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शनिवार, 1 सितंबर 2018

1142... हिन्दी दिवस पखवाड़ा... दुष्यंत कुमार


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 सभी को यथायोग्य 
 प्रणामाशीष 
 यूँ तो हर दिन महत्त्वपूर्ण होता है 
 लेकिन कोई खास दिन हो जाता है 
 जब विशेष तिथि पर हम कोई कार्य कर रहे होते हैं 
 14 सितम्बर महत्त्वपूर्ण है तो 1 सितम्बर भी खास है 
1933 - दुष्यंत कुमार, हिन्दी के कवि और ग़ज़लकार 1930 - चार्ल्स कोरिया - भारतीय वास्तुकार और शहरी नियोजक थे। 1921 - माधव मंत्री - भारतीय क्रिकेटर 1923 - हबीब तनवीर- मशहूर पटकथा लेखक, नाट्य निर्देशक, कवि और अभिनेता 1926 - विजयदान देथा, राजस्थानी भाषा के प्रसिद्ध साहित्यकार 1927 - राही मासूम रज़ा - बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी और प्रसिद्ध साहित्यकार। 1901 - लक्ष्मी नारायण उपाध्याय - प्रसिद्ध भारतीय भूगोलविद। 1896 - भक्तिवेदान्त स्वामी प्रभुपाद - प्रसिद्ध गौड़ीय वैष्णव गुरु तथा धर्मप्रचारक थे। 1908 - के. एन. सिंह - भारतीय सिनेमा के खलनायक अभिनेता।

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साभार bhartdiscovery.org

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दुष्यंत कुमार

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दुष्यंत कुमार

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दुष्यंत कुमार


दुष्यंत कुमार



दुष्यंत कुमार



पियूष मिश्रा



फिर मिलेंगे...
अब बारी है हम-क़दम की
हम-क़दम
सभी के लिए एक खुला मंच
आपका हम-क़दम का चौंतीसवाँ क़दम
इस सप्ताह का विषय है
'बैरी'
...उदाहरण...
बह गया
रिम-झिम, रिम-झिम,
गहन घन-संताप
सजल हुआ बैरी उर फिर
सुनकर क्‍यूँ मेघ मल्‍हार  ?
-दीपा जोशी

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अंतिम तिथि :: आज शनिवार 01 सितम्बर 2018
प्रकाशन तिथि 03 सितम्बर 2018  को प्रकाशित की जाएगी ।

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13 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात दीदी
    सादर नमन
    एक और यादगार प्रस्तुति
    साधुवाद
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. सुप्रभात सुंदर संकलन बेहतरीन रचनाएं सभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत अच्छी प्रेरक हलचल प्रस्तुति ..

    जवाब देंहटाएं
  4. शुभ संध्या दी:),
    हमेशा की तरह बेहद सराहनीय प्रस्तुति👌👌

    जवाब देंहटाएं
  5. हिन्दी दिवस पखवाड़े का आरंभ सबके चहेते साहित्यकार दुष्यंत कुमार जी की चर्चा से. साहित्य की सभी विधाओं में दख़ल रखने वाले दुष्यंत कुमार अपनी ग़ज़लों के साथ अत्यधिक लोकप्रिय हुए. उनकी जयंती पर सादर नमन. पेश है उनका एक शेर-
    "वो घर में मेज़ पे कुहनी टिकाए बैठे हैं
    थमी हुई है वहीं उम्र आज-कल लोगो"
    आदरणीया विभा दीदी को सार्थक प्रस्तुति के लिये बधाई.
    सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनायें.

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुन्दर
    नमन है दुष्यंत जी को🙏🙏🙏

    जवाब देंहटाएं
  7. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  8. आदरणीय दीदी-- आज के विशेष लिंक संयोजन में दुष्यंत कुमार का स्मरण बहुत ही अनभावन है और मन को

    छूने वाला है | बहुत ही बेहतरीन रचनाएँ ढूंढी आपने जिनके लिए कोई भी आभार कम है |

    वैसे उनका स्मरण क्या ? वो तो कभी भुलाए ही नहीं गये | उनके निधन के 45 सालों बाद भी

    उनकी लेखनी का जादू हर काव्य -रसिक के सर चढ़कर बोलता है | सरल और भावना -प्रधान लेखन से ,

    साहित्य में हमेशा उनका स्थान अटल रहेगा | उनकी एक रचना मेरी पसंद की जो मुझे बहुत पसंद है ---


    सरे राह कुछ भी कहा नहीं, कभी उसके घर में गया नहीं
    मैं जनम-जनम से उसी का हूँ, उसे आज तक ये पता नहीं

    उसे पाक़ नज़रों से चूमना भी इबादतों में शुमार है
    कोई फूल लाख क़रीब हो, कभी मैंने उसको छुआ नहीं

    ये ख़ुदा की देन अज़ीब है, कि इसी का नाम नसीब है
    जिसे तूने चाहा वो मिल गया, जिसे मैंने चाहा वो मिला नहीं

    इसी शहर में कई साल से मेरे कुछ क़रीबी अज़ीज़ हैं
    उन्हें मेरी कोई ख़बर नहीं, मुझे उनका कोई पता नहीं!!!!!!!!!


    ये रचना मैंने साभार कविता कोष से ली है |

    सादर ---- आभार और नमन !!!!!!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. thank you too.
      आपने भी एक अच्छी रचना का स्वाद लेने का मौका प्रदान किया।
      #

      हटाएं
  9. आप हार बार कुछ नया सिखा जाते है
    धन्यवाद Marathi Motivation

    जवाब देंहटाएं

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