कल से पितृ-पक्ष चालू हो गया...
पितरों को आस बंधी कुछ तर खाने को मिलेगा
पड़ोसी भी उम्मीद लगाए हैं.....
चलिए चलते हैं एक श्राद्ध कार्यक्रम का जायजा लें...
एक चित्र है
यशोदा
दिन भर ब्लॉगों पर लिखी पढ़ी जा रही 5 श्रेष्ठ रचनाओं का संगम[5 लिंकों का आनंद] ब्लॉग पर आप का ह्रदयतल से स्वागत एवं अभिनन्दन...
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जवाब देंहटाएंआओ तुम सुई बन जाओ
मुझको भी खुद में समाओ
फूलों को भी खिलना होगा
रिश्तों को भी सिलना होगा।
बहुत सुंदर प्रस्तुति,आभार आप सभी रचनाकारों का
बहुत आभार
हटाएंमन भावन और बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआदरणीया यशोदा जी आपका बहुत बहुत आभार,बदलना चाहता कोई ...इस अंक में आपने मेरी रचना को स्थान दिया ।
सादर
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंएक बात पूछनी हैं
श्राद्ध हमेशां कौवों को डाला जाता है लेकिन मेरे दादा दादी जी को ये कवे बिलकुल पसंद नहीं थे. फिर उनकी आत्मा इन दिनों इन कोवों में कैसे घुसती होगी?
पता नहीं क्यों लेकिन ये सिर्फ मेरे दादा दादी जी की ही बात नहीं है कवे किसी भी इन्सान को पसंद नहीं हैं.
पुरे साल आत्मा भूखों मरे और केवल एक बार भोजन कराओ...ये भी बात अत्याचार सी है :)
या फिर ये बात भी सोचने लायक है की आत्मा को भी भूख लगती है.
या ये बात कि जो आत्मा हमारे पूर्वजों में थी उनका पुनर्जन्म नहीं हुआ और साल में एक बार कौवों के माध्यम से भोजन मिलने का इन्तजार कर रहें हैं.
अभी तक ये रिवाज मुझे तर्कहीन लगती है..
अगर आपके पास इस रिवाज के पीछे मनघडंत कहानी के अलावा सही fact हैं तो प्लीज़ साँझा करें.
हो सकता है मुझे भी इस रिवाज में कोई कमी महसूस न हों.
सुंदर हलचल
रोहितास जी, इस विषय पर मेरी पोस्ट https://www.jyotidehliwal.com/2014/09/blog-post_7.htmlजरूर पढ़िएगा।
हटाएंरोहित जी मुझे लगता है कोवों की अवधारणा को छोड़ दें तो बस पूर्वजों के प्रति श्रद्धाकर्म ही श्राद्ध हैं | बस अपनों को महसूस करना और उनके प्रति नत हो उन्हें इस पखवाड़े में श्रद्धा सुमन अर्पित करना ही मकसद है शायद | और दिवंगत के प्रति उसकी पसंद का होजान अर्पण करना भी इसी भावनात्मकता की एक कड़ी है |
हटाएंउम्दा लिंक्स। मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद,यशोदा दी।
जवाब देंहटाएंसबरंग में रची रचना बहुत बढिया दी..
जवाब देंहटाएंधन्यवाद🙂
नीला,पीला,हरा,गुलाबी..
जवाब देंहटाएंकच्चा-पक्का रंग....
बढ़िया ...सोचिए और लिखिए
सादर
सुंदर प्रस्तुति !सभी रचनाएं लाजवाब ।
जवाब देंहटाएंविविधता से परिपूर्ण अत्यंत सुन्दर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएं, सभी को
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति करण उम्दा लिंक संकलन...
जवाब देंहटाएंरोहिताश जी के प्रश्न के सही fact वाले उत्त्तर का इंतज़ार रहेगा....।
शुभ संध्या दी:)
जवाब देंहटाएंसुंदर रचनाओं का सार्थक संकलन तैयार किया है आपने दी।
सभी को शुभच्छायें मेरी।
सुंदर प्रस्तुति शानदार रचनाएं मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका बहुत बहुत आभार यशोदा जी
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति 👌👌👌
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति। आभार यशोदा जी 'उलूक' की एक पुरानी कतरन को स्थान देने के लिये।
जवाब देंहटाएंसार्थक प्रस्तुति सार्थक रचनाओं के साथ सभी रचनाकारों को बधाई।
जवाब देंहटाएंअत्यंत भावपूर्ण प्रस्तुती आदरणीय दीदी | सभी रचनाएँ पढ़कर आ रही हूँ | सभी रचनाकारों को सस्नेह शुभकामनाये और आपको सादर हार्दिक बधाई इस सुंदर प्रस्तुती के लिए |
जवाब देंहटाएंबेहतरीन संकलन। मेरी सुई धागा को शामिल किया। बहुत आभार
जवाब देंहटाएंबेहद खूबसूरत संकलन
जवाब देंहटाएंAaj Mai aazaad hu
जवाब देंहटाएंRango ki siyaahi sa
Chitrapat par bhar du kya
Mai rang is siyaahi kaa
Khel lu inse aaj
Holi Kay us gulal sa
Yaa ishq koi Naya Karu
Jo rangde bemisal saa
Dekh Isko ek umang
Jaag gai sang sang
Rang ki yeh tarang
Jayegi Ab mere sang
Kavi sabhi rang gae hain aaj
Rango Kay is kumbh mai
Mushkil bada btana ab
Rang Kavi Mai ya Kavi rang mai