तृष्णा पर आपकी लघुनिबंधात्मक विवेचना से सार्थक हो गया -- बहुत सही भूमिका लिखी है आपने , जो सराहनीय तो है ही चिन्तनपरक भे
जवाब देंहटाएंभी है | संसार अपनी - अपनी तृष्णा की धुरी पर ही गतिमान है | सब मोह अतंतः तृष्णा बन जीवन का चाहे - अनचाहे सम्बल बन जाते हैं और जीवन में रूचि को कायम रखते हैं | प्रिय इंदिरा जी ने बहुत ही सही लिखा है -
तिस तिस तृष्णा ना मिटे ,तिल तिल अगन लगाये
जिस दिन तृष्णा मिट गई ,वा दिन नमः शिवाय !!!!!!!!
आज के लिंक सभी सहभागी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनायें | अभी नजर भर मारी है रचनाओं पर लेक्नी शीघ्र ही दुबारा भ्रमण होगा सभी लिंकों पर | मेरी रचना और पसंद के गीत को को स्थान मिला पञ्च लिंक मंच को कोटिश आभार और नमन | और आपके अत्यंत मेहनत से सजाये इस लंक के लिए आपको हार्दिक स्नेह के साथ बधाई |
बहुत स़ुदर प्रस्तुति.. सभी रचनाकारों को शुभकामनाएँँ
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंलाजवाब प्रस्तुतिकरण.....एक से बढकर एक तृषित रचना ....तृष्णा के इतने रंग...वाह!!!
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई...
'तृष्णा' शीर्षक पर रचित कविताएँ पढी। बहुत सार्थक और सफल प्रयास है। हार्दिक शुभकामनाएं!
जवाब देंहटाएंउम्दा रचनायें
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर संकलन , बधाई सभी रचनाकारों को
जवाब देंहटाएंवास्तव में सुन्दर “तृष्णा “ विषय पर कलमकारों ने अपनी क़लम ख़ूब चलायीं है । शुबकामनाए
अनुपम अद्भुत रचनाओं का बहुत ही सुन्दर सार्थक अनूठा संकलन ! सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई ! मेरी रचना सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार श्वेता जी ! अभिनन्दन !
जवाब देंहटाएंव्याख्यात्मक विशिष्टता लिये सांगोपांग भुमिका,
जवाब देंहटाएंश्वेता आपकी लेखनी हर दिल अजीज और हर फन मौला है, बहुत शानदार प्रस्तुति है तुसीदास जी कि एक पंक्ति बार बार स्मरण होती है "ममता क्यों न गई मोरे मन से"।
सभी रचनाऐं बहुत सुंदर है और तृष्णा का सही चित्र खिंचती है कल आपकी भी तृष्णा पर एक अप्रतिम मनभावन रचना पढी आप उसे भी देते तो अच्छा लगता।
मेरी रचना को सामिल करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया,
सभी रचनाकारों को बधाई।
बहुत सुन्दर संकलन ,
जवाब देंहटाएंबधाई सभी रचनाकारों को 🙏🙏🙏
तृष्णा से खूब परिचय कराया आज की इस हलचल ने
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर संकलन