हम आते ही नहीं...पर
नियति की इच्छा के विपरीत जा भी तो नहीं सकते...
इस बार प्राप्त रचनाएँ....
रचनाएँ सुविधानुसार लगाई गई है....
आदरणीया रेणुबाला जी
आनी ही थी मौत तो इक दिन
जाने किस मोड़ पे आ जाती.
कैसे पर गर्व से फूलती ,
मातृभूमि की छाती ;
दिग -दिंगत में आज गूंज रहा
यशोगान तुम्हारा है !!
आदरणीया शकुन्तला राज
कभी मुन्ने को देखती
कभी माँ को
हे ईश्वर.....
क्या केवल इतने ही दिनों का
साथ दिया था
फिर अचानक याद आया
मैं तो अब हूँ
एक देशभक्त
शहीद की पत्नी
आदरणीया कुसुम कोठारी जी
कण कण रज रंग गया
लहू था शहीदों का
कौन चुका पायेगा ऋण
मातृभूमि के सपूतों का
अब मिट्टी में वो उर्वरकता नही
जो ऐसे सपूत पैदा कर दे
अब प्रतिष्ठा के मान दण्ड
बदल रहे हैं प्रतिपल
आदरणीया अभिलाषा चौहान
हूं अब शहीद की विधवा मैं
कमजोर नहीं, मजबूर नहीं
दूर होकर भी वो दूर नहीं
अमर हुआ है मेरा सुहाग
सबके कहां ऐसे होते भाग
वो वीर सपूत इस जननी का
अपना धर्म निभा आया
वो वीर शहादत की देखो
इक नयी इबारत लिख लाया ।
आदरणीया नीतू ठाकुर
वीर शहीदों की लाशों पर
कितने नीर बहाऊँ
कहाँ छुपाऊँ लालों को
मै खुद ही समझ ना पाऊँ
मेरी खातिर लड़ते है
मुझपर ही चला कर गोली
तुम सब मेरे लाल हो
यूँ ना खेलो खून की होली
आदरणीय साधना दीदी
धन्य हो गई
धरा जहाँ तुमने
रक्त बहाया !
याद रखेंगे
तुम्हारा बलिदान
हमारे प्राण !
नैनों में नीर
हृदय अभिमान
वीर जवान !
आदरणीया आशा सक्सेना
नमन तुम्हें शहीद
देश के सपूत वीर
क्या नहीं किया तुमने
देश हित के लिए |
हम करते प्रणाम
सारे शहीदों को
और उन माताओं को
जिनने जन्मा वीर सपूतों को |
आदरणीय पंकज प्रियम जी की दो रचनाएँ
दुश्मन तो सारे वो मार गया
पर अपना जीवन हार गया
बहादुरी पर देश हुआ मुरीद
एक लाल फिर हुआ शहीद।
वर्षों बाद दीदार हो पाया है
कैसा सैलाब उमड़ आया है
क्या खूब परचम लहराया है
कफ़न पे तिरंगा फहराया है।
-*-*-*-
आज की शाम,वीर शहीदों के नाम कर जाएं
वतन पे मर मिटने वालों को सलाम कर जाएं।
सरफ़रोशी की तमन्ना,लिए दिल झूम लिया
हँसते हँसते उन्होंने,फाँसी को यूँ चूम लिया।
भगत,सुखदेव और राजगुरु,तीन वीर सपूत
अकेले ही फिरंगी बेड़े को, किया नेस्तनाबूद।
त्योहारों की वजह से व्यस्तता अधिक रही
रचनाएँ बस इतनी ही प्राप्त हुई...
अगला विषय देखें कल के अंक में
कमी हम पूरी किए देते हैं
गीत सुनवाते हैं
जो आपकी पसंद का हैं
इज़ाज़त दें दिग्विजय को
आज तो राष्ट्र प्रेम से जुड़ी रचनाओं से भरा यह ब्लॉग हृदय को आह्लादित करने वाला है, परंतु फिर सोचता यह हूं कि फिर यह समाज इतना स्वार्थी क्यों है।
जवाब देंहटाएंदेशप्रेम से भरी आज की प्रस्तुति से आंखे नम हो गई
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को स्थान देने के लिए बहुत आभार🌷🌹
शुभ प्रभात...
जवाब देंहटाएंएक बेहतरीन प्रयास लेखनी का
एक बेहतरीन सोच को सलाम
सादर
देश प्रेम से ओतप्रोत रचनाओं का सुंदर संकलन, बेहतरीन प्रस्तुति। मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका सादर आभार आदरणीय । बस इतनी
जवाब देंहटाएंसी चाह है मन में कि हर देशवासी शहीदों की शहादत का सम्मान करे और देश की हर वस्तु सेप्यार
करे, जब आंदोलनों में तोड़फोड़ और हिंसा होती है तो मन विचलित हो उठता है।
आज मेरी लिंकशामिल करने के लिए धन्यवाद |
जवाब देंहटाएं|
15 अगस्त से पूर्व का हमकदम का एक खूबसूरत अंक।
जवाब देंहटाएंशानदार प्रस्तुति। खूबसूरत रचनाएं।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बधाई।जय हिंद
सभी लाजवाब रचनाएं आज की ...
जवाब देंहटाएंबहुत उत्तम ...
अमर शहीदों को हमारी भावभीनी श्रद्धांजलि ! वो हैं तो हम हैं ! हमारे बने रहने के लिए उन्होंने अपने अनमोल प्राण न्यौछावर कर दिए ! क्या सचमुच हम इतने मूल्यवान हैं ? कभी अपने अंतर में भी झाँक कर देख लेना चाहिए ! हम से कहीं अधिक कीमती वो हैं देश के लिए ! उन्हें कोटिश: नमन ! मेरी रचना को आज की हलचल में स्थान देने के लिए आपका हृदय से धन्यवाद एवं आभार दिग्विजय जी !
जवाब देंहटाएंसदा की तरह सुन्दर रही प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंराष्ट्र प्रेम से भरा रचनाओं का सुंदर संकलन, बेहतरीन प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसभी चयनित रचनाकारों को शुभकामनाएँँ।
आभार।
हमक़दम का एक एक पग बढ़ता क़दम हर एक अंक के बाद और भी परिपक्वता का एहसास दिला जाता है।
जवाब देंहटाएंहमारे सभी माननीय रचनाकारों का सृजन सदैव वंदनीय है।
आदरणीय सर बहुत सुंदर संकलन तैयार किया है आपने।
सभी रचनाकारोंं को हार्दिक बधाई।
सादर।
आदरणीय दिग्विजय जी -- आज के अंक में दो फ़िल्मी गीत देख सुनकर बहुत अच्छा लगा |
जवाब देंहटाएंऐ मेरे वतन के लोगो !
तुम खूब लगाओ नारा ,
ये शुभ है हम सबका
लहरा लो तिरंगा प्यारा -
पर मत भूलो सीमा पर
वीरों ने प्राण गंवाए
कुछ याद उन्हें भी करलो
जो लौट के घर नहीं आये !!!!!!!!
जब आदरणीय कवि' प्रदीप 'जी ने ये पंक्तियाँ लिखी होंगी तो उन्हें ये आभास भी नहीं होगा कि ये शहीदों के सम्मान की अमर परिचायक बन जायेंगी | और हकीकत फिल्म का गीत '' कर चले हम फ़िदा जानों-तन साथियों ''शहीदों की ऐसी करुण पुकार है जिसे जब भी सुनो रौगटे खड़े हो जाते हैं | ऐसे गीत फिल्मों के उस सुनहरी दौर के भावपूर्ण दस्तावेज हैं जब देश भक्ति को फिल्मों का अभिन्न अग समझा जाता था |सच तो ये है कि शहीदों के सम्मान में कोई भी शब्द पर्याप्त नहीं |उनका सर्वोच्च बलिदान किसी भी आभार से परे है | यद्यपि युद्ध की विभीषिका में मानवता पूरी तरह आहत होती है | इसे शांतिप्रिय कोई भी इन्सान कभी समर्थन नहीं देता है पर किसी भी देश के लिए उसका स्वाभिमान सबसे ऊपर होता है | यदि कोई अनावश्यक रूप से हावी हो रहे शत्रु को नहीं रोक पाता तो वह राष्ट्र अपना गौरव और अभिमान दोनों गंवा बैठता है | कई साल पहले हिमालय की तराई में बसे बहुत ही लघु राष्ट्र '' भूटान ' ने बड़े देशों के सामने अपने स्वाभिमान की बहुत ही प्रेरक मिसाल पेश की थी , जब आंतक वाद के खात्मे के लिए शाही परिवार के राजकुमार ने सेना का नेतृत्व करते हुए देश से कुछ समय में ही आंतकवाद का खात्मा कर दिया था | इसी तरह इंग्लॅण्ड में भी शाहिपरिवार के युवा सदस्य -सेना का अंग बनकर देश के लिए प्रेरणा बनते हैं और देश के महत्वपूर्ण कार्यों में अपनी सेवाएं देते है भले ही वे कितने ही जोखिम भरे क्यों ना हों | दुखद है की हमारे भारत में ऐसी कोई परम्परा नहीं जहाँ कोई नेता या अभिनेता अपने बच्चो को इस तरह देश की सेवा करने के लिए प्रेरित करे | हाँ -- अनगिन आम युवा जरुर जज्बे से भरकर लाखों के पॅकेज छोड़कर सेना में जाने की मिसाल कायम करते हैं और जरूरत पड़ने पर अपना सर्वस्व बलिदान करने से नहीं हिचकते | अपने नन्हे बच्चो , युवा पत्नियों , बूढ़े माता - पिता और स्नेही भाई - बहनों , परिवार का मोह त्यागकर वे अपने कर्तव्य को तरजीह देते हैं | यही कारण है वे हर हाल में वन्दनीय हैं | स्कूलों में शहीदों के बच्चो को खास सम्मान मिलना चाहिए तो समाज में उनके परिवार को | |सभी रचनाकारों की आज की रचनाएँ बहुत उच्च कोटि के भावों से भरी हैं | प्रिय नीतू ठाकुर की रचना ने मुझे बहुत भावुक कर दिया | आज के सभी रचनाकार सहयोगियों को मेरी सस्नेह शुभकामनायें | और आपको इस सुंदर भावपूर्ण प्रस्तुति पर बहुत - बहुत बधाई | मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभारी हूँ |सादर
आज की प्रस्तुति को सलाम। अपने अमर शहीदों को याद करते हुए, उनकी याद दिलाते हुए सबने अत्यंत भावपूर्ण रचनाएँ साझा की हैं । गर्व होता है कि ऐसे वीरों की धरती पर हम जन्मे हैं । मैं चाहकर भी नहीं लिख पाई इस विषय पर.... वीडियो में आपने दो गीत दिए हैं जब जब ये गीत सुने हैं मेरी आँखों से आँसू बहे हैं, स्कूल में बच्चों के सामने, रास्ते पर, घर में, कहीं भी....फिर चाहे कोई कुछ भी सोचे। स्वतंत्रता दिवस पर आया हुआ देशभक्ति का ज्वार हम सब को हमेशा के लिए बहा क्यों नहीं ले जाता ? देश को सुरक्षित रखने के लिए सैनिक जान दे रहे हैं और हम अपने निहित स्वार्थों को लेकर लड़ते रहते हैं। मैं यहाँ अपनी एक कविता की चंद पंक्तियाँ उन वीरों को समर्पित करती हूँ।
जवाब देंहटाएं"है मेरा भी लाल कोई
जैसे तुम थे माँ के अपनी...
बस उसी के अक्स को
तेरी जगह रखा था मैंने !
हाँ, उसी पल से...तभी से...
रुह मेरी सुन्न है और
काँपते हैं हाथ मेरे !
शब्द मेरे रो पड़े और
रुक गई मेरी कलम भी !
वीर मेरे ! अश्रुधारा बह चली...
माफ करना वीर मेरे !
मैं तुम्हें ना दे सकी...
श्रद्धांजलि ! श्रद्धांजलि !"
वाह !मीना बहन !१ नमन है आपकी भावनाओं को !!!!!!!
हटाएंशत-शत नमन वीर जवानों को
जवाब देंहटाएंबेहद खूबसूरत प्रस्तुतीकरण
बेहतरीन संकलन। सभी रचनाएँ शानदार । मेरी रचनाओं को शामिल करने के लिए बहुत आभार
जवाब देंहटाएंबेहतरीन संकलन। सभी रचनाएँ शानदार । मेरी रचनाओं को शामिल करने के लिए बहुत आभार
जवाब देंहटाएंसर्वप्रथम स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर आप सबको एवं समस्त देशवासियों को अग्रिम शुभकामनाएँ और बधाई । मेरे देश के शहीदों, जवानों एवं उनके परिजनों को श्रद्धांजलि एवं मेरा शत् शत् नमन स्वीकार्य हो। सच तो ये है कि आज हम एक दूसरे को शुभकामनाएँ मात्र इसलिए दे पा रहें हैं क्योंकि इन्हीं की वजह से स्वतंत्रता के यह पल हमारी ज़िन्दगी में आए हैं ।
जवाब देंहटाएंये मेरा सौभाग्य है कि इस लिंक से जुड़ने का मौका मिला है। सभी अभिव्यक्तियाँ बेहद सटीक और सशक्त हैं जिसके लिए समस्त रचनाकारों को मेरा हार्दिक नमन।
वाह!!बहुत ही खूबसूरत देशप्रेम की भावनाओं से भरा अंक ....सभी रचनाके को हार्दिक अभिनंदन ..
जवाब देंहटाएंसभी मित्रों को स्वतंत्रता दिवस.की शुभकामनाएं ..।