भारत में सरकारी कामकाज का ढंग
कुछ ऐसा है
कि सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं का
दम निकल जाता है
हमारी कार्य संस्कृति का
अक्सर जुलूस निकल जाता है।
आइये अब आपको पसंदीदा रचनाओं की ओर ले चलें -
पकी देग आग से उतरी
लोग अचम्भौ खाय
बिरयानी से भरी देग थी
पुरो लंगर खाय !
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शूर वीर... उर्मिला सिंह
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लक्ष्या गृह से तप कर जो निकलतें,शूर वीर वही कहलातें
सच के राही पर रंग दुवाओं के अम्बर से बरसते हैं!
जिंदगी के रंग ….अनुराधा चौहान
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जिंदगी तो जिंदगी है
अपनी रफ्तार भागती
कभी सागर सी उफनती
कभी नदियों सी मचलती
कभी झरने सी झरती
रेत सी फिसले यह जिंदगी
किताबें और उनका प्रभाव ------ विजय राजबली माथुर
चलते-चलते चर्चित ब्लॉग"मेरी धरोहर" से एक रचना -
शुभ प्रभात भाई रवीन्द्र जी
जवाब देंहटाएंबेहतरीन
आभार
सादर
शुभप्रभात रवीन्द्र जी बहुत बहुत आभार मेरी रचना को स्थान देकर मेरा उत्साह बढ़ाने के लिए सभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई सुंदर प्रस्तुति सभी रचनाएं बहुत सुंदर है
जवाब देंहटाएंसुन्दर गुरुवारीय हलचल प्रस्तुति रवींद्र जी।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति बेहतरीन रचनाओं का सुंदर संकलन सभी चयनित रचनाकारों को बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसारगर्भित भूमिका,
जवाब देंहटाएंतभी तो एक उदाहरण बनने के कुछ और न हो सका इस व्यवस्था का।
बहुत अच्छी रचनाओं की सुंदर प्रस्तुति रवींद्र जी।