आप सभी का रविवार खुशनुमा बीते
वैसे किसी का बीता तो नहीं अब तक
ढेर सारे काम मुँह बाए खड़े मिलते हैं
रविवार के दिन....ईश्वर करे आपका
रविवार शुभ हो.....
आइए चलें पठन-पाठन की ओर...
वो तारे....पुरुषोत्तम सिन्हा
गगन के पाश में,
गहराते रात के अंक-पाश में,
अंजाने से किस प्यास में,
एकाकी हैं वो तारे!
गहरे आकाश में,
उन चमकीले तारों के पास में,
शायद मेरी ही आस में,
रहते हैं वो तारे!.....आगे पढ़ें ..
"षड़यंत्र"....विभारानी श्रीवास्तव
"ये तुम कैसी बातें कर रही हो बेटी ?" श्वसुर ने पूछा
"पागल लोग कैसी बातें किया करते हैं... मैं पागल हूँ न..."
ये संवाद सुनकर सब एक दूसरे के चेहरे देखने लगे
और निम्मी अपनी राह बढ़ गयी।.... पूरा पढ़ें
परदेस....रेवा टिबड़ेवाल
चले तो गए हो तुम परदेस
पर बहुत कुछ
छोड़ गए हो
जाते-जाते कल
जब तुमने सवाल किया
मेरे बिना अकेलापन सालता होगा न ??
................और पढ़ें
हाँ मैं लिखता हूँ.....ज़फ़र
मै चुप कुछ कह न पाता हूँ
मग़र सह भी ना पाता हूँ
तब एक मुशकिल भारी रात को
रूह पर भारी पड़े हालात को
अकेले लड़ते हुए साथियो के साथ को
मै लिखता हूँ.,.................आगे पढ़ें
इन्तजार....यशोदा
पुराने ब्लॉग की
मरम्मत..जाकर देखें
गरीब हूं साहिब.....अनुराधा चौहान
मैं दूसरों के सपनों को
साकार करती हूं
गरीब हूं साहिब
मैं भी सपने बुनती हूं
फिर सुबह तोड़ती हूं
पत्थरों की तरह
डाल आतीं हूं
किसी सड़क पर...पूरा पढ़ें
आहट सुनायी देती है .... रवीन्द्र सिंह यादव
मानवी-झुण्ड
अपने स्वार्थों की रक्षार्थ
गूढ़ मंसूबे लक्षित रख
एक संघ का
निर्माण करता है
उसमें भी पृथक-पृथक
धाराओं को सींचता है,... आगे पढ़ें
तेरा ख़याल....लोकेश नशीने
याद से बारहा तेरी उलझते रहते हैं
सिमटते रहते हैं या फिर बिखरते रहते हैं
तेरा ख़याल भी छू ले अगर ज़ेहन को मेरे
रात दिन दोपहर हम तो महकते रहते हैं
.............और भी है
एक खबर ...डॉ. सुशील जी जोशी
उड़ने भी दीजिये
सब कुछ ना भी सही
कुछ कुछ तो कभी
कह ही दीजिये
अपनी ही बात को
किसी और के लिये नहीं
अपने लिये ही सही
मान जाइये कभी
कह भी दीजिये ।
......पूरा पढ़ डालिए
आज यहीं तक...
आदेश दें
दिग्विजय
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया
आभार....
सादर
बेहतरीन रचनाएं सुंदर प्रस्तुति सभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई मेरी रचना को स्थान देने के लिए बहुत बहुत आभार 🙏🙏🙏
जवाब देंहटाएंसस्नेहाशीष संग आभारी हूँ
जवाब देंहटाएंसराहनीय संकलन
बहुत सुंदर संकलन! आभार!!!
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा रचनायें, बेहतरीन संकलन
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार
बहुत सुन्दर रविवारीय हलचल प्रस्तुति। आभार दिग्विजय जी 'उलूक' के एक पुराने पन्ने को भी जगह देने के लिये।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार sir,
जवाब देंहटाएंसारे लिंक शानदार हैं
आज के पेशगी का तकनीकी पक्ष अत्यंत ही प्रभावी है। सधन्यवाद हलचल....
जवाब देंहटाएंमनमोहक प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर संकलन
जवाब देंहटाएंसुन्दर रविवारीय पत्रिका. नया अंदाज़ असरदार है. परिवर्तन की चाह हमारी स्वाभाविकता है. सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनायें.
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को स्थान देने के लिये सादर आभार.