आज मुसलिम धर्मावलंबियों के द्वारा
मुहर्रम मनाया जाता है।
इस्लामी वर्ष यानि हिजरी संवत् यानि
इस्लामिक कैंलेडर का प्रथम महीना।
हुसैन सहित उनके 72 साथियों के शहीद होने का शोक
मनाया जाता है। इस दिन लोग काले कपड़े पहनते हैं
और मातमी जुलुस निकालते हैं
जिसे "तजिया" कहा जाता है।
आज "विश्व शांति दिवस" भी है। समूची पृथ्वी पर अहिंसा और शांति
का सुखद और खुशहाली भरा साम्राज्य स्थापित करने के उद्देश्य से
यह दिवस मनाया जाता है। वर्तमान परिदृृश्य मेें जब मनुष्य ने
अपनी सीमित और विखंडित सोच में धरती आकाश और जल
को अशांत कर रखा है शांति दिवस मात्र एक कल्पना,महज
औपचारिकता के अलावा और क्या हो सकता है? विचारणीय है!
★★★
चलिए आज की रचनाओं का आनंद लेते हैं
★
आदरणीय अमित निश्छल जी की रचना
जो भविष्य को पाने चल दे, वर्तमान का भान नहीं हो
भूतकाल में दैव प्रेरणा, क्षुधा कभी आराम नहीं हो,
अतुलित चाहत की बारातें, जिसके जीवन में सिर-माथे
सुखी रहे बस नाम मात्र का, उसको ध्यावें, यम आघातें,
नये दौर ने नये सृजन में, सृजित रीति ही कर डाला तो;
कहो मुरारे सृष्टि रीति की, मर्यादा कितनी वांछित है?
★★★
आदरणीय रोहिताश जी की लेखनी से
उड़ान तो निजत्व से झगड़ा है
होना है आत्मसात तो गहराई में उतर.
संदली हवा मदहोश करे है
एक प्रेरणा उतरते जाने की.
यहाँ मिलो दर्द से गले तुम
बैचेनियों की दरिया में गोते लगाओ
जहाँ अथाह शांति है
★★★
आदरणीया कविता जी की रचना
अनमना बैठा है उसका मिट्ठू
टीवी-मोबाईल से छूटी है यारी
गुमसुम है घर का कोना-कोना
क्यों परीक्षा पड़ती सब पर भारी!
★★★
आदरणीया प्रीति अज्ञात जी की लेखनी से प्रस्फुटित
साँझ ढले उतर जाता है नदी में
एक दिन अचानक वैसे ही
चला जाता है कवि भी
हाँ, उसके शब्द नहीं मरते कभी
वे जीवित हो उठते हैं प्रतिदिन
खिलती अरुणिमा की तरह
★★★
पढ़िए आदरणीय रवींद्र जी की लेखनी से
एक समाचार काव्य
हम देखेंगे
वैज्ञानिक प्रतिभा की
हत्या की बात
किसने अपने सर ली होगी
स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजिन
विकसित करने में हुई देरी से
देश को हुई क्षति की
★★★
और चलते-चलते उलूक के पन्नों से पढ़िए
उस बात को
जिसको
उसके
आसपास
हो रहे पर जब
सारी जनता
कुछ भी नहीं
कहने को
कहीं भी
नहीं जा री
★
आज की प्रस्तुति आपको कैसी लगी?
कृपया अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रिया अवश्य
दीजिएगा।
इस सप्ताह के हमक़दम का विषय
जानने के लिए
कल आ रही अपनी विशेष प्रस्तुति के साथ
आदरणीय विभा दी
इस सुंदर प्रस्तुत के लिये आपका
जवाब देंहटाएंआभार
हाँ ,आज तो हुसैन साहब की शहादत को भी हम सभी याद करते हैं, क्यों कि सत्य का मार्ग उन्होंने नहीं छोड़ा। रही बात विश्व शांति दिवस की तो सचमुच चहुंओर अशांति है। शांति के रखवाले कहाँ गये... ?
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंसब रचनाएँ बहुत शानदार हैं आज की.
श्वेता जी आप अच्छी अच्छी रचनाओं को खोजने में माहिर हैं: हीरे की पहचान जैसे जोहरी करता हो.
आभार
शुभ प्रभात सखी
जवाब देंहटाएंआभार रचनाएँ सारी पठनीय
कुछ -कुसी के लिए
नज़रिया बदल के देख,
हर तरफ नज़राने मिलेंगे
ऐ ज़िन्दगी यहाँ तेरी
तकलीफों के भी दीवाने मिलेंगे
सादर
ताजिया होना चाहिये। मुहरर्म और विश्व शान्ति दिवस एक साथ पड़ रहे हैं आज। उत्तराखण्ड में आज नन्दादेवी महोत्सव का अन्तिम दिन भी है। माँ नन्दा का डोला आज उठेगा और सायं मुहरर्म का ताजिया जुलूस निकलेगा। सर्वधर्म सम्भाव की मिसाल है ये। आज की सुन्दर प्रस्तुति में सुन्दर सूत्रों के साथ 'उलूक' उवाच को भी जगह देने के लिये आभार श्वेता जी।
जवाब देंहटाएंऔर 'मुहरर्म' के लिये त्योहार प्रयोग करना मेरे हिसाब से सही नहीं है।
हटाएंजी सर बहुत आभार हम अभी सुधार कर लेते हैं।
हटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति सभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 👌👌
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति में मेरी पोस्ट सम्मिलित करने हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंसुंदर संकलन
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंसभी चयनित रचनाकारों को बधाई
आभार।
लाजवाब प्रस्तुतिकरण उम्दा लिंक संकलन...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति 👌👌👌
जवाब देंहटाएंउम्दा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंमेरा धन्यवाद भी स्वीकार करें.