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शनिवार, 29 सितंबर 2018

1170... सूनापन


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सभी को यथायोग्य
प्रणामाशीष
"दीदी ! मेरी माँ भी कविता पढ़ना चाहती हैं ,क्या वे आ सकती हैं?"
हाँ!हाँ ! उन्हें जरुर लेकर आयें"
कल शुक्रवार(28-09-2018) को लेख्य-मंजूषा(साहित्य और समाज के प्रति जागरूक करती संस्था) में हिन्दी-दिवस पखवाड़ा का अंतिम दिवस पर काव्य गोष्ठी थी... 23 सितम्बर को नूतन सिन्हा जी ने अपनी माँ को भी लाने के लिए इजाजत लीं। इजाजत लेने जैसी कोई बात नहीं थी, माँ का आना हमारे लिए सौभाग्य होता... लेकिन बिधना तो कुछ और सोचे रहता... 27 सितम्बर को सुबह साढ़े तीन बजे माँ दुनिया से मुक्त हो गईं... कविता पढ़ने की अधूरी इच्छा लेकर और पसर गया...

दुख देखे बहुत में रोया नहीं ,
सोचा बादल हे ये टल जायेगा भी , 
पर बादल रुका बन के ये काली घटा,
गम बरसने लगा बन के सावन यहाँ . 
दिल हुआ चूर चूर मन बहकने लगा , 
काली पलके ये आंसू बन बरसने लगी 

सोचती हूं कि मैं छिप जाऊं
कहीं किसी किनारे कोने में
या फिर उड़ जाउं नीलगगन
ढूंढ पायेगा फिर मुझे कैसे
पर नहीं…
सोच लिया है अब मैने भी
अब बस….
ये दर्द दर्द और दर्द बस
खत्म हो ही जायेगा भीतर से
और एक नयी चमकती दमकती

सुबह का रहता था इंतज़ार
मिलने की आस में
पर जाने वो हसीं पल
मुझसे क्यों छिन गया
जो थे इतने पास-पास
वो अजनबी सा बन गया
मेरे अनुरागी मन को
बैरागी बना दिया


जर्जर सी ये वीणा मेरे ही आंगन!
असाध्य हुआ अब ये क्रंदन,
सुरविहीन मेरी जर्जर वीणा का ये गायन!
संगीत बिना है कैसा यह जीवन?
व्याप्त हुआ क्यूं ये बेसूरापन?

आँखों की नीरव भिक्षा में
आँसू के मिटते दाग़ों में,
ओठों की हँसती पीड़ा में
आहों के बिखरे त्यागों में;
कन कन में बिखरा है निर्मम!

Image result for सूनापन कविता

फिर मिलेंगे...
हम-क़दम
सभी के लिए एक खुला मंच
आपका हम-क़दम का अड़तीसवाँ क़दम 
सप्ताह का विषय
एक चित्र है
इसे देखकर आपको कविता रचनी है
उपरोक्त विषय पर आप को एक रचना रचनी है

अंतिम तिथिः शनिवार 29 सितम्बर 2018  
प्रकाशन तिथिः 01 अक्टूबर 2018  को प्रकाशित की जाएगी । 

रचनाएँ  पाँच लिंकों का आनन्द ब्लॉग के 
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18 टिप्‍पणियां:

  1. रोग प्रेम का है ही ऐसा
    कभी दिल बहल गया
    कभी दिल दहल गया..

    बेहद खूबसूरत रचनाओं से सजा ब्लॉग
    आभार आप सभी का

    जवाब देंहटाएं
  2. सुप्रभातम् दी,
    नियति का खेल कौन समझ सका है भला?
    एक से बढ़कर एक रचनाएँ हैं सारी।
    हमेशा की तरह बहुत सुंदर अंक..👌👌

    जवाब देंहटाएं
  3. बेहतरीन प्रस्तुति शानदार रचनाएं

    जवाब देंहटाएं
  4. आदरणीय दीदी
    आलसी होते जा रहे है हम
    बढ़िया प्रस्तुति
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  5. शुभ प्रभात
    सुन्दर प्रस्तुति
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  6. नूतन जी की माँ को नमन व श्रद्धांजलि। सुन्दर हलचल प्रस्तुति।

    जवाब देंहटाएं
  7. सुंदर प्रयास.....सभी रचनाएं एक से बढ़कर एक हैं।

    जवाब देंहटाएं
  8. महान साहित्यकारों की रचना पढने में अलग ही आनन्द हैं.
    सभी लिंक्स लाजवाब.

    जवाब देंहटाएं
  9. बेहतरीन प्रस्तुति करण उम्दा लिंक्स..

    जवाब देंहटाएं
  10. सादर श्रद्धांजली! सुन्दर प्रस्तुति!!!

    जवाब देंहटाएं
  11. आदरणीय दीदी -- बहुत ही मार्मिक प्रस्तुति !!! भूमिका का प्रसंग मन को उदास कर गया | इस सूनेपन के प्रश्न अनुत्तरित हैं | सभी रचनाएँ भावपूर्ण और मार्मिकता से भरपूर थी | आपको सादर आभार और नमन इस लिंक संयोजन के लिए |

    जवाब देंहटाएं
  12. शुरूआत काफी दहला गई वो अवसाद का सूनापन समेटे बेहतरीन संकलन।
    सभी रचनाकारों को बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  13. आज की हलचल सूनापन से भरपूर है
    बेहतरीन संकलन

    जवाब देंहटाएं

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