सभी को यथायोग्य
प्रणामाशीष
उछले कूदे
कोलाहल मचाये
सोने जा रहे
सब रखे ताक पे
बेसुध वाली नींद
गिले शिकवे
स्पर्द्धा सत्यापनीय
उजड़े नींद
भोर में भिड़ने को
शिद्दत से जीने को
एक मौन हैं
सपनों का पुकार
निष्प्रयोजन
संग्राम प्यारी नींद
नसीब कारस्तानी
स्नातक स्तर
नहीं भी आती नींद
नेस्तनाबूद
स्वर्ग से बेआबरू
सन्निपात सिमटी
बिखरी नींद
ज्वर-जूड़ी चढ़ता
मित्र रहे तो
नीम-तुलसी पौधे
बाधा दूर भगाते
><
फिर मिलेंगे...
क्या कुछ पा लूँ, किसी और के बदले में,
क्यूँ खो दूँ कुछ भी, उन अनिश्चितता के बदले में,
भ्रम की इस किश्ती में बस डोलता है जीवन।
-पुरुषोत्तम सिन्हा
उपरोक्त विषय पर आप को एक रचना रचनी है
एक खास बात और आप इस शब्द पर फिल्मी गीत भी दे सकते हैं
अंतिम तिथिः शनिवार 22 सितम्बर 2018
प्रकाशन तिथि 24 सितम्बर 2018 को प्रकाशित की जाएगी ।
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शुभ प्रभात दीदी
जवाब देंहटाएंसादर नमन
बढ़िया प्रस्तुति
सादर
बहुत ही सुन्दर संकलन सभी चयनित रचनाकारों को बधाई
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति करण उम्दा लिंक संकलन...
जवाब देंहटाएंसुन्दर संकलन बढ़िया प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंपांव जब तलक उठें कि ज़िंदगी फिसल गई
जवाब देंहटाएंसुंदर रचनाओं का संकलन
बहुत ही सुन्दर संकलन बढ़िया प्रस्तुति 👌
जवाब देंहटाएंसुप्रभातम् दी,
जवाब देंहटाएंहमेशा की तयह लाज़वाब प्रस्तुति।
बहुत बढ़िया है सभी रचनाएँ एक संग्रहणीय अंक है दी।
सुंदर प्रस्तुति सभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंक्स
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंवाह बहुत सुन्दर प्रस्तुति शानदार संकलन ।
जवाब देंहटाएंनीरज जी की बेमिसाल कविता...
पात पात झर गया कि शाख शाख जर गई
चाह तो निकलन स्की पर उम्र निकल गई।
बहुत ही सुन्दर संकलन 🙏🙏🙏
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