साहित्य के बिना समाज की सांस्कृतिक और देश की सभ्यता मात्र
एक भ्रम के सिवा कुछ नहीं। राष्ट्र का सर्वांगीण विकास साहित्य
के साथ के बिना सार्थक नहीं हो सकती।
प्रदान करती है। साहित्य विचारों की सूक्ष्मता और व्यापकता
को अभिव्यक्त करने का सशक्त माध्यम है।
आप से साझा करने का प्रयास करुँगी। इस कड़ी में
आज पढ़िए आदरणीय हरिवंश राय बच्चन की रचनाएँ-
वेद-उपनिषद की वर वाणी,
काव्य-माधुरी, राग-रागिनी
जग-जीवन के हित कल्याणी,
माना वह बेहद प्यारा था
वह डूब गया तो डूब गया
अम्बर के आनन को देखो
कभी नही जो सह सकते हैं, शीश नवाकर अत्याचार
एक अकेले हों, या उनके साथ खड़ी हो भारी भीड़
मैं हूँ उनके साथ, खड़ी जो सीधी रखते अपनी रीढ़
उड़ते-उड़ते आया,
हंस देखकर काला कौआ
मन ही मन शरमाया।
प्यास तुझे तो, विश्व तपाकर पूर्ण निकालूँगा हाला,
एक पाँव से साकी बनकर नाचूँगा लेकर प्याला,
जीवन की मधुता तो तेरे ऊपर कब का वार चुका,
आज निछावर कर दूँगा मैं तुझ पर जग की मधुशाला।।
"अपनी हिन्दी"..... आदरणीय डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
अंग्रेजी भाषा के हम तो,
खाने लगे निवाले हैं
खान-पान-परिधान विदेशी,
फिर भी हिन्दी वाले हैं
अपनी गठरी कभी न खोली,
उनके थाल खँगाल रहे
★
स्वर्ण
आलोक
चोटी पर
बिखर गया
पर्वतों के पीछे
भास्कर मुसकाया।
आदरणीया प्रतिभा जी की
ओजपूर्ण लेखनी से
खेल
★★★★★
और चलते-चलते पढ़िए
आदरणीय रवींद्र जी की समसामयिक सारगर्भित रचना
संघर्ष
बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंमनभाया नया प्रयोग
सादर शुभ प्रभात
गज़ब
जवाब देंहटाएंमनमोहक संकलन
बहुत सुन्दर प्र्स्तुति।
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति शानदार रचनाएं सभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति । सभी लिंक्स बहुत सुन्दर।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंमनमोहक संकलन के साथ सुंदर प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बधाई
धन्यवाद।
बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंमनभावन!
जवाब देंहटाएंसुरुचिपूर्ण, सार्थक मनभावन प्रयोग !!!
जवाब देंहटाएंमहत्वपूर्ण सशक्त भुमिका सभ्यता और संस्कृति यहां तक जनमानस और राजनीति सभी पर साहित्य और साहित्यकारों का सदा प्रभाव रहा है रहेगा।
मनभावन संकलन के साथ विहंगम प्रस्तुति मेरी रचना को सामिल करने के लिये तहेदिल से शुक्रिया। सभी रचनाकारों को बधाई।
अति सुन्दर .
जवाब देंहटाएंसभी कृतियाँ कबीले तारीफ हैं.
धन्यवाद्
सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को स्थान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद
सुंदर प्रस्तुति 👌👌👌
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंहम सबके प्रिय कवि हरिवंश राय बच्चन जी की रचनाओं के साथ आज की प्रस्तुति का अंदाज़ ख़ास बन पड़ा है. विचारणीय रचनाओं का संकलन.
जवाब देंहटाएंसभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनायें.
प्रिय श्वेता -- आज फिर आपने अपनी मौलिक कल्पना से लिंक संयोजन में नया रंग भरा | आदरणीय कवि बच्चन जी की रचनाओं को पढ़ना मन को असीम आनन्द से भर गया | बाकि सभी रचनाकारों के बेहतरीन सृजन से मन को बहुत ख़ुशी मिली | अमित निश्चल की रचना ने बहुत ज्यादा प्रभावित किया |अभी सब पर लिखना ना ओ पाया | आदरणीय हरिवंशराय जी बच्चन की एक और कविता के कुछ शब्द मुझे भी याद आये |
जवाब देंहटाएंमैं जग-जीवन का भार लिए फिरता हूँ,
फिर भी जीवन में प्यार लिए फिरता हूँ;
कर दिया किसी ने झंकृत जिनको छूकर
मैं सासों के दो तार लिए फिरता हूँ!
मैं और, और जग और, कहाँ का नाता,
मैं बना-बना कितने जग रोज़ मिटाता;
जग जिस पृथ्वी पर जोड़ा करता वैभव,
मैं प्रति पग से उस पृथ्वी को ठुकराता!
मैं निज रोदन में राग लिए फिरता हूँ,
शीतल वाणी में आग लिए फिरता हूँ,
हों जिसपर भूपों के प्रसाद निछावर,
मैं उस खंडहर का भाग लिए फिरता हूँ!
साहित्य विशेषकर सरल काव्य के पुरोधा को शत शत नमन | आज के सभी रचनाकारों को शुभकामनायें और आपको मेरा पयार भरा आभार |
बहुत सुंदर संकलन , बेजोड़ प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंअनुपम रचनाओं का संकलन है आज के इस अंक में ! हार्दिक धन्यवाद श्वेता जी ! बुकमार्क कर सेव कर लिया है !
जवाब देंहटाएं