जो राह शिला अवरुद्ध करे
तू रक्त बहा और राह बना
पथ को शोणित से रन्जित कर
हर कन्टक को तू पुष्प बना
झंकृत हो रही अंतर्वीणा,
फिर क्यों यह कंठ अवरुद्ध है
नव संकल्प का उल्लास है,
पर फिर भी मन क्यों क्षुब्ध है ?
‘‘मैंने अपने आपको कभी देहाती जीवन की प्रशस्ति
या किसी चरागाह में घटित
अपने निर्दोष अतीत की
पथभ्रष्ट करतूतों की
स्मृतियों से अवरुद्ध नहीं किया
मैं यह मानता हूँ कि जो लय में नहीं है वह कविता नहीं है | इस पर उन्होंने कहा कि यदि आप अपनी अभिव्यक्ति को किसी छंद में बाँध रहे हैं तो आपको नहीं लगता कि आप कुछ
अवरुद्ध रचेंगे | कहीं एक संकोच होगा कि आप छंदों की सीमा ना लांघ जाएँ | मैंने उत्तर दिया कि यदि आप छंदों की सीमा में बंधना नहीं चाहते तो गध्य लिखें |
उस समय यह बात वहीँ समाप्त हो गयी परन्तु यह बात मुझे खटकती रही कि छंद कहीं बंधन तो नहीं |
माँ का औरत होना आरती ... अवरुद्ध
हो ही गए! ओह! छुटकी!
शुभ प्रभात दीदी
जवाब देंहटाएंसादर नमन
झंकृत हो रही अंतर्वीणा,
फिर क्यों यह कंठ अवरुद्ध है
नव संकल्प का उल्लास है,
पर फिर भी मन क्यों क्षुब्ध है ?
सदा से अलग
इश्पेशियल प्रस्तुति
सादर
ये लीक से हटकर है
जवाब देंहटाएंवाकई लीक से हटकर
एकदम नया ...फैलती हुई नीरसता के रस्ते में अवरुद्ध।
नई सोच,नई किरण और आज लगा है कि सालों बाद सवेरा हुआ है।
ये एक लेवल है
जिसे हर कोई छूना चाहता है।
ये हुई एक सार्वजनिक मंच वाली बात।
जब तक वाद नहीं तब तक विचारों का नवीनीकरण नहीं हो सकता है।
भावों का नाम कविता है
फिर चाहब अल्फ़ाज़ लयबद्ध हो चाहे लयमुक्त।
भाव जो कवयित्री या कवि के मन मे है हु-ब-हु लिखें जाने चाहिए।
शब्दों को लयबद्ध करने के चक्कर में कई बार भाव पीछे छूट जाते हैं।
अतुकांत कविता साहित्य की आधुनिक काल से सम्बंधित है।
सच मे आज जैसी हलचल कोरी कल्पना लगती थी।
वाह्हह...अद्भुत प्रस्तुति दी...👌👌👌
जवाब देंहटाएंआपकी प्रस्तुति वैसे भी सबसे अलग होती है।
दी सारी रचनाएँ बढ़िया है।
सुप्रभात..
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर विचारणीय प्रस्तुति
धन्यवाद।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंअच्छी रचनाये हैं. धन्यवाद्
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण प्रस्तुति आदरणीया
जवाब देंहटाएंअद्भुत प्रस्तुति सभी रचनाकारों को बधाई ।
जवाब देंहटाएंआदरणीय दीदी -- सादर प्रणाम | हृदिक आभार और नमन इतने सुंदर लिंकों तक पहुँचाने के लिए |आपके संजोये लिंक बहुत ही उम्दा होते हैं | लगता है पूरे सप्ताह खोज बीन चलती है | पर एक दिक्कत है प्राय दुर्लभ लिंकों पर टिप्पणी करना संभव नहीं होता | मात्र दो पर लिख पायी हूँ पर पहुँच सब तक गयी सभी को सस्नेह बधाई | आपको भी हार्दिक बधाई इतने दुर्लभ विषय पर सार्थक सामग्री जुटाने के लिए | सादर --
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